
नयी दिल्ली (भाषा) बेंगलुरु में एक ऐसे मरीज के अंगों को देश के विभिन्न हिस्सों में भेजकर पांच लोगों को नया जीवन दिया गया जिसे शुक्रवार को चिकित्सकों ने ‘ब्रेन डेड’ (मस्तिष्क का काम करना बंद कर देना) घोषित कर दिया था।
इस अभियान के तहत भारतीय वायुसेना के विमान द्वारा एक गुर्दे और एक कॉर्निया को हवाई मार्ग से बेंगलुरु से दिल्ली पहुंचाया गया।
भारतीय वायुसेना ने शनिवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में समन्वित अभियान का विवरण और अंगों को हवाई मार्ग से ले जाए जाने की तस्वीरें साझा कीं।
पोस्ट में कहा गया, ‘‘वायु सेना ने ‘कमांड हॉस्पिटल एयर फोर्स बेंगलुरू’ (सीएचएएफबी) के जरिए जीवन रक्षक प्रतिरोपण को संभव बनाने और विभिन्न स्थानों पर अंगों को पहुंचाने में मदद की।’’
इसमें कहा गया कि शुक्रवार को ‘ब्रेन डेड’ घोषित किया गया मरीज ‘‘पांच लोगों को नया जीवन’’ दे गया।
भारतीय वायुसेना के अनुसार, एक गुर्दे और एक कॉर्निया को दिल्ली के सैन्य अस्पताल में भेजा गया। दूसरे गुर्दे, कॉर्निया, त्वचा के प्रतिरोपण की प्रक्रिया बेंगलुरु के विक्टोरिया हॉस्पिटल की मेडिकल टीम के सहयोग से सीएचएएफबी में की गई।
इसने कहा कि ‘ग्लेनईगल्स बीजीएस अस्पताल’ में यकृत का सफलतापूर्वक प्रतिरोपण किया गया।
भारतीय वायुसेना ने पोस्ट में कहा, ‘‘यह अभियान ‘जीवनसार्थकथे कर्नाटक’ के साथ मिलकर किया गया। यह सशस्त्र सेना चिकित्सा समुदाय की असाधारण प्रतिबद्धता और चिकित्सकीय क्षेत्र में विशेषज्ञता को दर्शाता है।’’नयी दिल्ली (भाषा) बेंगलुरु में एक ऐसे मरीज के अंगों को देश के विभिन्न हिस्सों में भेजकर पांच लोगों को नया जीवन दिया गया जिसे शुक्रवार को चिकित्सकों ने ‘ब्रेन डेड’ (मस्तिष्क का काम करना बंद कर देना) घोषित कर दिया था।
इस अभियान के तहत भारतीय वायुसेना के विमान द्वारा एक गुर्दे और एक कॉर्निया को हवाई मार्ग से बेंगलुरु से दिल्ली पहुंचाया गया।
भारतीय वायुसेना ने शनिवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में समन्वित अभियान का विवरण और अंगों को हवाई मार्ग से ले जाए जाने की तस्वीरें साझा कीं।
पोस्ट में कहा गया, ‘‘वायु सेना ने ‘कमांड हॉस्पिटल एयर फोर्स बेंगलुरू’ (सीएचएएफबी) के जरिए जीवन रक्षक प्रतिरोपण को संभव बनाने और विभिन्न स्थानों पर अंगों को पहुंचाने में मदद की।’’ इसमें कहा गया कि शुक्रवार को ‘ब्रेन डेड’ घोषित किया गया मरीज ‘‘पांच लोगों को नया जीवन’’ दे गया।
भारतीय वायुसेना के अनुसार, एक गुर्दे और एक कॉर्निया को दिल्ली के सैन्य अस्पताल में भेजा गया। दूसरे गुर्दे, कॉर्निया, त्वचा के प्रतिरोपण की प्रक्रिया बेंगलुरु के विक्टोरिया हॉस्पिटल की मेडिकल टीम के सहयोग से सीएचएएफबी में की गई।
इसने कहा कि ‘ग्लेनईगल्स बीजीएस अस्पताल’ में यकृत का सफलतापूर्वक प्रतिरोपण किया गया।
भारतीय वायुसेना ने पोस्ट में कहा, ‘‘यह अभियान ‘जीवनसार्थकथे कर्नाटक’ के साथ मिलकर किया गया। यह सशस्त्र सेना चिकित्सा समुदाय की असाधारण प्रतिबद्धता और चिकित्सकीय क्षेत्र में विशेषज्ञता को दर्शाता है।’’