सर्व धर्म समभाव सनातन धर्म का मूल सिद्धांत है : दिग्विजय सिंह

Share this news

ग्वालियर (भाषा) वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने शनिवार को कहा कि जो कोई भी ‘सर्व धर्म समभाव’ में विश्वास नहीं करता, वह सनातन धर्म का सच्चा अनुयायी नहीं हो सकता और भगवद गीता इसका सबसे पूजनीय ग्रंथ है, न कि मनुस्मृति।

राज्यसभा सदस्य यहां सामाजिक न्याय सम्मेलन में बोल रहे थे, इस दौरान कुछ संगठनों ने मांग की थी कि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ के परिसर में डॉ. बी.आर. अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित की जाए।

सनातन धर्म में अपनी आस्था दोहराते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि धर्म का मूल सभी धर्मों के बीच सद्भाव है।

भगवद गीता का हवाला देते हुए सिंह ने कहा कि 18वें अध्याय में कहा गया है कि व्यक्ति की वर्ण व्यवस्था उसकी योग्यता और कर्म पर आधारित है, जन्म पर नहीं है।

उन्होंने आरोप लगाया यह वर्ण-व्यवस्था की लड़ाई नहीं है यह विचारधारा की लड़ाई है। आरएसएस जो एक खास विचारधारा से प्रेरित संगठन है  देश की संस्थाओं पर अवैध कब्जा करना चाहता है और नफरत की आग फैला रहा है।

संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में डॉ. अंबेडकर की नियुक्ति का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा, “जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल और महात्मा गांधी इस बात पर सहमत थे कि व्यक्ति ऐसा होना चाहिए जिसने पीढ़ियों तक सामाजिक अन्याय झेला हो, गरीबी को प्रत्यक्ष देखा हो, अपने पैरों पर खड़ा होकर खुद को शिक्षित किया हो, कानून को समझा हो और निडर हो। वह व्यक्ति बी.आर. अंबेडकर थे।”

About Post Author


Share this news
Advertisements