
भोपाल (भाषा) मध्यप्रदेश में विपक्षी दल कांग्रेस ने प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी सरकार पर जंगल की जमीन से बेदखल कर आदिवासियों का दमन करने के आरोप लगाते हुए कहा कि यदि 15 दिन के अंदर आदिवासियों को उनके अधिकार वापस नहीं मिले तो कांग्रेस जन आंदोलन शुरु करेगी।
प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में मध्यप्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव और कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य कमलेश्वर पटेल ने संयुक्त पत्रकार वार्ता में प्रदेश की भाजपा सरकार पर आदिवासियों के साथ अन्याय, जल-जंगल-जमीन से बेदखली और झूठे आरोपों के जरिए आदिवासियों का दमन करने के आरोप लगाए।
उन्होंने सरकार की नीतियों को आदिवासी विरोधी बताते हुए कहा कि भाजपा विकास के मुद्दों से भटक चुकी है और अब वह केवल धर्म की राजनीति कर रही है।
सिंघार ने कहा कि सरकार आदिवासियों को उनके पारंपरिक अधिकारों से वंचित कर रही है। उन्होंने कहा कि हजारों आदिवासी परिवारों के पट्टे बिना किसी पूर्व सूचना के खारिज कर दिए गए हैं। सरकार की इस कार्रवाई से यह स्पष्ट है कि वह जल, जंगल और जमीन पर आदिवासियों का हक छीनना चाहती है।
उन्होंने कहा कि वन अधिकार अधिनियम (2006) को लागू हुए 17 साल हो चुके हैं, लेकिन भाजपा सरकार ने आज तक लाखों आदिवासी परिवारों को वन भूमि पर मालिकाना हक नहीं दिया।
देशभर में आठ लाख से अधिक वन अधिकार दावे लंबित होने का जिक्र करते हुए सिंघार ने कहा कि वन अधिकार अधिनियम 2006 के सही क्रियान्वयन में सरकार बुरी तरह विफल रही हैं।
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने 2024 तक आदिवासियों द्वारा किए गए 6.5 लाख वन अधिकार दावों में से तीन लाख से ज़्यादा दावे बिना स्पष्ट कारण के खारिज कर दिए।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रदेश के नेपानगर के जंगलों में खनिज संपदा होने के कारण सरकार वहाँ के आदिवासियों को जबरन विस्थापित करना चाहती है, ताकि निजी कंपनियों के लिए रास्ता साफ किया जा सके।