नयी दिल्ली, (भाषा) केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि पिछले एक साल में दुनिया भर में निर्मित और वितरित की गईं आठ अरब टीका खुराकों में से आधी भारत में निर्मित की गईं।
उन्होंने आज यहां अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी फोरम द्वारा आयोजित वार्षिक ‘इंडिया लीडरशिप समिट 2024’ को संबोधित किया।
श्रीवास्तव ने कहा कि जेनेरिक दवाओं के तीसरे सबसे बड़े विनिर्माता और प्रमुख आपूर्तिकर्ता होने के नाते भारत फार्मास्युटिकल्स क्षेत्र में वैश्विक नेता बनकर उभरा है।
इस क्षेत्र की सफलता के परिणामस्वरूप दुनिया भर में स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों के लिए पर्याप्त बचत हुई है, जिसमें अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में उल्लेखनीय योगदान भी शामिल है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय दवा उद्योग का योगदान इस तथ्य से प्रमाणित होता है कि भारत में अमेरिका के बाहर सबसे अधिक संख्या में यूएस एफडीए-अनुमोदित दवा संयंत्र हैं। यह अमेरिका के बाहर यूएस एफडीए-अनुमोदित संयंत्रों की कुल संख्या का 25 प्रतिशत है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बताया गया है कि भारतीय कंपनियों की दवाओं ने 2022 में अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को 219 अरब डॉलर की बचत और 2013 से 2022 के बीच कुल 1.3 हजार अरब डॉलर की बचत कराई है।’’
उन्होंने कहा कि देश वैक्सीन उत्पादन में भी अग्रणी है, जिसमें वैश्विक विनिर्माण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो ‘दुनिया की फार्मेसी’ के रूप में भारत की भूमिका को रेखांकित करता है।
स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि दुनिया में निर्मित सभी टीकों में से 50 प्रतिशत भारत से हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले एक साल में ही, दुनिया भर में निर्मित और वितरित की गई आठ अरब टीका खुराक में से चार अरब खुराक भारत में निर्मित की गईं।’’
श्रीवास्तव ने कहा कि भारत ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम और संबंधित कानूनों के साथ पुराने नियामक ढांचे को बदलकर चिकित्सा शिक्षा में सुधार किया है।
उन्होंने कहा कि इससे मेडिकल और नर्सिंग कॉलेजों की संख्या और नामांकन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे स्वास्थ्य सेवा पेशेवर उपलब्धता में असमानताओं को दूर किया जा सका है।
उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप, भारत एक सक्षम स्वास्थ्य कार्यबल तैयार करने के लिए तैयार है जो राष्ट्रीय और वैश्विक दोनों जरूरतों को पूरा करता है।
श्रीवास्तव ने कहा कि सरकारी प्रयासों से भारत में स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता, पैमाने और लागत प्रभावशीलता में उत्तरोत्तर सुधार हुआ है।