देश की नई वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए पांच सेक्टर में विशेष काम करना होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि यह सेक्टर बुरी तरह से बेहाल हो गए हैं। इसके साथ ही जुलाई में पेश होने वाले बजट की तैयारी और जीएसटी की दरों को तर्कसंगत बनाने के लिए भी काम करना होगा।
यह पांच सेक्टर हो गए हैं बेहाल
फिलहाल नई सरकार के लिए आर्थिक मोर्चे पर बहुत काम करना बाकी है। पांच सेक्टर जैसे कि विमानन, बिजली, बैंक और एनबीएफसी, खपत व स्वास्थ्य पर ध्यान देना होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि इन सेक्टर में हाल औरों के मुकाबले काफी खराब हो गए हैं।
हवाई ईंधन को लाना होगा जीएसटी के दायरे में
हवाई ईंधन को जीएसटी के दायरे में लेकर के आना होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि हवाई ईंधन ने विमानन कंपनियों की वित्तीय हालत को काफी बुरी स्थिति में ला दिया है। इसके अलावा बंद हो चुकी जेट एयरवेज को फिर से खड़ा करने की चुनौती भी है। फिलहाल हवाई ईंधन विश्व के अन्य देशों के मुकाबले 30 से 40 फीसदी ज्यादा है।
बजट के लिए करनी होगी तैयारी
निर्मला सीतारमण को जुलाई में पेश होने वाले पूर्णकालिक बजट की भी तैयारी करनी होगी। फरवरी में पेश हुए अंतरिम बजट की सीमा 30 जून को समाप्त हो जाएगी। बजट में मध्यम वर्ग के लोगों को टैक्स दरों में कमी और आयकर छूट का दायरा बढ़ाने या फिर पांच लाख की सीमा को स्थिर रखने के फैसले को लेना होगा।
जीएसटी स्लैब को तर्कसंगत बनाना
वित्त मंत्री होने के नाते अब निर्मला सीतारमण जीएसटी परिषद की भी अध्यक्ष होंगी। जीएसटी परिषद के पास सबसे बड़ा काम यह है कि टैक्स स्लैब की दरों को आम आदमी के लिए तर्कसंगत बनाना होगा। अभी जीएसटी के पांच स्लैब हैं, जिनको कम करने की बात काफी पहले से चल रही है। इसके साथ ही पेट्रोलियम उत्पादों को भी इसके दायरे में लेकर के आना होगा।
सुधारनी होगी बैकों, एनबीएफसी की हालत
आईएलएंडएफएस संकट के बाद बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की हालत काफी पतली हो गई है। सरकारी बैंकों को पूंजी की तरलता उपलब्ध कराने के लिए सरकार और आरबीआई को कम से कम 3500 करोड़ डॉलर की आवश्यकता पड़ेगी। तभी बैंक लाभ में आ पाएंगे और सही से कार्य कर पाएंगे।
बैंकों का विलय
इसके साथ ही घाटे में चल रहे बैंकों को बड़े बैंकों में विलय करना भी प्राथमिकता में रखना होगा। केंद्र सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में भारतीय स्टेट बैंक में सहयोगी बैंकों का और इस साल की शुरुआत में बैंक ऑफ बड़ौदा में देना व विजया बैंक का विलय किया था