नई दिल्ली, चार मार्च वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को एक अप्रैल से सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों को मिलाकर चार बड़े बैंक बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। जिन बैंकों का विलय होगा उसमें इलाहाबाद बैंक, आंध्रा बैंक तथा ओरिएंटल बैंक फ कामर्स शामिल हैं। इस विलय के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के सात बड़े बैंक तथा पांच छोटे बैंक होंगे। वर्ष 2017 में देश में सार्वजनिक क्षेत्र के 27 बैंक थे।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने पिछले साल अगस्त में बड़ा फैसला लेते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों का विलय कर चार बैंक बनाने की घोषणा की। इस निर्णय के तहत यूनाइटेड बैंक फ इंडिया और ओरिएंटल बैंक फ कामर्स का विलय पंजाब नेशनल बैंक में, सिंडिकेट बैंक का केनरा बैंक में, इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में और आंध्र बैंक तथा कॉरपोरेशन बैंक का विलय यूनियन बैंक फ इंडिया में करने का प्रस्ताव है।
सीतारमण ने कहा, एक अप्रैल 2020 की समयसीमा के साथ बैंक काम कर रहे हैं। मंत्रिमंडल ने भले ही आज निर्णय किया, लेकिन इस दिशा में काम जारी है तथा जो भी जरूरी है, कदम उठाए जा रहे हैं ताकि ए विलय एक अप्रैल से प्रभाव में आ जाए। यहां जारी एक विज्ञ्प्ति के अनुसार, इस विलय से वैश्विक बैंकों के आकार का वित्तीय संस्थान बनाने में मदद मिलेगी।
ए बैंक देश और विदेश में प्रभावी तरीके से प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होंगे। विलय के जरिए वृहत आकार और तालमेल से लागत लाभ होगा जिससे सार्वजनिक क्षेत्र बैंकों की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ेगी और भारतीय बैंक प्रणाली पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। पिछले साल देना बैंक और विजया बैंक का बैंक फ बड़ौदा में विलय कर दिया गया है। इससे पहले सरकार ने एसबीआई के पांच एसोसिएट बैंक तथा भारतीय महिला बैंक का भारतीय स्टेट बैंक में विलय किया था।
सीतारमण ने उदाहरण देते हुए कहा कि देना बैंक और विजया बैंक के बैंक फ बड़ौर्दा बीओबीी में विलय से बीओबी का परिचालन लाभ सुधरा है और अब खुदरा कर्ज की मंजूरी 11 दिनों में दी जा रही है जबकि पूर्व में इसमें 23 दिन लगता था। इस बीच, सूत्रों ने कहा कि जिन बैंकों का विलय हो रहा हे, वे जल्दी ही शेयर बाजारों में शेयरों के अदला-बदली अनुपात की घोषणा करेंगे। (भाषा)