संकट का सामना कर रहे पोल्ट्री उद्योग ने केंद्र के हस्तक्षेप की मांग की

सांकेतिक तस्वीर
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हैदराबाद, 3 अप्रैल (भाषा) कोरोना वायरस के संक्रमण और देशव्यापी बंद ने पोल्ट्री सेक्टर कुक्कुटपालन क्षेत्री को संकट में डाल दिया है और इस साल फरवरी से अब तक इस क्षेत्र में 22,500 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। कुक्कुटपालन क्षेत्र की शीर्ष इकाई अखिल भारतीय कुक्कुट पालक संर्घ एआईपीबीए ने इस उद्योग को संकट से बाहर निकालने के लिए नरेंद्र मोदी नीत केंद्र सरकार से ऋण और ब्याज को लेकर सहायता करने के साथ ही राहत पैकेज की मांग की है।

संगठन के उपाध्यक्ष सुरेश चित्तूरी ने कहा कि मुर्गे और अंडा खाने से कोरोना वायरस के संक्रमण जैसी गलत जानकारियों से इस उद्योग को फरवरी से काफी नुकसान उठाना पड़ा और इसके बाद बंद की वजह से लाने-ले जाने में दिक्कतें आईं। मुर्गे और अंडे खाने से वायरस की चपेट में आने जैसी गलत धारणाएं बनने से इस उद्योग को फरवरी से भारी नुकसान उठाना पड़ा है। चित्तूरी ने पीटीआई-भाषा से कहा, फरवरी के पहले सप्ताह से ही अफवाहों का दौर शुरू हो गया जिससे इस उद्योग को काफी नुकसान पहुंचा। कुछ लोगों ने गलत जानकारियां फैलायीं कि मुर्गे और अंडे नहीं खाना चाहिए। इस उद्योग पर पिछले छह सप्ताह से विपरीत प्रभाव पड़ा है।

उन्होंने दावा कि उनकी तरफ से मुर्गे और अंडे खाने के बारे में स्पष्टीकरण के बाद चीजें ठीक हुईं लेकिन अंतर-राज्य में अंडे और मुर्गे ले जाने में दिक्कतों ने इस क्षेत्र को फिर नुकसान पहुंचाया। संगठन के अनुसार इस उद्योग में 10 लाख से ज्यादा पोल्ट्री किसान काम करते हैं।यह देश की जीपीडी में 1.3 लाख करोड़ रुपए का योगदान देता है। एआईपीबीए ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 30 मार्च को एक ज्ञापन सौंपकर तत्काल वित्तीय सहायता और राहत पैकेज की मांग की है।

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