भोपाल, 17 अप्रैल (भाषा) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के स्वास्थ्य कर्मचारियों के बीच कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने के लिए प्रदेश की पिछली कमलनाथ सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। मुख्यमंत्री ने इसके साथ ही यह भी कहा कि उन्होंने प्रदेश के स्वास्थ्य अधिकारियों के बीच कोरोना का संक्रमण होने के मामले की जांच के आदेश दिए हैं और जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने बृहस्पतिवार शाम को इस मामले में ट्वीट किया, पूर्ववर्ती सरकार ने कोविड-19 से निपटने की कोई तैयारी नहीं की थी। ऐसा लगता है कि स्वास्थ्य विभाग के अमले को भी कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई थी, इसलिए स्वास्थ्य विभाग के लोग संक्रमित हो गए। मैंने जांच के निर्देश दिए हैं, जो भी परिणाम आएंगे उसके आधार पर कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार आने के बाद स्थिति में बदल गई है। मैंने तेजी से टेस्टिंग की क्षमताएं बढ़ाई है। एक-एक पॉजिटिव केस ढूंढ़कर उसके इलाज की व्यवस्था कर रहे हैं। इंदौर व भोपाल में और पेशेंट निकल सकते हैं, लेकिन यह अच्छी खबर है कि अधिकांश लोग तेजी से स्वस्थ हो रहे हैं।
एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को बताया कि कोरोना वायरस से अग्रिम मोर्चे पर लड़ाई लड़ रहे स्वास्थ्य विभाग के लगभग 90 कर्मचारी जिसमें चार आईएएस अधिकारी और कुछ डॉक्टर भी शामिल हैं कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। इसके अलावा प्रदेश के 40 पुलिसकर्मी और उनके परिजन भी कोरोना से संक्रमित हुए हैं।
हालांकि कांग्रेस ने चौहान के आरोपों को खारिज कर दिया। प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता नरेन्द्र सलूजा ने कहा कि कमलनाथ सरकार ने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए कई कदम उठाए थे। सलूजा ने 13 मार्च से शॉपिंग मॉल, सिनेमा हॉल और स्कूल कॉलेजों को बंद करने सहित कोरोना वायरस की बीमारी को रोकने के लिए कमलनाथ सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की एक सूची जारी की। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही विधानसभा का बजट सत्र और कई बैठकों को कोरोना वायरस के चलते रद्द कर दिया गया था।
सलूजा ने कहा कि वहीं दूसरी और भाजपा ने अपने विधायक दल की बैठक 23 मार्च को की थी। उन्होंने भाजपा ने झ्ूठ बोलने का आरोप लगाया और प्रदेश में कोरोना महामारी को फैलने से रोकने में शिवराज सरकार को विफल बताया। मालूम हो कि चौहान ने देशव्यापी लॉकडाउन लागू होने से एक दिन पहले मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इससे पहले, कांग्रेस के बागी 22 विधायकों के त्यागपत्र देने के बाद एक पखवाड़े तक चले राजनीतिक नाटक का अंत मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के अंत के साथ हुआ था।