भोपाल, 21 मई (भाषा) राजस्थान से टिड्डियों के छह झुंड मध्यप्रदेश की सीमा में प्रवेश कर गए हैं जिससे किसानों की फसलों को भारी नुकसान होने का खतरा पैदा हो गया है।
जबलपुर स्थित जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय ने टिड्डी दलों से फसलों को बचाने की खातिर किसानों के लिए बुधवार रात को परामर्श जारी किया। ये टिड्डी दल जून में ईरान से उड़कर पाकिस्तान पहुंचे थे और वहां से राजस्थान होते हुए पश्चिमी मध्यप्रेदश में पहुंच गए हैं।
जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय की संचालर्क विस्तार सेवाएंी डॉ. ओम गुप्ता ने बृहस्पतिवार सुबह ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “प्राप्त प्रशासनिक जानकारी के आधार पर पता चला है कि टिड्डी दल राजस्थान से लगे हुए मध्यप्रदेश के नीमच जिले से होते हुए उज्जैन जिले और वहां से निकलकर देवास जिले के तहसील कन्नौद तक पहुंच गए हैं।” उन्होंने कहा कि हरदा जिले में भी टिड्डी दलों के प्रकोप की आशंका है।
गुप्ता ने बताया कि किसानों को सलाह दी जाती है कि वे अपने खेतों की सतत निगरानी रखें। टिड्डी दलों के आने पर खेतों में तेज ध्वनि जैसे थालियां, ढोल, डीजे आदि बजाकर उन्हें आगे की तरफ उड़ाएं। इसके साथ ही टिड्डियों के इन दलों पर सुबह तीन बजे से लेकर सुबह साढ़े सात बजे तक रासायनिक दवाइयों का छिड़काव कर इन पर नियंत्रण करके फसलों को बचाएं।
उन्होंने बताया कि राजस्थान से उड़कर मध्यप्रदेश की सीमा में ए टिड्डी दल तीन-चार दिन पहले प्रवेश कर चुके हैं। गुप्ता ने बताया कि टिड्डियों के ए झ्ुंड उसी ओर जा रहे हैं, जिस ओर हवा बह रही है। उन्होंने कहा, मध्यप्रदेश में अब तक टिड्डियों के छह झुंड देखे गए हैं।
जब उनसे सवाल किया गया कि इनसे फसलों को अब तक कितना नुकसान पहुंचा है, तो गुप्ता ने बताया कि टिड्डी दल जिस खेत में हमला करते हैं उसकी फसल को पूरी तरह से क्षतिग्रस्त कर देते हैं, इसलिए उनके हमले में फसलों को शत-प्रतिशत नुकसान होता है।
हालांकि, उन्होंने कहा कि अभी गर्मी का मौसम होने के कारण खेतों में फसलें भी बहुत कम रहती है। उन्होंने कहा कि जिन इलाकों में सिंचाई के साधन उपलब्ध हैं, वहां किसानों ने फसलें उगाई होंगी और उन्हें ये टिड्डी दल नुकसान पहुंचा सकते हैं। गुप्ता ने बताया, हमने अपने विश्वविद्यालय के तहत आने वाले 22 कृषि विज्ञन केन्द्रों को भी परामर्श जारी किया है।