मध्यप्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और जबलपुर सांसद ने ट्वीट करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में सरकार गिराने के लिए कोई दूसरा जिम्मेदार नहीं है, खुद कमलनाथ जी और उनके किए गए कार्य इसके जिम्मेदार है। इसीलिए मुझे नहीं लगता कि किसी और को उन्हें इसके लिए दोषी ठहराना चाहिए। अभी भी समय है कांग्रेस आत्ममंथन करें, आत्म चिंतन करें।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस अभी भी सच्चाई को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है, जिस प्रकार से मध्यप्रदेश की जनता के हितों को गिरवी रख कर यह सरकार चला रहे थे यह उसका परिणाम है, उनकी आंतरिक फूट।
उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह से चुन-चुन कर रेवड़िया बांटी जा रही थी और कुछ को उपेक्षित रखा जा रहा था उसके कारण से कांग्रेस दो हिस्सों में विभक्त हुई और लोगों ने इस्तीफा दिया, जिसके कारण सरकार कांग्रेस की गिरी।
सांसद ने कहा कि देश पर 55 साल राज करने वाले, संविधान की मर्यादा की धज्जियां उड़ाने वाले यह कहे कि वह संविधान की राजनीति करते हैं और अचानक विपक्ष में आने के बाद उन्हें संविधान याद आ रहा है। कितनी बार जब अनेक राज्यों में गैर कांग्रेसी सरकार इन्होंने गिराई है तब संविधान कहां जाता था? अनेकों निर्णय करते समय जब संविधान की धज्जियां इन्होंने उड़ाई है तब संविधान कहां जाता था? ना जाने कितने प्रमाण है, देश जानता है।
लेकिन मैं मानता हूं कि कमलनाथ जी के लिए सरकार जाने का दुख बहुत बड़ा है, कमलनाथ जी मुख्यमंत्री के पद पर बैठे थे लेकिन अब वे मुख्यमंत्री नहीं है, और उन्हें स्वीकार करना चाहिए, अपनी हार के कारणों को भी और अपनी गलतियों को भी। सरकार में रहते हुए जिस तरह से मध्यप्रदेश की जनता को उन्होंने धोखे में रखा ये भी उन्हें स्वीकार करना चाहिए।