वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में शुक्रवार पहली बार होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। इसमें कारोबारियों के लिए जीएसटी रिफंड आसान बनाने और ई-चालान की बेहतर व्यवस्था लागू करने पर फैसला हो सकता है। परिषद राष्ट्रीय मुनफाखोरी-रोधी प्राधिकरण (एनएए) का कार्यकाल भी बढ़ा सकती है।मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जीएसटी परिषद रिफंड के दावों की जांच के लिए एकल बिंदु व्यवस्था बनाने पर चर्चा करेगी। एकल बिंदु रिफंड प्रणाली से कारोबारियों को जल्दी भुगतान मिल सकेगा। इसके अलावा कंपनियों को ई-चालान (ई-इनवॉयस) उपलब्ध कराने के लिए एकल प्रणाली बनाने पर भी फैसला होगा। इस कदम से निर्यातकों के दावों की पहचान करना आसान होगा, जबकि व्यवस्था में और पारदर्शिता आएगी।
बैठक के एजेंडे में एक अप्रैल, 2020 से जीएसटी-ईवे बिल प्रणाली का एनएचएआई की फास्टैग प्रणाली में एकीकरण करना भी शामिल है। इससे माल की आवाजाही की निगरानी आसान होगी और जीएसटी चोरी को रोका जा सकेगा।
जीएसटी परिषद अग्रिम निर्णय अपीलीय प्राधिकरण (एएआर) के राष्ट्रीय पीठ के गठन पर भी चर्चा कर सकती है। इससे विभिन्न राज्यों में एएआर द्वारा जारी एक जैसे मुद्दों पर विरोधाभासी फैसलों का समाधान किया जा सकेगा। परिषद एनएए का कार्यकाल एक साल बढ़ाकर 30 नवंबर, 2020 तक करने पर विचार करेगी। इसे एक जुलाई, 2017 को जीएसटी को लागू किए जाने के तत्काल बाद दो साल के लिए बनाया गया था।
मिलेगा गलती सुधारने का मौका
परिषद की बैठक में जीएसटी कानून में बदलावों के लिए संशोधन विधेयक के मसौदे पर भी चर्चा होगी। इससे कारोबारियों और कंपनियों को जीएसटी भुगतान में हुई गलतियां सुधारने का मौका मिलेगा। जीएसटी भुगतान में देरी पर ब्याज सिर्फ नकदी वाले हिस्से पर लागू करने की राहत भी कारोबारियों को मिल सकती है।
5 हजार निर्यातकों ने किया फर्जी दावा
सरकार ने एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) के रिफंड के लिए फर्जी दावा करने वाले 5,106 निर्यातकों की पहचान की है। इन्होंने फर्जी बिल के जरिये 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की चपत लगाई है। सीबीआईसी ने बताया है कि कुल 1.42 लाख निर्यातकों में से पांच हजार ने ही फर्जी दावे किए, जो 3.5 फीसदी ही है। इसके बाद 17 और 18 जून को 925 निर्यातकों के 1,436 बिल पर ही पाबंदी लगाई गई, जबकि शेष 8 हजार निर्यातकों के दावे को आगे बढ़ा दिया गया।
दागी निर्यातकों की मैन्युअल जांच होगी
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि दागी निर्यातकों के दावों की जांच अब ऑटोमैटिक तरीके से करने के बजाए मैनुअल चेकिंग के बाद आगे बढ़ाया जाएगा। इससे इनके रिफंड में देरी हो सकती है और इसमें 30 दिन का समय लग सकता है। बाकी निर्यातकों को पहले की तरह इलेक्ट्रॉनिक जांच के जरिये 15 दिन में रिफंड जारी कर दिया जाएगा। मैनुअल जांच में सीमा-शुल्क विभाग के अधिकारी भी शामिल होंगे।
टीवी, फ्रिज, इलेक्ट्रिक वाहन सस्ते हो सकते हैं, रिफंड प्रक्रिया भी आसान होगी
इलेक्ट्रिक वाहनों पर टैक्स 12% से घटाकर 5% किया जा सकता है। साथ ही तय सीमा से अधिक दाम वसूलने वालों की निगरानी के लिए गठित एंटी प्राफिटियरिंग अथॉरिटी (एनएए) का कार्यकाल 30 नवंबर 2020 तक बढ़ेगा। एनएए अब तक विभिन्न मामलों में करीब 67 आदेश जारी कर चुकी है। इसका गठन 2017 में हुआ था। जीएसटी के रिफंड प्रोसेस और मंजूरी के लिए सिंगल विंडो सिस्टम लागू करने का फैसला कर सकती है। अभी राज्य और केंद्र सरकार अलग-अलग रिफंड जारी करती है।
काउंसिल की बैठक में ये अहम फैसले लिए जा सकते हैं
- ई-इनवॉइस सुविधा : 50 करोड़ रु. से अधिक टर्नओवर वाले कारोबारियों के लिए ई-इनवॉइस अनिवार्य किया जा सकता है। इससे वे जीएसटी रिफंड और ई-वे बिल के झंझट से मुक्त हो जाएंगे।
- ई-कार के दाम घटेंगे : इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी की दर 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी हो सकती है। ई-स्कूटर की कीमतें 5 हजार रुपए और ई-कार 1 लाख रुपए तक सस्ती होगी।
- टीवी-फ्रिज पर 12% टैक्स : टीवी सेट, एसी और रेफ्रिजरेटर पर जीएसटी की दर को 18 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत किया जा सकता है। 32 इंच से बड़े टीवी पर 28% की दर 18 प्रतिशत हो सकती है।
- 12 लाख व्यापारियों को रिफंड मिलना होगा आसान : जीएसटी रिफंड में सिंगल विंडो होने से देशभर के 12 लाख से अधिक ट्रेडर्स को फायदा होगा। अभी देश में 1.21 करोड़ पंजीकृत ट्रेडर्स हैं। इनमें 10 प्रतिशत ट्रेडर्स रिफंड लेते हैं। इनमें ज्यादातर आयात निर्यात से जुड़े कारोबारी,छोटे उद्यमी और सप्लायर हैं।
- डिमैरिट गुड्स पर टैक्स बढ़े : सभी तंबाकू उत्पादों को ‘डिमैरिट गुड्स’ मानते हुए इन पर 28% टैक्स लगाने और इसके अलावा अधिकतम उपकर लगाए जाने पर विचार हो रहा है। सरकारी लॉटरी पर टैक्स बढ़ सकता है।
- एनएए 1 साल और रहेगी : जीएसटी के आने के बाद गठित एंटी प्रॉफिटिंग सेल का कार्यकाल एक साल और बढ़ कर 30 नवंबर 2020 हो सकता है। ट्रिब्यूनल अब तक 67 मामलों में फैसले दे चुका है।
- इंटीग्रेटेड ई वे बिल आएगा : काउंसिल एनएचएआई के साथ मिलकर इंटीग्रेटेड ई वे बिल लाने पर विचार कर रही है। इसके जरिए विभाग को वाहनों की लोकेशन पता करने में मदद मिलेगी।