सावन मास में देवाधिदेव महादेव की स्तुति दिन में दो बार की जाती है। सूर्योदय पर फिर सूर्यास्त के बाद। यह माह आशाओं की पूर्ति का समय होता है। पंडित विशाल दयानन्द शास्त्री कहते हैं, इस महीने में शिव उपासना से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। श्रावण में शिव भक्तों के लिए भगवान शिव का दर्शन एवं जलाभिषेक करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। शिव मन्त्र का जाप अत्यंत उपयोगी माना गया है अन्यथा आप साधारण एवं सर्वप्रिय पंचाक्षरी मन्त्र ऊं नम: शिवाय और गणेश मन्त्र ऊं गं गणपतये नम: का जाप करें।
सायंकाल को प्रदोष बेला कहते हैं। इस समय यदि भगवान शिव का सामीप्य मिले, समस्त दोष दूर हो जाते हैं। अत: सायंकाल शिव मंदिर में या अपने घर में ही मिट्टी से शिवलिंग और पार्वती तथा श्री गणेश की मूर्ति बनाकर सोलह प्रकार से पूजन करें, इनमें सोलह दूवी, सोलह सफेद फूल, सोलह मालाओं से शिव पूजन समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाला होता है।
शिवपुराण के अनुसार कुबेर के समान खजाने का भंडार पाने के लिए वैसे तो रात के समय प्रतिदिन शिवलिंग के पास दीपक जलाना चाहिए लेकिन सावन माह में तो यह उपाय जरूर करना चाहिए। इस उपाय से भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं, अपने भक्त के जीवन में कोई भी समस्या शेष नहीं रहने देते विशेषकर धन से संबंधित किसी भी तरह का विकार। मंदिर में प्रवेश करते ही मन ही मन ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें और जब तक मंदिर से बाहर न आ जाएं निरंतर जाप करते रहें।