नाकामी का ख्याल कभी मन में नहीं लाता : नसीरूद्दीन शाह

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नसीरूद्दीन शाह ने जब अपने कॅरियर की शुरुआत की थी तब वह विपरित परिस्थितियों से वाकिफ थे और लंबे संघर्ष के लिए तैयार भी थे लेकिन साथ ही उन्हें सफलता की उम्मीद भी थी।  अभिनेता ने 1970 और 1980 के दशक के समानांतर सिनेमा से नाम कमाया, वहीं ऑफबीट फिल्मों में अभिनय और अधिकतर युवा एवं नए निर्देशकों के साथ काम करके सुर्खियां भी बटोरीं।

यह पूछे जाने पर कि जब उन्होंने अभिनय की शुरुआत की तब उनके मन में क्या ख्याल आता था, इस पर शाह ने पीटीआई-भाषा से साक्षात्कार में कहा, मुझे कभी निराशा नहीं हुई क्योंकि मैंने कभी आसानी से सफलता की उम्मीद नहीं की थी।   

उन्होंने कहा, मैं लंबे संघर्ष के लिए तैयार था। मैं आसानी से हार मानने के लिए तैयार नहीं था। मैंने अपने मन में कभी नाकामी का ख्याल नहीं आने दिया, जबकि मुझे मालूम था कि मैं किन चुनौतियों से जूझ रहा हूं।   

70 वर्षीय अभिनेता ने कहा कि इतने वर्षों में भी जीवन के प्रति उनका नजरिया और कॅरियर में कभी हार नहीं मानने उनकी प्रवृत्ति बदली नहीं है।  उन्होंने कहा, मैंने नाकामी का ख्याल कभी अपने मन में नहीं आने दिया। अगर यह होता तो क्या होता? इस बारे में मैं कभी नहीं सोचता। जैसा मैं हूं, मैं वही बनना चाहता हूं। अगर मैं अपना काम जानता हूं तो मुझे काम मिलेगा। 

 शाह अपनी लघु फिल्म हाफ फुल की स्क्रीनिंग में हिस्सा लेने आए थे। इस लघु फिल्म ने शॉर्ट्स टीवीज बेस्ट ऑफ इंडिया शॉर्ट फिल्म फेस्टीवल में पुरस्कार जीता।  फिल्म में शाह विक्रांत मेस्सी के साथ नजर आए हैं। 12 मिनट की इस लघु फिल्म को करण रावल ने निर्देशित किया है। यह फिल्म अपने अंतद्वंद्व से जूझ रहे एक युवा की कहानी है।

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