नई दिल्ली, 10 मई (भाषा) कोविड-19 के खिलाफ जंग में चिकित्साकर्मी हमारे सबसे बड़े योद्धा हैं और मुंबई की प्रथम नागरिक किशोरी पेडनेकर ने इन योद्धाओं का हौंसला बढ़ाने और इन्हें पूरे उत्साह के साथ रणभूमि में डटे रहने का संदेश देने के लिए अपनी बरसों पुरानी नर्स की यूनीफार्म एक बार फिर पहनकर नई मिसाल कायम की है।
दुनिया पर मंडराते कोविड-19 के खतरे के बीच नर्सों ने अपनी जान की परवाह किए बिना अपने दायित्व को बखूबी निभाया है। उनके इस जज्बे को सलाम करने के लिए मुंबई की महापौर किशोरी पेडनेकर अपनी नर्स की वर्दी पहनकर महानगर के बीवाईएल नायर अस्पताल जा पहुंची।
राजनीति में आने से पहले शिवसेना की पार्षद किशोरी सरकारी अस्पताल में नर्स थीं और इस समय शिवसेना की पार्षद हैं। वृह्नमुंबई नगर निगम के इस अस्पताल में नर्सों को संबोधित करते हुए किशोरी पेडनेकर ने उनसे महामारी के खिलाफ लड़ाई में आने वाले कठिनाइयों के बारे में पूछा और उनके सतत् कर्तव्यपालन के लिए उनकी सराहना की। किशोरी का कहना था कि कोविड-19 से संक्रमित लोगों की सेवा करना एक अवसर है और इस पेशे से जुड़े लोग इसे अपना दायित्व समझ्कर निभाते हैं, बोझ् समझ्कर नहीं।
उन्होंने कहा, मैंने नर्स के तौर पर काम किया है और मैं दरअसल इसकी पेशेवर चुनौतियों से वाकिफ हूं। मैंने अपनी नर्स की यूनीफार्म नर्सों के पूरे समुदाय को यह संदेश देने के लिए पहनी कि मैं उनके अपनों में से एक हूं। मैंने उनके साथ बात की और महामारी के खिलाफ उनके साहसिक संघर्ष के लिए उनकी सराहना की। यह मुश्किल घड़ी है और हमें इस दुशमन को हराने के लिए एक दूसरे का साथ देना होगा।
पेडनेकर ने कोविड- 19 के खतरे को बहुत करीब से देखा है। दरअसल बीएमसी ने एक स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया था, जिसमें मुंबई स्थित 53 पत्रकार कोविड-19 से संक्रमित पाए गए। पेडनेकर भी उस शिविर में मौजूद थीं लिहाजा उन्हें भी अपने सरकारी आवास पर दो सप्ताह के लिए पृथक वास में रहना पड़ा।
उन्होंने कहा, वह समय आशंका से भरा था, लेकिन मेरे दोनों टेस्ट निगेटिव आने के बाद मैं मुंबई की प्रथम नागरिक होने के नाते अपने घर से निकली क्योंकि मेरी पहली जवाबदारी नागरिकों के प्रति है और बीमारों की सेवा करना मेरा पहला धर्म है।
राजनीति में आने से पहले पेडनेकर नर्स थीं और वह 1992 में शिवसेना की महिला इकाई से जुड़ीं। शुरू में उन्होंने पश्चिमी महाराष्ट्र के रायगढ़ और सिंधुदु्र्ग जिलों में पार्टी के लिए काम किया और तकरीबन 10 वर्ष बाद 2002 में वह पार्टी के टिकट पर पार्षद बनीं। 2012 और 2017 में वह फिर बीएमसी में चुनी गयीं और उन्हें मुंबई का महापौर बनाया गया।