अगर अपने खाने में ज्यादा मिर्ची डालने के शौकीन होते हैं, तो यह आपके लिए हानिकारक हो सकता है। एक 15 साल लंबे स्टडी के अनुसार, हर रोज 50 ग्राम से ज्यादा मिर्ची के सेवन से डिमेंशिया का खतरा बढ़ सकता है। 55 साल से ज्यादा उम्र के 4,582 चीनी नागरिकों पर यह अध्ययन किया गया था। इस अध्ययन में पता चला है कि 50 ग्राम से ज्यादा मिर्च खाने वाले इन लोगों की कॉग्निटिव फंक्शनिंग में तेजी से गिरावट देखा। न्यूट्रिएंट्स जर्नल में पब्लिश हुए इस अध्ययन के अनुसार, ज्यादा मिर्च खाने वाले पतले लोगों की याददास्त में ज्यादा गिरावट देखने को मिली।
कतर यूनिवॢसटी से जुमिन शी के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन से पता चला है कि प्रतिदिन 50 ग्राम से ज्यादा मिर्च खाने वाले लोगों की याद रखने की क्षमता में गिरावट और खराब कॉग्निटिव फंक्शङ्क्षनग का जोखिम लगभग दोगुना था। जुमिन ने कहा, ‘हमारे पिछले अध्ययनों में पाया गया था कि मिर्च का सेवन शरीर के वजन और बल्ड प्रेशर के लिए फायदेमंद पाया गया। हालांकि, इस अध्ययन में हमने 55 साल की उम्र से अधिक वयस्कों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पाया।’
शोधकर्ताओं ने कहा कि इस अध्ययन में हरी और सूखी मिर्च दोनों को शामिल किया गया था, लेकिन शिमला मिर्च या काली मिर्च नहीं को अलग रखा गया था। साउथ ऑस्ट्रेलिया यूनिवॢसटी के शोधकर्ता ङ्क्षमग ली ने कहा, ‘मिर्च दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला मसाला है और यूरोपीय देशों की तुलना में एशिया में यह ज्यादा लोकप्रिय है।’ उन्होंने कहा कि सिचुआन और हुनान जैसे चीन के कुछ क्षेत्रों में तीन में से एक वयस्क हर दिन मसालेदार खाना खाते हैं। मिर्च में मौजूद कैप्सेसिन नामक तत्व शरीर के मैटाबॉलिज्म को तेज करता है।
कैप्सेसिन से शरीर की कैलरीज ज्यादा बर्न होती हैं जिससे शरीर का वजन नहीं बढ़ता। इसमें मौजूद ऐंटिऑक्सिडेंट्स कलेस्ट्रॉल को घटाने में मदद करते हैं। हालांकि मिर्च के सेवन और कॉग्निटिव फंक्शङ्क्षनग के बीच की जांच करने वाला यह पहला अध्ययन है। अध्ययन में पता चला है कि ज्यादा मिर्च खाने वालों की आय के साथ ही बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) दोनों कम थे और यह लोग बाकी लोगों से शारीरिक रूप से ज्यादा सक्रिय भी थे। शोधकर्ताओं ने कहा कि ज्यादा वजन वाले लोगों की तुलना में सामान्य वजन वाले लोग मिर्च के सेवन के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो सकते हैं, इसलिए उनका असर याददाश्त और वजन पर पड़ता है।
क्या है डिमेंशिया ?
डिमेंशिया: संक्षेप में कहें तो डिमेंशिया किसी विशेष बीमारी का नाम नहीं, बल्कि एक बड़े से लक्षणों के समूह का नाम है (संलक्षण, syndrome)। डिमेंशिया को कुछ लोग “भूलने की बीमारी” कहते हैं, परन्तु डिमेंशिया सिर्फ भूलने का दूसरा नाम नहीं हैं, इसके अन्य भी कई लक्षण हैं–नयी बातें याद करने में दिक्कत, तर्क न समझ पाना, लोगों से मेल-जोल करने में झिझकना, सामान्य काम न कर पाना, अपनी भावनाओं को संभालने में मुश्किल, व्यक्तित्व में बदलाव, इत्यादि। यह सभी लक्षण मस्तिष्क की हानि के कारण होते हैं, और ज़िंदगी के हर पहलू में दिक्कतें पैदा करते हैं।