इसमें कोई शक नहीं कि डायबीटीज, दिल से जुड़ी बीमारियों खासकर हार्ट फेलियर के खतरे को कई गुना बढ़ा देता है। लेकिन अब दुनियाभर के 1 करोड़ 20 लाख लोगों पर की गई ग्लोबल स्टडी में यह बात सामने आयी है कि पुरुषों की तुलना में डायबीटीज से पीडि़त महिलाओं में हार्ट फेल होने का खतरा कई गुना अधिक होता है।
दुनियाभर में 41.5 करोड़ वयस्क डायबीटीज से पीडि़त
इंटरनैशनल डायबीटीज फेडरेशन के आंकड़ों की मानें तो फिलहाल दुनियाभर में 41 करोड़ 50 लाख वयस्क ऐसे हैं जो डायबीटीज से पीडि़त हैं। इन 41 करोड़ वयस्कों में से करीब 20 करोड़ महिलाएं हैं जो डायबीटीज की मरीज हैं। भारत जिसे आमतौर पर दुनिया का डायबीटीज कैपिटल कहा जाता है में साल 2017 में डायबीटीज के 7 करोड़ 20 लाख मामले थे। इसका मतलब है कि देश की करीब 9 प्रतिशत वयस्क आबादी डायबीटीज से पीडि़त है। अगर दिन खत्म होते-होते आपको कुछ न कुछ मीठा खाने की इच्छा जरूर होती है या फिर अगर आप बिना मीठा खाए रह नहीं पाते तो यह चीनी के नशे का सामान्य लक्षण है। इसके अलावा अगर आपको दिन भर थकान महसूस होती है, ज्यादा प्यास लगती है, बार-बार पेशाब लगती है, भूख ज्यादा लगती है, चिड़चिड़ापन महसूस होता है या फिर धुंधला दिखने लगता है तो यह सब इस बात का संकेत है कि आपके शरीर में शुगर की मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ गई है। हम आपको शुगर से होने वाली समस्याओं के साथ-साथ उस डायट के बारे में भी बता रहे हैं जिसे फॉलो कर बिना दवा के कंट्रोल में रहेगा डायबीटीज.
शुगर बढऩे से होती हैं ये समस्याएं
- ज्यादा चीनी खाने से टेस्ट बड्स मर जाते हैं। समय के साथ चीनी टेस्ट बड्स को सुन्न कर देती है, इसलिए मीठे स्वाद के लिए उन्हें ज्यादा चीनी खाने की इच्छा होती है।
- चीनी में फाइबर और प्रोटीन नहीं होता, केवल कैलरीज होती है। इसके कारण यह शरीर में ज्यादा इंसुलिन स्रावित करता है जो वजन बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होता है।
- जब आप चीनी खाते हैं, तो ब्लड शुगर जल्दी बढ़ता है। बुरे ब्लड शुगर से कॉग्निशन का खतरा होता है। इससे दिमाग खाना खाने के बाद भी शांत नहीं हो पाता है।
- ज्यादा बार बीमार पडऩा इस बात का संकेत है कि आपको चीनी के सेवन की मात्रा घटानी चाहिए। दरअसल यह आपकी इम्यूनिटी को कमजोर कर बीमारियों से लडऩे की क्षमता को घटाती है।
शुगर का स्तर बढऩे की वजहें
- लगातार काम करना
- दवाई या इंसुलिन का डोज पर्याप्त न होना
- डाइट कंट्रोल में नहीं होना
- एक्सर्साइज नहीं करना
- बॉडी में इन्फेक्शन होना
- ज्यादा तनाव लेना
- शरीर पर क्या होता है असर
- रेटिना पर असर होता है।
- किडनी पर असर होता है।
- यूरिन में प्रोटीन आने लगता है।
- नसों पर भी इसका असर होता है।
- हार्ट पर बुरा असर होता है।
हर 3-4 घंटे में थोड़ा-थोड़ा खाएं
डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए एक्सर्साइज और दवाओं के साथ डायट और खाने का तरीका भी बेहद अहम है। डायबीटीज के मरीजों को हर 3-4 घंटे में थोड़ा थोड़ा खाना चाहिए। साथ ही स्ट्रिक्ट डायट प्लान फॉलो करना चाहिए। ऐसा करने से दवा से पहले डायबीटीज को डायट के जरिये ही कंट्रोल किया जा सकता है।
ऐसी होनी चाहिए आपकी डायट
- ब्रेकफस्ट (सुबह 8 बजे): चाय या कॉफी बिना चीनी 1 कप, पनीर या उबला हुआ अंडा, वेजिटेबल सैंडविच या खीरा-टमाटर और दो स्लाइस ब्राउन ब्रेड या नमकीन दलिया या कॉर्नफलैक्स -एक कटोरी जामुन, पपीता, अमरुद
- लंच से पहले (11बजे): नींबू पानी या संतरे का जूस 1 गिलास
- लंच (1 बजे): 3 चपाती या डेढ़ कप चावल साबुत दाल या काले चने के साथ। 1 कटोरी सूखी सब्जी बिना आलू वाली। 1 कटोरी दही, 100 ग्राम रंग बिरंगी सब्जियों से बने सलाद आधी प्लेट
- शाम का नाश्ता (4 बजे)- चाय या कॉफी बिना चीनी, 1 कप भूने चने, भूना मक्का और 1 कटोरी मुरमुरा.
- डिनर (रात 8 बजे): मिक्स्ड वेजिटेबल सूप, 1 कटोरी मल्टीग्रेन वाली चपाती, 3 दाल या लोभिया या सोयाबीन की सब्जी, 1 कटोरी सीताफल/मटर/पालक/ सब्जी, 1 कटोरी खीरे का रायता या सलाद, आधी प्लेट फलसोने से पहले- स्किम्ड मिल्क एक गिलास
इन बातों को भी करें फॉलो
- चीजों को तलने के बजाय स्टीम, बेक या ग्रील कर लें.
- स्कीम्ड मिल्क पीएं भी और इससे बनी दही या पनीर ही खाएं।
- दाल-सब्जी में ऊपर से घी डालना बंद कर दें।
- एक्सर्साइज जरूर करें। चाहें तो केवल टहलें। करीब 45 मिनट वॉक जरूरी है।
- खाना एक साथ ज्यादा न खाएं। थोड़ा खाएं लेकिन समय पर खाएं। टाइम बांध लें खाने का।
- खाने में कार्बोहाइड्रेट 40 प्रतिशत, प्रोटीन 40 और वसा 20 प्रतिशत तक ही रखें।
पुरुषों की तुलना में हार्ट फेल का खतरा 47 प्रतिशत अधिक
डायबेटोलॉजिया नाम के जर्नल में प्रकाशित स्टडी की मानें तो टाइप 1 डायबीटीज से पीडि़त महिलाओं में पुरुषों की तुलना में हार्ट फेलियर होने का खतरा 47 प्रतिशत अधिक होता है जबकी टाइप 2 डायबीटीज के मामले में पुरुषों की तुलना में महिलाओं में हार्ट फेल होने का खतरा 9 प्रतिशत अधिक होता है। इस स्टडी के को-ऑथर सैन पीटर्स की मानें तो डायबीटीज से पीडि़त महिलाओं में दिल से जुड़ी बीमारियां अधिक होने के खतरे के पीछे कई कारण हैं।
महिलाओं में प्री-डायबीटीज की अवधि 2 साल से अधिक
पीटर्स कहते हैं, महिलाओं में प्रीडायबीटीज की अवधि पुरुषों की तुलना में 2 साल अधिक होती है और इस बढ़ी हुई अवधि की वजह से ही महिलाओं में हार्ट फेलियर का खतरा कई गुना अधिक होता है। इतना ही नहीं, डायबीटीज के मामले में महिलाओं के इलाज को बहुत ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया जाता है। साथ ही महिलाएं, पुरुषों की तरह डायबीटीज को बहुत ज्यादा सीरियसली नहीं लेती और दवाओं में भी लापरवाही करती हैं।