बीजिंग, 13 मई (भाषा) कोरोना वायरस संक्रमण के कारण होने वाली बीमारी के लक्षण, उसके निदान और शरीर पर उसके असर करने के तरीके का पता लगाने वाले वैज्ञनिकों का कहना है कि कोविड- 19 के कारण लोगों की मौत मुख्य रूप से रोग प्रतिरोधक क्षमता के अत्यधिक सक्रिय हो जाने की वजह से होती है।
पत्रिका फ्रंटियर्स इन पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित अध्ययन में अनुसंधानकर्ताओं ने चरणबद्ध तरीके से यह बात बताई है कि यह वायरस कैसे श्वास मार्ग को संक्रमित करता है, कोशिकाओं के भीतर कई गुणा बढ़ जाता है और गंभीर मामलों में प्रतिरोधी क्षमता को अतिसक्रिय कर देता है जिसे वैज्ञनिक भाषा में साइटोकाइन स्टॉर्म कहा जाता है।
साइटोकाइन स्टॉर्म श्वेत रक्त कोशिकाओं की अतिसक्रियता की स्थिति है। इस स्थिति में बड़ी मात्रा में साइटोकाइन रक्त में पैदा होते हैं। इस अध्ययन के लेखक एवं चीन की जुन्ई मेडिकल यूनीवर्सिटी में प्रोफेसर दाइशुन लियू ने कहा, सार्स और मर्स जैसे संक्रमण के बाद भी सा ही होता है।
आंकड़े दर्शाते हैं कि कोविड-19 से गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों को साइटोकाइन स्टॉर्म सिंड्रोम हो सकता है। लियू ने कहा, बेहद तेजी से विकसित साइटोकाइन अत्यधिक मात्रा में लिम्फोसाइट और न्यूट्रोफिल जैसी प्रतिरक्षा कोशिकाओं को आकर्षित करते हैं, जिसके कारण ये कोशिकाएं फेफड़ों के तकों में प्रवेश कर जाती है और इनसे फेफड़ों को नुकसान हो सकता है।
अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि साइटोकाइन स्टॉर्म से तेज बुखार और शरीर में खून जमना जैसी स्थिति पैदा हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि श्वेत रक्त कोशिकाएं स्वस्थ तकों पर भी हमला करने लगती हैं और फेफड़ों, हृदय, यकृत, आंतों, गुर्दा और जननांग पर प्रतिकूल असर डालती हैं जिनसे वे काम करना बंद कर देते हैं।
उन्होंने कहा कि कई अंगों के काम करना बंद कर देने के कारण फेफड़े काम करना बंद कर सकते हैं। इस स्थिति को एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम कहते हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि कोरोना वायरस से अधिकतर मौत का कारण श्वसन प्रणाली संबंधी दिक्कत है।