उच्चतम न्यायाल में राजनीतिक रूप से संवेदनशील अयोध्या के राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की सुनवाई बुधवार दूसरे दिन शुरू की। न्यायालय ने मध्यस्थता प्रक्रिया विफल होने के बाद नियमित सुनवाई का फैसला किया है।
मामले में पक्षकार निर्माेही अखाड़े की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सुशील जैन ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्ईय संविधान पीठ के समक्ष दूसरे दिन भी दलीलें जारी रखी। निर्माेही अखाड़े ने मंगलवार को मजबूती के साथ शीर्ष अदालत में विवादित 2.77 एकड़ जमीन पर दावेदारी पेश की और तर्क दिया कि 1934 से मुस्लिमों का उस स्थान पर प्रवेश नहीं हुआ है।
मामले की सुनवाई कर रही पीठ में न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं। पीठ ने पिछले शुक्रवार को तीन सदस्ईय मध्यस्थता समिति की रिपोर्ट पर संज्ञान लिया था। इस समिति की अध्यक्षता सर्वाेच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला कर रहे थे। समिति चार महीने की कोशिश के बावजूद किसी सर्वमान्य अंतिम नतीजे पर पहुंच नहीं पाई थी।