नई दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को सीबीआई को उस सड़क दुर्घटना मामले की जांच पूरी करने के लिए छह सितम्बर तक का समय दिया, जिसमें उन्नाव बलात्कार पीड़िता और उसके वकील गंभीर रूप से घायल हो गए थे जबकि उसकी दो रिश्तेदारों की मौत हो गई थी।
न्यायालय ने इससे पहले सीबीआई को जांच पूरी करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया था। न्यायालय ने यह देखते हुए जांच के लिए समय बढ़ा दिया कि जांच एजेंसी ने मामले में अभी तक काफी विस्तृत जांच की है।
न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की एक पीठ ने कहा, हमने सीबीआई की रिपोर्ट का अवलोकन किया है। इस अदालत ने एक अगस्त 2019 की तिथि वाले आदेश के जरिए जांच पूरी करने के लिए दो सप्ताह की एक समय-सीमा प्रदान की थी। रिपोर्ट देखने के बाद हमने पाया कि सीबीआई ने व्यापक जांच की है लेकिन कुछ सिरों को जोडऩे की जरुरत है।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, कुछ जांच पहले से एकत्रित सामग्री, विशेष तौर पर इलेक्ट्रॉनिक रिकार्ड के मिलान और विश्लेषण से संबंधित है। सबसे महत्वपूर्ण पीड़िता और कार चला रहे उसके वकील के बयान अभी तक दर्ज नहीं किए जा सके हैं, क्योंकि दोनों बयान देने की स्थिति में नहीं हैं।
सीबीआई ने बलात्कार पीड़िता और उसके वकील के बयान अब तक दर्ज ना हो पाने का हवाला देते हुए जांच पूरी करने के लिए अदालत से और चार सप्ताह का समय मांगा था। सीबीआई ने साथ ही यह भी कहा कि उसे अभी तक एकत्रित इलेक्ट्रॉनिक जांच का विश्लेषण भी करना है।
अदालत ने साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार को उस वकील को पांच लाख रुपए देने का आदेश भी दिया जो कि गंभीर स्थिति में है और उसका इलाज चल रहा है। पीठ ने यद्यपि बलात्कार पीड़िता के परिवार के सदस्यों द्वारा मीडिया में दिए सार्वजनिक बयानों पर आपत्ति जताई और कहा कि इससे मामले की सुनवाई के दौरान आरोपियों को मदद मिल सकती है।
पीठ ने कहा, आपको यदि कोई शिकायत है, हमसे नि:संकोच बताएं। हम आपकी मदद के लिए यहां पर हैं। उसके परिवार के कुछ सदस्य मीडिया में बयान दे रहे हैं। इससे आरोपियों को ही मदद मिल सकती है।
शुरूआत में वरिष्ठ अधिवक्ता वी गिरि ने पीठ से कहा कि सड़क दुर्घटना में घायल वकील गंभीर स्थिति में हैं और उन्हें आगे के इलाज के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली में भर्ती कराया गया है। गिरि मामले में शीर्ष अदालत का न्यायमित्र के तौर पर सहयोग कर रहे हैं।
पीठ ने कहा, उनके (वकील) इलाज और देखभाल के लिए काफी धनराशि की आवश्यकता है। यद्यपि एम्स में उन्हें इलाज मुफ्त में मुहैया कराया जा रहा है, कुछ खर्च हैं जो करने पड़ते हैं। हम इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार को पीड़ित वकील की पत्नी को आज से तीन दिन के भीतर पांच लाख रुपए प्रदान करने का निर्देश देते हैं। पीठ ने कहा, उक्त धनराशि बाद में अंतिम निर्धारित मुआवजे में समायोजित कर ली जाए।
पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, सीबीआई के लिए कौन पेश हो रहा है? आपने (सीबीआई) इस आधार पर (जांच पूरी करने के लिए) समय बढ़ाने के लिए कहा है कि पीड़ित और उसके वकील के बयान अभी तक दर्ज नहीं किए गए हैं। सीबीआई के लिए पेश हुए अधिवक्ता रजत नायर ने कहा कि एजेंसी ने इस संबंध में अर्जी दायर की है।
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई छह सितम्बर को करनी तय की है। एक अगस्त को शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार सरकार को बलात्कार पीड़िता को 25 लाख रुपए अंतरिम मुआवजे के तौर पर देने का निर्देश दिया था।
न्यायालय ने दो अगस्त को केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को मामले की जांच सात दिन के भीतर पूरी करने का निर्देश दिया था। साथ ही स्पष्ट किया था कि असाधारण परिस्थितियों में ही सीबीआई इस मामले की जांच की अवधि सात दिन और बढ़ाने का अनुरोध कर सकती है, लेकिन किसी भी स्थिति में एक पखवाड़े से ज्यादा यह समय-सीमा नहीं बढ़ाई जाएगी।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने सभी पांच संबंधित मामले दिल्ली स्थानांतरित करने का आदेश दिया था, लेकिन बाद में अपने आदेश को संशोधित कर दिया था और दुर्घटना मामले के स्थानांतरण पर जांच पूरी होने तक रोक लगा दी थी। आदेश में संशोधन करते हुए कहा गया था कि मामले के स्थानांतरण के चलते स्थानीय अदालत को आरोपियों के रिमांड का आदेश देने में तकनीकी दिक्कत हो रही है जिन्हें जांच के दौरान गिरफ्तार किया जा रहा है।
भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सेंगर पर लड़की से 2017 में अपने घर पर बलात्कार करने का आरोप है। घटना के वक्त पीड़िता नाबालिग थी। एक ट्रक ने पीड़िता की कार को टक्कर मार दी थी जिसमें उसकी दो रिश्तेदारों की मौत हो गई थी। उस कार में पीड़ित के साथ ही उसके परिवार के कुछ सदस्यों के अलावा उसके वकील भी थे।
घटना में पीड़िता की दो रिश्तेदारों की मौत हो गई थी। पीड़िता को लखनऊ के एक अस्पताल से हवाई मार्ग से दिल्ली के एम्स लाया गया था, जहां उसका इलाज जारी है और उसकी स्थिति नाजुक बताई गई है। (भाषा)