कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने का समर्थन किया है। सिंधिया ने ट्वीट किया कि “जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को लेकर उठाए गए कदम और भारत देश मे उनके पूर्ण रूप से एकीकरण का मैं समर्थन करता हूं”।ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि “संवैधानिक प्रक्रिया का पूर्ण रूप से पालन किया जाता तो बेहतर होता, साथ ही कोई प्रश्न भी खड़े नहीं होते। लेकिन ये फैसला राष्ट्र हित में लिया गया है और मैं इसका समर्थन करता हूं”
कांग्रेस में अलग अलग राय
कांग्रेस इस फैसले पर दो खेमों में बंटी हुई नजर आ रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व महासचिव जनार्दन द्विवेदी, मिलिंद देवड़ा और कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने इस फैसले का समर्थन किया।
रायबरेली की सदर सीट से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने मोदी सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह एक एतिहासिक फैसला है और इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे जम्मू कश्मीर के लोग मुख्यधारा से जुड़ जाएंगे। एक विधायक की हैसियत से मैं इस फैसले का स्वागत करती हूं।
सदन में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने फैसले का विरोध करते हुए कहा था कि “अतिरिक्त सुरक्षाबल भेजे जाने के बाद से ही आशंकाएं थीं। गृहमंत्री अमित शाह सदन में आए तो एटम बम फट गया। जम्मू-कश्मीर के इतिहास की शुरुआत वहां के प्रधानमंत्री के साथ हुई थी, लेकिन अब आपने उसे लेफ्टिनेंट गवर्नर पर लाकर खत्म कर दिया है, ताकि आप चपरासी भी खुद नियुक्त कर सकें। वोट के लिए कश्मीर के टुकड़े कर दिए। भाजपा ने संविधान की हत्या कर एक राज्य का इतिहास ही खत्म कर दिया।”
गुलाब नबी आजाद ने कहा, “जिन लोगों को जम्मू-कश्मीर का इतिहास या कांग्रेस का इतिहास पता नहीं, उनसे मुझे कोई लेना देना नहीं है। वो पहले जम्मू-कश्मीर और कांग्रेस का इतिहास पढ़ें, फिर कांग्रेस में रहें।”
वहीं जनार्दन द्विवेदी ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को रद्द करने के सरकार के फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन किया। जनार्दन द्विवेदी ने कहा, “मेरे राजनीतिक गुरु राम मनोहर लोहिया हमेशा अनुच्छेद 370 के खिलाफ थे। आज इतिहास की एक गलती को सुधार लिया गया है, भले ही देर से।”
द्विवेदी ने यह साफ किया कि वह पार्टी की ओर से नहीं बोल रहे हैं, बल्कि यह उनकी निजी राय है। हालांकि द्विवेदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से संबंधित विधेयक के बारे कोई संदेह नहीं है कि यह लोकसभा में पारित हो जाएगा।
वहीं, कांग्रेस सांसद मिलिंद देवड़ा ने भी अपने बयान से कांग्रेस में चल रही ऊहापोह की स्थिति को सामने ला दिया। मिलिंद देवड़ा ने ट्वीट कर कहा कि दुर्भाग्य से आर्टिकल 370 के मसले को लिबरल और कट्टर की बहस में उलझाया जा रहा है। पार्टियों को अपने वैचारिक मतभेदों को किनारे कर भारत की संप्रभुता, कश्मीर शांति, युवाओं को रोजगार और कश्मीरी पंडितों के लिए न्याय के लिहाज से सोचना चाहिए।