अंबाला, 10 सितम्बर (भाषा) फ्रांस द्वारा निर्मित बहु भूमिका वाले पांच राफेल लड़ाकू विमानों को बृहस्पितवार को अंबाला एयर बेस पर हुए शानदार समारोह में भारतीय वायु सेना में औपचारिक रूप से शामिल किया गया। यह भारत की वायु शक्ति की क्षमता को से समय में बढ़ा रहा है जब देश पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा विवाद में उलझ हुआ है।
इस अवसर का इस्तेमाल सीमा विवाद पर चीन को एक कड़ा संदेश देने के लिए करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सीमा के पास बने माहौल को देखते हए विमानों को शामिल किया जाना अहम है और कहा कि यह भारत की संप्रुभत्ता पर नजर गड़ाने वालों के लिए बड़ा एवं सख्त संदेश है।
सिंह के अलावा इस तकरीबन दो घंटे के समारोह में फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष बिपिन रावत और एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया और राफेल सौदे में शामिल फ्रांस की बड़ी रक्षा कंपनियों के कई शीर्ष अधिकारी उपस्थित थे।
अंबाला वायु सेना केंद्र पर भारतीय वायु सेना के गोल्डन एरोज स्क्वाड्रन में राफेल विमानों को शामिल किए जाने के इस समारोह में पारंपरिक सर्व धर्म पूजा, पानी की बौछारों से विमानों को सलामी देने के साथ ही विमान द्वारा दिल थाम देने वाले कई करतब दिखाए गए।
सिंह ने कहा, राफेल विमानों को शामिल किया जाना पूरी दुनिया, खासकर जो भारत की संप्रभुता पर नजर गड़ाए हुए हैं, उनके लिए एक बड़ा एवं कड़ा संदेश है। हाल के दिनों में हमारी सीमाओं पर बन रहे माहौल के लिए इस प्रकार का समावेशन बहुत जरूरी है।
सिंह ने कहा, हम बहुत अच्छे से समझ्ते हैं कि बदलते वक्त के साथ हमें खुद को तैयार करना होगा। मुझ्े यह कहते हुए गर्व होता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा एक बड़ी प्राथमिकता है।
इस मौके पर एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया ने कहा कि सुरक्षा परिदृश्य को देखते हुए राफेल विमानों को ब़ेड़े में शामिल करने का इससे उचित वक्त नहीं हो सकता था।
संक्षिप्त संबोधन में, पार्ली ने कहा कि फ्रांस भारत के रक्षा उद्योग को फ्रांस के वैश्विक सैन्य आपूर्ति श्रृंखला के साथ एकीकृत करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। वहीं उन्होंने राफेल विमानों को भारतीय वायु सेना में शामिल किए जाने को द्विपक्षीय रक्षा संबंधों में एक नया अध्याय बताया।
समारोह में, स्वदेश विकसित लड़ाकू विमान- तेजस और सारंग हेलीकॉप्टर दस्ते की हवाई कलाबाजी टीम ने कई करतब दिखाए। भारतीय वायु सेना ने एक ट्वीट कर इस नए विमान का अपने शस्त्रागार में स्वागत किया।
फ्रांस की एरोस्पेस क्षेत्र की दिग्गज कंपनी दसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित बहु भूमिका वाले राफेल विमानों को हवाई श्रेष्ठता और सटीक निशानों के लिए जाना जाता है। पांच राफेल विमानों का पहला जत्था 29 जुलाई को भारत पहुंचा था। इससे करीब चार साल पहले भारत ने फ्रांस के साथ 59,000 करोड़ रुपए की लागत से से 36 विमानों की खरीद के लिए अंतर सरकारी समझैते पर हस्ताक्षर किए थे।
समारोह में मौजूद फ्रांसीसी प्रतिनिधिमंडल में फ्रांस के राजदूत एमैनुएल लेनाइन, फ्रांसीसी वायु सेना के उपप्रमुख एयर जनरल एरिक टेलेट और दसॉल्ट एविएशन के चेयरमैन एवं मुख्य कार्यकारी एरिक ट्रैपियर और मिसाइल निर्माता एमबीडीए के सीईओ एरिक बीरेंजर शामिल थे।
बीरेंजर ने समारोह के बाद कहा, एमबीडीए ने पिछले 50 वर्षों में भारतीय सशस्त्र बलों के साथ करीबी साझेदारी बनाई है। उन्होंने कहा, हम भारतीय वायु सेना के राफेल विमानों को पूर्ण व्यापक हथियार पैकेजों से लैस कर गर्व महसूस कर रहे हैं। इनमें क्रांतिकारी मिसाइल मीटियोर और एमआईसीए हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल तथा स्काल्प क्रूज मिसाइल शामिल है जो कठिन एवं गंभीर वातावरण में हवाई मिशनों को अंजाम दे सकती हैं।
अब तक भारत को 10 राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति की गई है और इनमें से पांच भारतीय वायु सेना के पायलटों को प्रशिक्षण देने के मकसद से फ्रांस में ही थे। सभी 36 विमानों की आपूर्ति 2021 के अंत तक पूरी होनी निर्धारित है।
चार से पांच राफेल विमानों का दूसरा जत्था नवंबर में भारत पहुंच सकता है।
राफेल विमान, रूस से सुखोई विमानों की खरीद के बाद 23 वर्षों में लड़ाकू विमानों की भारत की पहली बड़ी खरीद है।
राफेल विमान कई शक्तिशाली हथियारों को साथ ले जा सकने में सक्षम है। नजर आने की रेंज से परे हवा से हवा में मार करने वार्ली बीवीआरएएएमी यूरोपीय मिसाइल निर्माता एमबीडीए की मीटियोर मिसाइल और स्काल्प क्रूज मिसाइल राफेल विमानों के हथियार पैकेज का मुख्य आधार होगा।
36 राफेल विमानों में से 30 लड़ाकू विमान होंगे और छह प्रशिक्षण विमान। प्रशिक्षण विमानों में दो सीट होंगी और उनमें लड़ाकू विमान वाली लगभग सभी विशेषताएं होंगी। जहां राफेल विमानों का पहला बेड़ा अंबला हवाई ठिकाने पर तैनात होगा वहीं दूसरा दस्ता पश्चिम बंगाल के हसीमारा हवाई ठिकाने पर तैनात रहेगा।
भारतीय वायु सेना का 17वां स्क्व़ाड्रन पिछले साल 10 सितंबर को दोबारा खड़ा किया गया था।
जहाजों का यह बेड़ा असल में एक अक्टूबर, 1951 को एयर फोर्स स्टेशन, अंबाला में खड़ा किया गया था। 17वें स्क्वाड्रन के नाम पर कई पहली चीजें दर्ज हैं। 1955 में इसे पहले लड़ाकू विमान, प्रसिद्ध डी हैविलेंड वैम्पायर से लैस किया गया था।