कुछ लोगों के गैरजिम्मेदाराना रवैए की वजह से देश में गहराया कोरोना संकट : डा. हर्षवर्धन

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नई दिल्ली, 19 अप्रैल (भाषा) पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले चुकी कोरोना वायरस महामारी को लेकर देश के स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन का मानना है कि अन्य देशों की तुलना में भारत की स्थिति न सिर्फ संतोषजनक है, बल्कि अगर कुछ लोगों ने गैरजिम्मेदाराना रवैया नहीं दिखाया होता तो आज देश इस जंग में जीत के और अधिक करीब होता।   

कोरोना के खिलाफ अभियान में अब तक के प्रयास और परिणाम को लेकर पीटीआई-भाषा को दिए साक्षात्कार में डा हर्षवर्धन ने यह बात कही। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, हम कोविड-19 से होने वाले नुकसान को काफी हद तक रोकने में सफल रहे हैं। लॉकडाउर्न बंदी और सोशल डिस्टेंसिंग के निर्देशों का लगभग सभी लोगों ने निष्ठापूर्वक पालन किया। 

लॉकडाउन अब तक कितना कारगर रहा के सवाल पर उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि लॉकडाउन, पूरी तरह से सफल साबित हुआ है और इसने हमें बड़ी चुनौती से निपटने में भी सक्षम बना दिया है। प्रधानमंत्री मोदी के 14 अप्रैल के संबोधन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अगर देश में 25 मार्च से 21 दिन का पूर्ण लॉकडाउन नहीं लागू किया गया होता तो भारत की हालत यूरोप के देशों जैसी ही खराब होती। 

भारत में तेजी से संक्रमण बढऩे के मद्देनजर सामुदायिक संक्रमण की स्थिति में पहुंचने की आशंकाओं को निराधार बताते हुए डा. हर्षवर्धन ने कहा, मैंनें पहले भी स्पष्ट किया है कि देश के न तो अभी और न ही आने वाले समय में तीसरे चरण यानि सामुदायिक संक्रमण की स्थिति में प्रवेश की कोई आशंका है। हम यह कह सकते हैं कि कई बार निमोनिया के सैंकड़ों रोगियों के नमूनों की जांच की गई, लेकिन तीसरे चरण की स्थिति बनने के कोई आसार दिखाई नहीं दिए। उन्होंने कहा कि देश के कुल 730 जिलों में से 353 में संक्रमण का कोई असर नहीं है। संतोष की बात है कि उपचार के बाद स्वस्थ होने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।  

संक्रमण की दर में अचानक उछाल आने के बारे में उन्होंने कहा, हमने कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए सभी हतियाती कदम उठा लिए थे लेकिन कुछ लोगों के गैरजिम्मेदाराना रवैए, उनके अनियंत्रित व्यवहार से अनेक राज्यों में संक्रमण बढ़ा। नतीजतन 29.3 फीसद नए मामले, एक विशेष समुदाय के कारण उपजे हालात के फलस्वरूप सामने आए हैं। उन्होंने इसे दुर्भाज्ञपूर्ण घटना बताते हुए कहा कि अब इसके विश्लेषण से ज्यादा आवश्यकता इस बात की है कि सारे देश में से सभी लोगों की तलाश की जाए, उनका उपचार किया जाए, जो कि हम कर रहे हैं। 

गत जनवरी में सबसे पहले केरल में तीन मरीजों के सामने आने और उनके स्वस्थ होने के बाद भी सरकार द्वारा विदेशों से आवागमन नहीं रोकने को रणनीतिक चूक मानने से इंकार करते हुए डा. हर्षवर्धन ने कहा, जैसे ही चीन ने सात जनवरी को कोरोना वायरस की जानकारी दी हमने उससे अगले दिन यानि आठ जनवरी को तैयारियां शुरू कर दी। उन्होंने कहा, इसी दिन स्वास्थ्य मंत्रालय में टैक्निकल हेल्थ ज्वाइंट कमेटी गठित की गई। बाद में प्रधानमंत्री जी ने मेरी अध्यक्षता में कोविड-19 पर मंत्री समूह का गठन किया। इस समूह की अगुवाई में ही पूरा अभियान चल रहा है। जिसके फलस्वरूप कोरोना पर काबू पाने में हम विकसित देशों के मुकाबले बेहतर स्थिति में हैं। 

चिकित्सा उपकरणों की कमी के सवाल पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि हम उपकरणों की उपलब्धता पर चौबीसों घंटे नजर रखते हैं और इनकी बिल्कुल भी कमी नहीं होने देते। इसके लिए एक नहीं अनेक प्रकार की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा, जहां तक वेंटिलेटर की बात है, यह स्पष्ट करना जरूरी है कि बहुत कम लोगों को ही इसकी जरूरत होती है। इस समय बड़ी संख्या में वेंटिलेटर की जरूरत नहीं है और कोविड-19 के विशेष अस्पतालों में 10,600 से अधिक संख्या में वेंटिलेटर उपलब्ध है। 55,884 वेंटिलेटर की खरीद के आर्डर दे दिए गए हैं। 

देश में परीक्षण कम होने के आरोप के बारे में उन्होंने कहा कि भारत जैसी विशाल आबादी वाले देश में, जहां संक्रमण सीमित तौर पर फैला हो, वहां आबादी के अनुपात में परीक्षण करना संसाधनों की सीमित उपलब्धता के लिहाज से गलत रणनीति है। उन्होंने कहा कि संभावित मरीजों और संक्रमण के संभावित क्षेत्रों को परीक्षण के दायरे में लाकर संक्रमण को रोकने की रणनीति कारगर है।

हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की देश में कमी होने के बावजूद अन्य देशों को निर्यात करने के फैसले के औचित्य के सवाल पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन सहित किसी भी दवा की कोई कमी नहीं है। बतौर स्वास्थ्य मंत्री, मैंने सीजीएचएस आरोग्य केन्द्रों को निर्देश दिया है कि लाभार्थियों को एक साथ तीन महीने की दवा जारी करें ताकि उन्हें बार बार डिस्पेंसरी नहीं आना पड़े। उन्होंने कहा, कुछ देशों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की पूर्ति की जा रही है, इसका यह मतलब नहीं कि देश में इस दवा की कमी हो जाएगी। हमारे लिए देशवासियों की जरूरत पहली और सर्वोच्च प्राथमिकता है और सदैव बनी रहेगी। 

चिकित्साकर्मियों पर हो रहे हमलों के बारे में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, कोरोना योद्धाओं के साथ बदसलूकी की अवांछित घटनाएं हुई हैं। इन घटनाओं पर गृह मंत्रालय ने संज्ञन लेकर से मामलों में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियर्म एनएसएी के अंतर्गत कड़ी कार्रवाई करने को कहा है। मेरा विश्वास है कि अब हमारे स्वास्थ्य योद्धाओं को निडर होकर काम करना चाहिए क्योंकि सरकार पूरी ताकत के साथ उनके लिए खड़ी है। 

 संक्रमण वृद्धि की गति में गिरावट के बाद अब लॉकडाउन के भविष्य के सवाल पर डा. हर्षवर्धन ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी जी ने सभी राज्यों और संबंधित पक्र्षां से पर्याप्त परामर्श करने के बाद ही ल़ॉकडाउन की अवधि तीन मई तक बढ़ाने का फैसला किया है। इसके बाद भी लॉकडाउन के बारे र्मं यह स्पष्ट है कि जिन छेत्रों में 20 अप्रैल के बाद सशर्त रियायत के बावजूद हालात सामान्य नहीं र्हांगे, तब फिर वहां सख्त कदम उठाने र्हांगे क्र्यांकि हमारा मकसद देश के 135 करोड़ लोर्गां का जीवन सामान्य बनाना है।

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