इंदौर, 17 फरवरी (भाषा) भारतीय रेलवे की सहायक कंपनी इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन (आईआरसीटीसी) ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत यह बताने से साफ इनकार कर दिया है कि तेजस ट्रेनें चलाने से उसे कितनी कमाई हो रही है।
इस सिलसिले में मांगी गयी जानकारी साझा नहीं किये जाने के पीछे आईआरसीटीसी की दलील है कि यह सूचना कम्पनी के वाणिज्यिक ब्योरे और व्यापार गोपनीयता (ट्रेड सीक्रेट) से जुड़ी होने के चलते खुलासे के दायरे से कानूनन बाहर है। हालांकि, देश के एक पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त ने मामले में प्रावधानों संबंधी सवाल उठाते हुए आईआरसीटीसी के रुख को अनुचित ठहराया है।
मध्यप्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने सोमवार को “पीटीआई-भाषा” को बताया कि उन्होंने 13 दिसंबर 2019 को आईआरसीटीसी को सूचना के अधिकार के तहत अर्जी भेजकर जानना चाहा था कि रेल मंत्रालय के तहत आने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के इस उपक्रम को तेजस ट्रेनें चलाने से कुल कितना राजस्व प्राप्त हुआ है और इस परिचालन से उसे कितना शुद्ध मुनाफा या घाटा हुआ है?
गौड़ ने बताया कि आईआरसीटीसी के एक केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) ने 27 दिसंबर 2019 को यह कहते हुए उक्त जानकारी देने से इंकार कर दिया कि वर्ष 2005 के आरटीआई अधिनियम के तहत कमाई, मुनाफे और घाटे से जुड़ा ब्योरा उन बिंदुओं की सूची में रखा गया है जिनके खुलासे से कानूनी छूट प्राप्त है।
आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया कि आईआरसीटीसी के इस जवाब को चुनौती देते हुए उन्होंने इसके खिलाफ अपील दायर की थी। लेकिन उन्हें जानकर गहरा धक्का लगा, जब आईआरसीटीसी के एक प्रथम अपील अधिकारी ने 11 फरवरी को दिये गये आदेश में सीपीआईओ के जवाब को सही ठहराया और उनकी अपील खारिज कर दी।
प्रथम अपील अधिकारी ने कहा, “यह सूचित किया जाता है कि आपके (गौड़) द्वारा मांगी गयी जानकारी उपलब्ध नहीं करायी जा सकती, क्योंकि यह कम्पनी (आईआरसीटीसी) के आंतरिक दस्तावेजों से जुड़ी है जिनमें वाणिज्यिक ब्योरे और व्यापार गोपनीयता (ट्रेड सीक्रेट) शामिल हैं। वर्ष 2005 के आरटीआई अधिनियम के तहत इस सूचना के खुलासे से छूट प्राप्त है।”
इस बीच, देश के पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने “पीटीआई-भाषा” से कहा, “अव्वल तो आईआरसीटीसी को स्पष्ट करना चाहिये था कि तेजस ट्रेनों के परिचालन से मिलने वाले राजस्व की जानकारी आरटीआई अधिनियम के किन प्रावधानों के तहत नहीं दी जा सकती। लेकिन उसने यह जानकारी देने से लगातार दो बार इंकार करते वक्त इन प्रावधानों का जिक्र ही नहीं किया।”
गांधी ने कहा, “चूंकि आईआरसीटीसी देश में रेलवे क्षेत्र का अपने किस्म का अकेला सार्वजनिक उपक्रम है। इसलिये यह भी नहीं माना जा सकता कि तेजस ट्रेनों के परिचालन से मिलने वाले राजस्व की जानकारी देने से उसके प्रतिस्पर्धात्मक हितों को कोई नुकसान पहुंच सकता है।”
पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त ने यह भी कहा की सरकारी क्षेत्र का कोई भी उपक्रम केवल यह कहते हुए आरटीआई आवेदक को जानकारी देने से इंकार नहीं कर सकता कि मांगी गयी सूचना उसके किसी “आंतरिक मामले” से जुड़ी है। सभी सरकारी उपक्रमों को आरटीआई के तहत सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) की परियोजनाओं की जानकारी भी साझा करनी चाहिये, क्योंकि इनमें करदाताओं का भी पैसा लगा होता है।