मनमोहन ने सरकार को सीएए वापस ले कर राष्ट्रीय एकता मजबूत करने की सलाह दी

फाइल फोटो
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नई दिल्ली, 6 मार्च पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश के सामने सामाजिक विद्वेष, आर्थिक सुस्ती और वैश्विक महामारी के आसन्न खतरे का जिक्र करते हुए शुक्रवार को सरकार से संशोधित नागरिकता कानूर्न सीएएी वापस लेने या उसमें संशोधन कर राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने की सलाह दी।   साथ ही, सिंह ने सरकार को सभी र्जा कोविड-19 को रोकने में लगाने, इससे निपटने के लिए पर्याप्त तैयारी करने तथा उपभोग मांग को बढ़ावा देने के लिए एक विस्तृत एवं कुशल वित्तीय प्रोत्साहन योजना लाने और अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने की भी सलाह दी।   

पूर्व प्रधानमंत्री ने सरकार को चेतावनी भी दी और कहा कि ए खतरे संयुक्त रूप से न सिर्फ भारत की आत्मा को चोट पहुंचाएंगे, बल्कि देश की वैश्विक छवि को भी नुकसान पहुंचाएंगे।   उन्होंने अंग्रेजी समाचारपत्र द हिंदू में एक विचार स्तंभ में यह चेतावनी भी दी कि जिस भारत को हम जानते हैं और जिसे हमने संजो कर रखा है, वह बहुत तेजी से ओझ्ल हो रहा है तथा स्थिति बहुत गंभीर और खराब है।   सिंह ने दिल्ली हिंसा का मुद्दा पुरजोर तरीके से उठाते हुए कहा कि साम्प्रदायिक तनाव भड़काए गए और राजनीतिक वर्ग सहित समाज के अराजक तबकों ने धार्मिक असहिष्णुता को हवा दी।  उन्होंने कहा, विश्वविद्यालय परिसर, सार्वजनिक स्थल और निजी आवास साम्प्रदायिक हिंसा की विभिषिका को झ्ेल रहे हैं, जो भारत के इतिहास के बुरे दिनों की याद दिलाते हैं। 

 देश द्वारा सामना किए जा रहे खतरों के प्रति आगाह करते हुए उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था की संस्थाओं ने नागरिकों की रक्षा करने के अपने धर्म से मुंह मोड़ लिया है।   न्यायिक संस्थाएं और लोकतंत्र का चौथा खंभा, मीडिया, भी लोगों की उम्मीदों को पूरा कर पर पाने में नाकाम रहा है।   पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, भारत सामाजिक विद्वेष, आर्थिक सुस्ती और वैश्विक महामारी के आसन्न खतरे का सामना कर रहा है। सामाजिक अशांति और अर्थव्यवस्था की बदहाली खुद लाई गई है जबकि कोविड-19 रोग का स्वास्थ्य खतरा नए कोरोना वायरस द्वारा पैदा किया गया है,जो बाहर से आया है।  भारी मन से मैं यह लिख रहा हूं– शब्दों के साथ ओपेड की शुरूआत करते हुए सिंह ने कहा, मुझे बहुत चिंता है कि संयुक्त रूप से ए खतरे न सिर्फ भारत की आत्मा को चोट पहुंचाएंगे, बल्कि एक आर्थिक एवं लोकतांत्रिक शक्ति के रूप में हमारी वैश्विक छवि को भी नुकसान पहुंचाएंगे।   

अपने आलेख में सिंह ने इन चुनौतियों का हल करने के लिए सलाह की भी पेशकश करते हुए इसे एक तीन सूत्री योजना बताया।  सिंह ने कहा, पहला, उर्से सरकार कोी सभी र्जा और कोशिशें कोविड-19 को रोकने में लगानी चाहिए तथा पर्याप्त तैयारी करनी चाहिए। दूसरा, उसे संशोधित नागरिकता कानूर्न सीएएी वापस लेना चाहिए, जहरीले सामाजिक विद्वेष को खत्म करना चाहिए और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करना चाहिए।  उन्होंने कहा, तीसरा, यह कि उसे उपभोग मांग को बढ़ावा देने के लिए एक विस्तृत एवं कुशल वित्तीय प्रोत्साहन योजना लाना चाहिए तथा अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकनी चाहिए।  सिंह ने कहा कि उनकी मंशा भय बढ़ाने की नहीं है और उनका मानना है कि भारत के लोगों को सच्चाई से अवगत कराना उनका कर्तव्य है। 

 पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, सच्चाई यह है कि मौजूदा स्थिति बहुत गंभीर और खराब है।  उन्होंने कहा, जिस भारत को हम जानते हैं और जिसे हम संजो कर रखे हुए हैं वह बहुत तेजी से ओझ्ल हो रहा है। जानबूझ् कर साम्प्रदायिक तनाव भड़काए गए, भारी आर्थिक कुप्रबंधन और बाहरी स्वास्थ्य खतरे भारत की प्रगति को पटरी से उतारने का खतरा पेश कर रहे हैं। एक राष्ट्र के रूप में हम जिन गंभीर खतरों का सामना कर रहे हैं उस कड़वी हकीकत का मुकाबला करने और उनका समाधान करने का यह वक्त है।   सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सिर्फ कथनी से बल्कि करनी से भी राष्ट्र को विश्वास दिलाना चाहिए कि देश जिन खतरों का सामना कर रहा है उन्हें इस बात की जानकारी है। उन्हें राष्ट्र को यह भरोसा दिलाया चाहिए कि वह इससे आसानी से बाहर निकाल सकते हैं।   उन्होंने को कहा कि मोदी को कोरोना वायरस के खतरे के लिए आकस्मिक योजना का ब्योरा फौरन उपलब्ध कराना चाहिए।   

पूर्व प्रधानमंत्री ने चेतावनी दी कि बगैर किसी रोकटोक के सामाजिक तनाव तेजी से पूरे देश में फैल रहा है और हमारे राष्ट्र की आत्मा के लिए खतरा पेश कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस आग को वही लोग बुझ सकते हैं जिन्होंने यह लगाई है।   उन्होंने कहा कि देश में मौजूदा हिंसा को उचित ठहराने के लिए भारत के इतिहास में हुई इस तरह की हिंसा का उदाहरण दिए जाने को व्यर्थ बताया।   उन्होंने कांग्रेस के शासन के दौरान हुई हिंसा को लेकर भाजपा द्वारा उसकी आलोचना किए जाने की ओर संभवत: इशारा करते हुए यह कहा।   

सिंह ने आर्थिक स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि सामाजिक अशांति का मौजूदा आर्थिक सुस्ती पर सिर्फ नुकसानदेह प्रभाव पड़ा है। इस वक्त इस तरह की सामाजिक अशांति आर्थिक सुस्ती को सिर्फ बढ़ाएगा ही।   उन्होंने कहा, निवेशक, उद्योगपति एवं उद्यमी नई परियोजनाएं शुरू करने में इच्छुक हैं…।  उन्होंने कहा, सामजिक व्यवधान और साम्प्रदायिक तनाव सिर्फ उनकी आशंकाओं को बढ़ा रहे हैं। आर्थिक विकास की बुनियाद अब जोखिम में है।    सिंह ने कोरोना वायरस के खतरे का जिक्र करते हुए कहा कि भारत को अवश्य ही एक टीम की घोषणा करनी चाहिए जिसे इस मुद्दे का हल करने की जिम्मेदारी दी जाएगी। भारत अन्य देशों से सर्वश्रेष्ठ उपायों को अपना सकता है।  (भाषा)

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