राष्ट्रपति को लिखे हरिवंश के पत्र में सच्चाई के साथ संवेदनाएं भी : मोदी

फाइल फोटो
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नई दिल्ली, 22 सितम्बर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश की ओर से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लिखे पत्र के हर शब्द को लोकतंत्र के प्रति आस्था को नया विश्वास देने वाला बताते हुए कहा कि इसमें सच्चाई के साथ-साथ संवेदनाए भी हैं और देशवासियों को इसे जरूर पढऩा चाहिए।

मोदी ने पत्र की प्रति ट्वीटर पर साझ करते हुए कहा, माननीय राष्ट्रपति जी को माननीय हरिवंश जी ने जो पत्र लिखा, उसे मैंने पढ़ा। पत्र के एक-एक शब्द ने लोकतंत्र के प्रति हमारी आस्था को नया विश्वास दिया है। यह पत्र प्रेरक भी है और प्रशंसनीय भी। इसमें सच्चाई भी है और संवेदनाएं भी। मेरा आग्रह है, सभी देशवासी इसे जरूर पढ़ें।

मालूम हो कि रविवार को उच्च सदन में कृषि संबंधी विधेयकों को पारित किए जाने के दौरान भारी हंगामा हुआ था। इस विरोध के बावजूद किसान उत्पादन व्यापार एवं वाणिज्र्य प्रोत्साहन एवं सुविधाी विधेयक 2020 तथा किसार्न सशक्तिकरण एवं संरक्षणी मूल्य आश्वासन का समझैता एवं कृषि सेवा विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया था।

अगले ही दिन अमर्यादित व्यवहार के कारण विपक्षी दलों के आठ सदस्यों को शेष सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया जिसके विरोध में आठों निलंबित सदस्य संसद भवन परिसर में ही अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए।

राष्ट्रपति को लिखे पत्र में हरिवंश ने विपक्षी सदस्यों के कथित आपत्तिजनक आचरण पर गहरी पीड़ा जताई है और घोषणा की कि वह 24 घंटे का उपवास करेंगे। पत्र में उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे आपत्तिजनक आचरण करने वाले सदस्यों में आत्म-शुद्धि का भाव जागृत होगा।

उन्होंने कहा, 20 सितंबर को राज्यसभा में जो कुछ भी हुआ, उससे पिछले दो दिनों से गहरी आत्मपीड़ा, आत्मतनाव और मानसिक वेदना में हूं। पूरी रात सो नहीं पाया। हरिवंश ने कहा कि 20 सितंबर को उच्च सदन में जो दृश्य उत्पन्न हुआ, उससे सदन और आसन की मर्यादा को अकल्पनीय क्षति हुई है। हरिवंश ने राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को भी एक पत्र लिखकर अपनी पीड़ा व्यक्त की।

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