राजनांदगांव रायपुर, छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में पुलिस ने पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के पुत्र तथा पूर्व सांसद अभिषेक सिंह समेत 20 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है।
राजनांदगांव जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक यूबीएस चौहान ने बृहस्पतिवार को बताया कि राजनांदगांव के पूर्व सांसद अभिषेक सिंह, पूर्व सांसद मधुसूदन यादव और कांग्रेस नेता नरेश डाकलिया समेत 20 लोगों के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। इनमें अनमोल इंडिया चिट फंड कंपनी के 17 निदेशक और कोर कमेटी सदस्य शामिल हैं।
चौहान ने बताया कि स्थानीय अदालत के निर्देश के बाद पुलिस ने जिले के चार अलग अलग थानों में सभी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। अभी तक किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हुई है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि सभी के खिलाफ जिले के खैरागढ़ पुलिस थाने में दो मामले तथा चिखली पुलिस चौकी और अंबागढ़ चौकी पुलिस थाना में एक एक मामले दर्ज किए गए हैं।
राजनांदगांव जिले के एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि अभिषेक सिंह, यादव और डाकलिया ने अनमोल इंडिया चिटफंड कंपनी के लिए प्रचार का कार्य किया था। यह कंपनी वर्ष 2016 में बंद हो गई थी। उन्होंने बताया कि जिले के चिटफंड कंपनी में निवेश करने वाले पांच लोगों ने पिछले दिनों स्थानीय अदालत में याचिका दायर की थी कि कंपनी ने उनसे लाखों रूपए की धोखाधड़ी की है। याचिकाकर्ताओं ने सिंह, यादव और डाकलिया के खिलाफ भी कार्वाई करने की मांग की थी।
अधिकारी ने बताया कि अदालत ने पिछले सप्ताह पुलिस को संबंधित थानों में मामला दर्ज का निर्देश दिया था। उन्होंने बताया कि सिंह, यादव और डाकलिया पर आरोप है कि उन्होंने कंपनी के लिए प्रचार का कार्य किया था जिससे निवेशक आकर्षित हो सकें। खैरागढ़ पुलिस थाने में शिकायत करने वाले निवेशक श्रीराम वर्मा और शिव कुमार साहू ने आरोप लगाया है कि कंपनी ने दोनों से 1.18 लाख रूपए और 1.12 लाख रूपए का गबन किया है।
दोनों ने पुलिस में शिकायत की है कि कंपनी ने उनसे कुछ ही महीनों में पैसे के दोगुना होने का वादा किया था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और निवेशकों को कोई भी लाभ नहीं मिला। इससे पहले इस वर्ष जून जुलाई महीने में राज्य के अंबिकापुर जिले में सिंह, यादव और डाकलिया के खिलाफ चिटफंड में धोखाधड़ी के चार मामले दर्ज किए गए थे।
इन मामलों को लेकर पूर्व सांसद अभिषेक सिंह ने कहा है कि पूर्व में ऐसे ही मामलों पर दर्ज शिकायत को लेकर उच्चतम न्यायालय ने उनके खिलाफ कार्वाई पर रोक लगाई है। अगर इसे लेकर निष्पक्ष जांच होती है तब सच्चाई सबके सामने आ जाएगी। उन्होंने कहा कि यह मामले किसी रणनीति का हिस्सा प्रतीत हो रहा है।
सिंह के अधिवक्ता विवेक शर्मा का कहना है कि अंबिकापुर में मामला दर्ज होने के बाद उन्होंने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में अपील की थी कि अंबिकापुर में दर्ज किए गए मामलों को रद्द किए जाए। शर्मा ने बताया कि इसके बाद छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 के तहत अपराध की जांच पर रोक लगा दी थी।
हालांकि उच्च न्यायालय ने भारतीय दंड विधान और छत्तीसगढ़ के निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत दर्ज मामलों की जांच की अनुमति दी थी। उन्होंने बताया कि इसके बाद सिंह ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। (भाषा)