चुनाव आचार संहिता हटते ही मध्यप्रदेश सरकार ने अपने हिसाब से नौकरशाहों का तबादला शुरू कर दिया है। बीते शनिवार की मध्यरात्री को 33 आईएएस अधिकारियों के तबादले किए गए, जबकि उसके ढाई घंटे पहले ही 37 आईपीएस अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया गया था।
राज्य में अभी कमलनाथ सरकार को आए 165 दिन ही हुए हैं और अब तक कुल 450 से अधिक आईएएस-आईपीएस अधिकारियों का तबादला कर दिया गया है, जिनमें से 84 आईएएस और बाकी आईएएस अफसर हैं । एसएएस, एसपीएस सहित निचले स्तर के तबादलों को भी जोड़ दें तो यह आंकड़ा 15 हजार से भी अधिक हो जाएगा।
तबादलों का यह दौर कमलनाथ के मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभालने के साथ ही शुरू हो गया था। राज्य में हर दूसरे दिन किसी न किसी अधिकारी के तबादले का आदेश निकाल दिया जाता है। अब तक हुए तबादलों में केवल छह को छोड़कर सरकार 48 एसपी का फेर-बदल कर चुकी है। ऐसे में कभी भी तबादले का आदेश आ जाने के डर से अधिकारियों में परेशानी का माहौल है।
इस मामले पर राज्य के तबादला बोर्ड के पूर्व मुख्य सचिव केएस शर्मा ने कहा कि तबादला बोर्ड तो रबर स्टैंप की तरह केवल नाम मात्र का रह गया है। जिम्मेदार अपनी ड्यूटी पूरी नहीं कर रहे, गुण-दोषों के आधार पर कोई अनुशंसा नहीं होती। जिस तरह से बिना किसी विशेष कारण के तबादले हो रहे हैं, उससे प्रशासकीय व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं। एक नियत समय तक तो अधिकारी को पदस्थ रखा जाता है। ऐसे तबादलों से कोई प्रशासनिक सुधार नहीं होता, बल्कि अनावश्यक पैसे खर्च होते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे तबादलों को दिशाहीन और उद्देश्यहीन कहा जाए तो ठीक रहेगा।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है। राकेश सिंह का कहना है कि कांग्रेस ने चुनाव खत्म होने के साथ ही प्रदेश में तबादला उद्योग शुरू कर दिया है। कांग्रेस अपने आर्थिक हितों के लिए तबादला उद्योग जमकर चला रही है।