जोरदार मॉनसूनी बारिश का दौर जारी रहने के बीच मध्यप्रदेश के बड़वानी और धार जिलों में नर्मदा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। इससे सचेत प्रशासन ने दोनों पड़ोसी जिलों में सरदार सरोवर बांध के डूब क्षेत्र के निचले इलाकों को खाली कराते हुए पिछले 24 घंटों के दौरान करीब।,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है।
बड़वानी के जिलाधिकारी अमित तोमर ने शुक्रवार को पीटीआई-भाष को बताया, हमने पिछले 24 घंटों में राजघाट, छोटा बड़दा और डूब क्षेत्र के अन्य स्थानों से करीब 300 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। इसके साथ ही, 28 दुकानें, दो आश्रम, एक मंदिर और 25 मकान खाली कराए गए हैं। तोमर ने बताया, गुजरात में सरदार सरोवर बांध के दरवाजे खोले जाने के बाद बड़वानी जिले में नर्मदा के बैकवॉटर (बांध की बाहरी दीवार से टकराकर लौटने वाला पानी) के स्तर में हालांकि थोड़ी गिरावट आई है। लेकिन प्रशासन अलर्ट पर है और डूब क्षेत्र में अब भी रह रहे लोगों से सुरक्षित ठिकानों पर जाने की गुजारिश की जा रही है।
मध्यप्रदेश सरकार के नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) के एक अधिकारी ने बताया कि बड़वानी जिले के राजघाट गांव में शुक्रवार दोपहर दो बजे की स्थिति के अनुसार, नर्मदा खतरे के निशान से करीब सात मीटर ऊपर बह रही थी। इस गांव में खतरे का निशान 123.28 मीटर पर है।
इस बीच, धार जिले के डूब क्षेत्र के निसरपुर कस्बे और चिखल्दा गांव की निचली बस्तियों में नर्मदा का बैकवॉटर घुस गया है। इससे घबराए लोग अपने आशियानों से सामान समेट कर डूब क्षेत्र के बाहर जाते दिखाई दे रहे हैं। धार के एक प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि पिछले 24 घंटों के दौरान जिले के निसरपुर कस्बे और चिखल्दा गांव के लगभग 700 लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया है।
इस बीच, मेधा पाटकर नीत नर्मदा बचाओ आंदोलन ने बांध विस्थापितों के मुद्दों को लेकर बड़वानी जिले के राजघाट में बुधवार से जारी सत्याग्रह स्थगित कर दिया है। संगठन ने इस कदम की सूचना देने वाले बयान में कहा, गुजरात सरकार द्वारा सरदार सरोवर बांध के दरवाजे खोलने का आदेश जारी किया जाना नर्मदा बचाओ आंदोलन की जीत है।
इसके अलावा, बड़वानी के जिला प्रशासन ने हमें आश्वासन दिया है कि सभी बांध प्रभावितों के पुनर्वास की मौजूदा स्थिति पता करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार और नर्मदा बचाओ आंदोलन के प्रतिनिधियों द्वारा संयुक्त सर्वेक्षण किया जाएगा।
नर्मदा बचाओ आंदोलन ने यह मांग भी की है कि जब तक बांध विस्थापितों का संपूर्ण पुनर्वासै नहीं हो जाता, तब तक सरदार सरोवर बांध के गेट खुले ही रखे जाएं।