भोपाल, 12 मई (भाषा) मध्य प्रदेश कांग्रेस की मीडिया इकाई के अध्यक्ष एवं प्रदेश के पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने राज्य में पदस्थ आईएएस अधिकारी दीपाली रस्तोगी पर काम में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए सोमवार को कहा कि अगर वह महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में मालगाड़ी की चपेट में आकर मारे गए 16 प्रवासी मजदूरों को वापस लाने की पहले ही अनुमति दे देतीं, तो आज वे सभी जिंदा होते। उन्होंने राज्य सरकार से रस्तोगी को निलंबित करने की मांग की।
पटवारी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, कोविड19 को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के कारण मध्य प्रदेश के मजदूर विभिन्न प्रदेशों में फंस गए थे। राज्य में अलगअलग आईएएस अधिकारियों को अलगअलग प्रदेशों से मध्य प्रदेश के इन प्रवासी मजदूरों को संबंधित राज्यों से समन्वय कर वापस प्रदेश में लाने की जिम्मेदारी दी गई थी।
उन्होंने कहा, आईएएस अधिकारी दीपाली रस्तोगी महाराष्ट्र में फंसे प्रवासी मजदूरों को मध्य प्रदेश में लाने की समन्वय अधिकारी थीं। एक वीडियो से साफ पता चलता है कि वहां :महाराष्ट्र: काम करने वाले मजदूरों ने कहा कि हमने 15 दिन पहले महाराष्ट्र से मध्य प्रदेश आने के लिए आवेदन कर दिया था, पर हमें अनुमति नहीं मिली।
इंदौर जिले की राउ विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक पटवारी ने कहा, अगर अनुमति मिल जाती तो क्या वे लोग मरते? इसका दोषी कौन है ? उन्होंने कहा, मैं मानता हूं कि संबंधित अधिकारी (दीपाली रस्तोगी) को इसी वक्त निलंबित किया जाना चाहिए।
पटवारी ने एक सवाल के जवाब में कहा, यह मेरी खुद की परखी बात है। अलगअलग राज्यों से मजदूरों को मध्य प्रदेश लाने के लिए आईएएस अधिकारी नियुक्त किए गए। इसके लिए उन्हें संबंधित राज्य से समन्वय करने को कहा गया था। मैंने एक दिन अपने फिस से सबको फोन लगाया। किसी ने भी फोन नहीं उठाया। इसका मतलब था कि व्यवस्था सही तरीके से काम नहीं कर रही थी।
मध्य प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष पटवारी ने कहा, क्योंकि महाराष्ट्र में एक वीडियो आया जिसको मैंने भी ट्वीट किया और कई अन्य लोगों ने भी। टेलीविजन पर भी बताया गया। इसमें मजदूरों ने कहा कि हम 15 दिन पहले व्यवस्था के अनुसार आवेदन कर चुके थे, लेकिन अनुमति नहीं मिली। उस राज्य को दीप्ति रस्तोगी देख रहीं थी। अब 16 लोग मर गए। इन 16 लोगों की जान की कोई कीमत है या नहीं?
उन्होंने कहा, औरंगाबाद मालगाड़ी हादसे में बचा एक व्यक्ति बोलता है कि हमने 15 दिन पहले आवेदन कर दिया था और आपने आज तक उस पर काम नहीं किया। 15 दिन बाद हादसे में 16 लोग मारे गए। इसकी जिम्मेदारी किसी की तो होगी ना। किसकी बननी चाहिए?
पटवारी ने राज्य सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि इन 16 लोगों के दाह संस्कार में शहडोल और उमरिया जिले में राज्य सरकार का एक भी प्रतिनिधि नहीं पहुंचा। इससे बड़ी इस सरकार की क्या असंवेदनशीलता हो सकती है। यह पूछे जाने पर कि 16 लोगों के मरने पर क्या रस्तोगी पर प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए, पटवारी ने कहा, मेरा यह मानना है कि प्राथमिकी तो रेलवे विभाग की होनी चाहिए। जिस तरह सब हुआ, कौन इन घटनाओं का जिम्मेदार है? इसकी जांच होनी चाहिए और फिर दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में रेल पटरियों पर सो रहे 16 प्रवासी मजदूरों की शुक्रवार सुबह एक मालगाड़ी की चपेट में आने से मौत हो गई थी। ए मजदूर मध्य प्रदेश लौट रहे थे। वे रेल की पटरियों के किनारे चल रहे थे और थकान के कारण पटरियों पर ही सो गए थे। ए सभी महाराष्ट्र के जालना की एक स्टील फैक्टरी में काम करते थे और कोविड-19 लॉकडाउन के कारण बेरोजगार होने के बाद अपने घर शहडोल और उमरिया लौट रहे थे।
दो दिन पहले 50 आईएएस अधिकारियों के तबादले को लेकर शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार पर हमला करते हुए पटवारी ने कहा, जब कोविड19 को लेकर पूरा प्रदेश त्राहित्राहि कर रहा है, तब ए तबादला उद्योग में लगे हैं। इस सरकार में मध्य प्रदेश में तबादला उद्योग फल फूल रहा है।
उन्होंने कहा कि शिवराज सरकार लॉकडाउन के दौरान दवाखाने की जगह दारूखाने खोलने पर जोर दे रही है। प्रदेश में लोगों को दूध एवं राशन जैसी आवश्यक सामग्री उपलब्ध नहीं है, लेकिन शराब बिक रही है। पटवारी ने आरोप लगाया कि यह सरकार कोरोना वायरस को रोकने में पूरी तरह विफल हो गई है।