भोपाल, 17 जुलाई
गौरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा पर लगाम लगाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने मध्य प्रदेश गौवंश वध प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक-2019 को बुधवार को मानसून सत्र में विधानसभा में पेश किया।
इसके कानून बनने पर गौरक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों को मध्य प्रदेश में छह महीने से लेकर पांच साल तक की जेल की सजा मिल सकती है तथा गौवंश को लाने-ले जाने वाले व्यक्तियों को इसके लिए अभिवहन अनुज्ञा पत्र दिए जाएंगे, ताकि गौवंश के परिवहन में आने वाली कठिनाइयां दूर हो सकें।
मध्य प्रदेश के पशुपालन मंत्री लाखन सिंह यादव द्वारा सदन में पेश किए गए इस विधेयक के अनुसार इसके विधानसभा में पारित होकर कानून बनने के बाद यदि कोई शख्स अकेला गौरक्षा के नाम पर हिंसा करेगा तो उसे छह महीने से लेकर तीन साल की सजा और 25,000 रुपए तक का जुर्माना देना पड़ेगा।
वहीं, गाय के नाम पर विधि विरूद्ध इकट्ठी हुई भीड़ में यदि किसी व्यक्ति द्वारा हिंसा की जाती है तो ऐसे व्यक्ति को एक साल से पांच साल तक की सजा और 50,000 रुपए तक के जुर्माने से दंडित करने का प्रावधान इस विधेयक में किया गया है।
पेश किए गए विधेयक के अनुसार, यदि अपराधी दोबारा ऐसा अपराध करता है तो उसकी सजा दोगुनी कर दी जाएगी। विधेयक के अनुसार गौरक्षा के नाम पर की गई हिंसा में यदि किसी व्यक्ति को पूर्व में न्यायालय ने दोषी ठहराया है और वह दोबारा गौरक्षा के नाम पर हिंसा का अपराध करता है, तो उसे उस अपराध में प्रावधान के तहत मिलने वाले कारावास की सजा की दोगुनी सजा दी जाएगी।
इसके अलावा, इस विधेयक के जरिए मध्य प्रदेश की कांग्रेस नीत सरकार राज्य में गौवंश परिवहन के नियमों में बदलाव भी करने जा रही है, ताकि प्रदेश में गौवंश परिवहन आसान हो सके और स्वयंभू गौरक्षक इनका
परिवहन करने वाले किसी व्यक्ति को परेशान न कर सके। इसके लिए इस विधेयक में कहा गया है कि मध्य प्रदेश सरकार गौवंश परिवहन करने वाले व्यक्तियों को गौवंश परिवहन हेतु अभिवहन अनुज्ञा पत्र जारी करेगी। इससे गौवंश के परिवहन में आने वाली कठिनाइयां दूर होंगी।