इंदौर में कोविड-19 से 56 वर्षीय सर्जन की मौत, अब तक कुल चार चिकित्सकों ने दम तोड़ा

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इंदौर 09 जून (भाषा) देश में कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल इंदौर में संक्रमण की जद में आए 56 वर्षीय सर्जन की मंगलवार तड़के इलाज के दौरान मौत हो गई। इसके साथ ही, जिले में पिछले दो महीने के भीतर इस महामारी से दम तोडऩे वाले चिकित्सकों की संख्या बढ़कर चार पर पहुंच गई है।

परमार्थिक क्षेत्र के चोइथराम हॉस्पिटल के उप निदेशर्क चिकित्सा सेवाएं अमित भट्ट ने बताया कि कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद 56 वर्षीय सर्जन इस अस्पताल में 24 मई से भर्ती थे। हालत गंभीर होने पर उन्हें 29 मई को गहन चिकित्सा इकाई में भेज दिया गया था।

उन्होंने बताया, तमाम कोशिशों के बावजूद वरिष्ठ सर्जन की जान नहीं बचाई जा सकी। वह मधुमेह, उच्च रक्तचाप और किडनी संबंधी रोग से पहले ही जूझ् रहे थे।

कोविड-19 से दम तोडऩे वाले 56 वर्षीय डॉक्टर शहर के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग के अध्यक्ष थे। निजी मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पताल में महामारी के मरीजों का इलाज किया जा रहा है।

इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन सुरेश सिंह भदौरिया ने बताया कि दिवंगत सर्जन के अलावा अब तक इस अस्पताल की आठ नर्सें और तीन डॉक्टर कोविड-19 की चपेट में आ चुके हैं। भदौरिया के मुताबिक फिलहाल इनमें से केवल एक संक्रमित डॉक्टर का उपचार जारी है, जबकि अन्य लोग इलाज के बाद इस महामारी से उबर चुके हैं।

आधिकारिक जानकारी के मुताबिक जिले में गुजरे दो महीने के दौरान दो जनरल फिजिशियन और एक आयुर्वेद चिकित्सक की भी कोविड-19 से मृत्यु हो चुकी है। इनकी उम्र 60 साल से ज्यादा थी।

इस बीच, स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले 24 घंटों के दौरान जिले में कोविड-19 के 45 नए मामले मिलने के बाद इस महामारी के मरीजों की तादाद 3,785 से बढ़कर 3,830 पर पहुंच गई है। हालांकि, इलाज के बाद संक्रमण मुक्त होने पर इनमें से 2,566 लोगों को अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है।

उन्होंने बताया कि कोविड-19 से दो और मरीजों की मौत के बाद इस महामारी की चपेट में आकर दम तोडऩे वाले लोगों की तादाद बढ़कर 159 हो गई है।

गौरतलब है कि इनमें शामिल 72 वर्षीय महिला ने शहर के एक निजी अस्पताल में 14 मई को आखिरी सांस ली थी। लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने उसकी मौत का आधिकारिक ब्योरा इसके 25 दिन बाद दिया है।

जिले में कोविड-19 से मरने वाले लोगों की जानकारी देरी से दिए जाने का मामला लगातार गरमा रहा है। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के साथ ही गैर सरकारी संगठन भी आरोप लगा रहे हैं कि स्वास्थ्य विभाग इन मौतों का खुलासा अपनी सुविधानुसारै कर रहा है जिससे महामारी के सरकारी आंकड़ों की विश्वसनीयता संदेह के घेरे में आ गई है।

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