इंदौर, 31 मई (भाषा) मध्यप्रदेश में कोविड-19 के प्रसार और ऊँचे तापमान के प्रभावों को लेकर विशेषज्ञ् हालांकि किसी सटीक निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके हैं। लेकिन सूबे में पारा चढ़ने के बाद भी इस महामारी के नए मरीजों का मिलना जारी है।
खरगोन, राज्य के सबसे गर्म इलाकों में पारंपरिक रूप से शुमार है। मौसम विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि खरगोन में रविवार को दिन का अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो पूरे प्रदेश में सर्वाधिक रहा।
बहरहाल, तापमान में उछाल के बावजूद खरगोन में कोविड-19 का प्रकोप बरकरार है। खरगोन के जिलाधिकारी गोपालचंद्र डाड ने पीटीआई-भाषा को बताया, पहले हम भी इन कयासों पर विचार कर रहे थे कि गर्मी बढऩे के साथ ही जिले में कोविड-19 का प्रकोप कम हो सकता है। लेकिन फिलहाल सा होता नहीं दिख रहा।
उन्होंने बताया, खरगोन में कोविड-19 के नए मरीज लगातार मिल रहे हैं। तापमान बढऩे से जिले में इस महामारी के प्रसार और तीव्रता में कोई उल्लेखनीय बदलाव नहीं देखा गया है।
खरगोन की मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सीएमएचओ रजनी डावर के मुताबिक जिले में पिछले 24 घंटो में कोविड-19 के तीन नए मामले सामने आने के बाद इसके मरीजों की तादाद 140 पर पहुंच गई है। इनमें से 11 लोगों की मृत्यु हो चुकी है।
इस बीच, खरगोन से करीब 125 किलोमीटर दूर इंदौर में भी तापमान में बढ़ोत्तरी के बीच कोविड-19 के नए मरीजों के मिलने का सिलसिला जारी है। इंदौर, देश में इस महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल है।
अधिकारियों ने बताया कि इंदौर जिले में पिछले 24 घंटे के दौरान 55 नए मामलों की पुष्टि के साथ ही कोविड-19 के मरीजों की तादाद बढ़कर 3,486 हो गई है। इनमें से 132 लोगों की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है।
इंदौर में रविवार को दिन का अधिकतम तापमान 39 डिग्री सेल्सियस के आस-पास दर्ज किया गया।इस बीच, इंदौर के शासकीय महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग को कुछ से संकेत मिले हैं जो ऊँचे तापमान और कोविड-19 की तीव्रता के आपसी संबंध की ओर इशारा करते हैं।
विभाग के प्रमुख सलिल साकल्ले ने बताया, हम देख रहे हैं कि इंदौर में जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है, वैसे-वैसे बिना लक्षणों वाले और हल्के लक्षणों वाले मरीजों की तादाद में इजाफा हो रहा है।
साकल्ले ने हालांकि अपनी बात में जोड़ा कि फिलहाल इन संकेतों से किसी सटीक निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सका है और इसके लिए विस्तृत अनुसंधान की जरूरत है।