इंदौर, 31 मार्च (भाषा) देश में कोरोना वायरस संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित शहरों में शामिल इंदौर में इस महामारी के स्थानीय स्तर पर तेजी से फैलने से सरकारी तंत्र की चिंताएं बढ़ गई हैं, अधिकारियों के मुताबिक सूबे के इस सबसे बड़े शहर में पिछले सात दिन में इस महामारी के पुष्ट मामलों की तादाद बढ़ कर 44 हो गई है जिनमें से तीन लोग इलाज के दौरान दम तोड़ चुके है।
आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों से हमेशा गुलजार रहने वाले इस उत्सवधर्मी शहर में हफ्ते भर से लागू कर्फ्यू के कारण मंडी-बाजार सूने हैं और गली-मोहल्लों में चुप्पियां छाई हैं। हैरत की बात यह है कि इसके बावजूद शहर में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रवीण जड़िया ने मंगलवार को पीटीआई-भाषा से कहा, “इंदौर में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों को सामुदायिक प्रसार की अटकलों से जोड़ना उचित नहीं होगा। अभी इस बीमारी का शहर के कुछेक परिवारों में स्थानीय प्रसार ही हुआ है।”
उन्होंने कहा, “हमें संदेह है कि विदेश में कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद भारत लौटा कोई व्यक्ति किसी समारोह में इंदौर के कुछ लोगों के संपर्क में आया था। इससे यह बीमारी शहर में पहुंच गई।” जडय़िा ने बताया कि मंगलवार को 17 नए मामले सामने आने के बाद शहर में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की तादाद बढ़कर 44 पर पहुंच गई है। इनमें शामिल 49 वर्षीय महिला, 41 वर्षीय पुरुष और 65 वर्षीय पुरुष की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है।
उन्होंने बताया, “इंदौर में कोरोना वायरस संक्रमण के जो 17 नए मरीज मिले हैं, इनमें से ज्यादातर व्यक्ति उन्हीं लोगों के परिजन हैं जो इस महामारी की जद में आकर पहले से स्थानीय अस्पतालों में भर्ती हैं।” अधिकारियों ने बताया कि शहर के रानीपुरा, चंदन नगर और खजराना सरीखे घनी आबादी वाले इलाके कोरोना वायरस संक्रमण के फैलने के लिहाज से सबसे ज्यादा संवेदनशील हैं। इन इलाकों में प्रशासन इस महामारी से बचाव की विशेष मुहिम चला रहा है। इन इलाकों में कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के मिलने के बाद वहां के कई रहवासियों को इस महामारी के संदेह में अस्पतालों के पृथक वॉर्डों में रखा गया है।
जानकारों का कहना है कि सामाजिक दूरी बनाने को लेकर सरकार की ओर से लगातार जारी की जा रही हिदायतों की कई शहरवासियों द्वारा अनदेखी से भी स्थानीय स्तर पर कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा बढ़ा है। शहर के कई स्थानों पर अनियंत्रित जमावड़ों के दृश्य सामने आने के बाद प्रशासन ने कर्फ्यू सख्त कर दिया है और लोगों को दूध लेने के लिए भी घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं है।
शहर में कोरोना वायरस के खतरे की आहट 31 जनवरी को पहली बार सुनाई दी, जब चीन से लौटे 21 वर्षीय छात्र और 22 वर्षीय छात्रा को इस महामारी के संदेह में 31 जनवरी को एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालांकि, दोनों विद्यार्थी जांच में कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं पाए गए थे। इसके बाद भी अलग-अलग देशों की यात्रा से इंदौर लौटे कई लोगों की कोरोना वायरस संक्रमण की जांच रिपोर्ट निगेटिव आती रही। इंदौर के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती पांच मरीजों में कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि 25 मार्च को की गई थी। इसके ठीक बाद प्रशासन ने शहरी सीमा में लॉकडाउन की जगह कर्फ्यू लागू कर दिया था।