इंदौर, 6 अप्रैल (भाषा) रामानंद सागर के मशहूर टीवी धारावाहिक “रामायण” की दूरदर्शन पर वापसी टीआरपी के नए रिकॉर्ड बना रही है। इस बीच, मूक-बधिर समुदाय के लिए मध्यप्रदेश पुलिस के चलाए जाने वाले सहायता केंद्र ने इस धारावाहिक के संवादों का सांकेतिक भाषा में अनुवाद का सिलसिला शुरू किया है ताकि दिव्यांग लोग भी इसकी कहानी अच्छी तरह समझ्कर इसका पूरा मजा ले सकें।
कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण देश भर में लागू लॉकडाउन के बीच पौराणिक कहानी पर आधारित इस धारावाहिक का दूरदर्शन पर फिर से प्रसारण किया जा रहा है। यह कार्यक्रम दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल पर पहली बार 90 के दशक में प्रसारित हुआ था। इंदौर स्थित मध्यप्रदेश पुलिस मूक-बधिर सहायता केंद्र के समन्वयक ज्ञनेंद्र पुरोहित ने सोमवार को पीटीआई-भाषा को बताया, “हम दूरदर्शन पर रामायण धारावाहिक के प्रसारण के वक्त टीवी के पास खड़े होकर इसके संवादों का सांकेतिक भाषा में अनुवाद करते हुए इसका वीडियो बना रहे हैं। फिर इस वीडियो को यूट्यूब और सोशल मीडिया के जरिए मूक-बधिर समुदाय के लोगों तक पहुंचाया जा रहा है।”
सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ् ने कहा कि रामायण धारावाहिक के संवादों को सांकेतिक भाषा में ढालना आसान नहीं है क्योंकि इसमें संस्कृत के शब्दों का काफी इस्तेमाल किया गया है।इसके साथ ही, टीवी कलाकारों द्वारा इस कार्यक्रम के संवादों की बेहद भावनात्मक अदायगी की गई है। ऐसे में इशारों की जुबान में इन संवादों को पेश करते वक्त थोड़ा अभिनय भी जरूरी हो जाता है।
पुरोहित ने बताया, “रामायण धारावाहिक के सांकेतिक भाषा वाले संस्करण को लेकर मूक-बधिर समुदाय का अच्छा रुझन सामने आया है। इसके बाद हमने तय किया है कि हम और कई धारावाहिकों के संवादों का सांकेतिक भाषा में अनुवाद करेंगे।” उन्होंने बताया कि दूरदर्शन पर रामायण का प्रसारण खत्म होने के बाद वे महाभारत धारावाहिक के संवादों का भी इसी तरह सांकेतिक भाषा में अनुवाद करने पर विचार कर रहे हैं। पुरोहित ने बताया कि मध्यप्रदेश पुलिस मूक-बधिर सहायता केंद्र इससे पहले शोले (1975), गांधी (1982), मुन्नाभाई एमबीबीऐस (2003) और तारे जमीन पर (2007) जैसी मशहूर हिन्दी फिल्मों के संवादों का भी सांकेतिक भाषा में अनुवाद कर चुका है।