जल्द ही नगर निगम गेट पर डिस्प्ले बोर्ड होगा चस्पा
कटनी, दैनिक मध्यप्रदेश / अब आपको अपने जिला मुख्यालय में ही यह पता चल जायेगा कि जिस हवा में आप सांस ले रहें हैं वह कितनी साफ अथवा दूषित है। इसके लिए राज्य प्रदूषण बोर्ड द्वारा निरंतर सत्य परिवेश वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन (सीएएक्यूएमएस) स्थापित कर दिया है। इस स्टेशन से वायु में फैले विषैले तत्वों की जानकारी मिल सकेगी। इसके आधार पर वायु में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के भी सार्थक कदम उठाये जा सकेंगे। जानकारी के अनुसार नगर निगम में लगभग तीन करोड़ की लागत से इस इकाई की स्थापना की गयी है। प्रदूषण बोर्ड की माने तो इकाई की स्थापना के बाद अभी उसमें डिस्प्ले चस्पा करने को लेकर स्थान का चयन होना शेष है जो आगामी 4 दिवस के अंदर पूरा हो जायेगा। जानकारी के मुताबिक इसे नगर निगम गेट के आसपास लगाया जायेगा ताकि आने जाने वाले लोगों को पल-पल की खबर लग सके कि वह जहां से गुजर रहे हैं वहां पर कितना वायु प्रदूषण है।
ठंड के दिनों में होता है अधिक वायु प्रदूषण
सरकार द्वारा कराये गये समय समय पर सर्वे के मुताबिक अधिकांश वायु प्रदूषण ठंड के समय में होता है। वहीं गर्मियों के मौसम में इसकी मात्रा कम हो जाती है और बरसात के मौसम में तो बिलकुल कम रहती है। स्टेशन की स्थापना के बाद शनिवार को मशीन द्वारा परीक्षण करने पर 68 माइक्रोग्राम घनमीटर वायु प्रदूषण नगर निगम के आसपास पाया गया। जिला प्रदूषण बोर्ड की माने तो कटनी में वायु प्रदूषण तय पैमाने से काफी कम है। जहां पर 200 माइक्रो घनमीटर से अधिक वायु प्रदूषण होता है वह लोगों के लिए घात होता है लेकिन कटनी में हमेशा वायु प्रदूषण की मात्रा 200 से कम थी।
केवल महानगरों में बने थे स्टेशन
अब तक प्रदेश के महानगरों में निरंतर सत्य परिवेश वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन (सीएएक्यूएमएस) की स्थापना हुई थी लेकिन अब प्रदेश के हर जिले में इस इकाई का निर्माण कराया जाना है उसी क्रम में कटनी में भी स्टेशन का निर्माण हो गया है और आधुनिक मशीन का संचालन भी शुरू कर दिया गया है।
प्रदेश में 83 हजार लोगों ने प्रदूषण से गंवाई जान
2017 में सरकार द्वारा कराये गये एक सर्वे के बाद पता चला था कि मध्यप्रदेश में 83 हजार 45 लोगों की जान वायु प्रदूषण के कारण हुई थी। दूषित हवा से सांस लेने के कारण मध्यप्रदेश में औसत उम्र से 1 साल 9 माह घट गयी है जो चिंताजनक है।
वायु प्रदूषण से होती हैं 8 बीमारी
वायु प्रदूषण की वजह से लोगों को 8 प्रकार की बीमारियां हो जाती हैं और इसका शिकार नौकरी पेशा करने वाले लोगों को ज्यादातर होती है। लोअर रेस्पायरेटरी इन्फेक्ïशन, क्रॉनिक अब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीज (सीओपीडी), स्कैमिक हार्ट डिसीज (स्ट्रोक डायबिटीज मेलिटस), लंग कैंसर (फेंफड़ों का कैंसर), केटेरेक्ट (आंखों में जलन खुजली)।
प्रदूषण को लेकर जागरूक नहीं हैं जिम्मेदार
प्रदूषण विशेषज्ञों के मुताबिक हवा के साथ उड़ती बारिक धूल और वाहनों का धुंआ हमारी सेहत के लिए काफी खतरनाक है लेकिन देखा गया है इसको लेकर स्थानीय निकाय बिलकुल चिंतित नहीं रहता। शहर में हवा के प्रदूषित होने के लिए जितना जिम्मेदार हम वाहनों को ठहराते हैं उससे कहीं ज्यादा जिम्मेदारी स्थानीय निकायों की है। वक्त पर सफाई न होना, उखड़ी हुई सड़कें, डिवाइडर पर फैली मिटटी, अनियंत्रित तरीके से होती भवनों की तोड़ाई और निर्माण, कचरे को जलाकर नष्टï करने की प्रवृत्ति इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में घर के अंदर ठोस ईधन का इस्तमाल लोगों को प्रदूषित होने वाली बीमारियों के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार हैं।
अभी घातक नही है वायु प्रदूषण
जिला प्रदूषण बोर्ड के जिम्मेदारों की माने तो जिले में शहर सहित ग्रामीण अंचल में इतना वायु प्रदूषण नहीं है जिस कारण से लोगों को इसका विपरीत असर पड़े। पूर्व में तीन स्थानों पर प्रदूषण बोर्ड द्वारा मशीनों के जरिये समय समय पर प्रदूषण की मात्रा की जांच की गयी लेकिन अभी तक तय पैमाने से अधिक प्रदूषण अपने जिले में नहीं है। आधुनिक मशीन की स्थापना के बाद हमें अब हरपल प्रदूषण की स्थिति का पता चल सकेगा। अब तक प्राय: देखा गया है कि शहर में मिशिन चौक क्षेत्र में वाहनों के दबाव के कारण अधिक वायु प्रदूषण फैलता है लेकिन हमारे यहां फैलने वाला प्रदूषण लोगों के लिए घातक नहीं है।
”वर्तमान में शहर में 68 माइक्रो घनमीटर वायु प्रदूषण हैं जो बहुत कम है इससे आम आदमी को नुकसान नहीं है। नई इकाई की स्थापना होने के बाद प्रतिदिन वायु प्रदूषण की जानकारी मिल रही है बहुत जल्द नगर निगम गेट के आसपास प्रदूषण संबंधी डिस्प्ले लगाया जायेगा।” – डॉ. एस.पी. भदोलिया, मुख्य रसायनज्ञ जिला प्रदूषण बोर्ड