कटनी, दैनिक मध्यप्रदेश
कटनी नदी पुल पर निर्माणाधीन ब्रिज का जो हश्र हुआ वह प्रदेश में सत्तारूढ़ पूर्व भाजपा सरकार के राज में हुए भ्रष्टाचार की एक बानगी है। कल सायं निर्माणाधीन हिस्से की स्लैब का एक हिस्सा गिरने के बाद नगर के अलावा राजनैतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। प्रशासन द्वारा घटना की जॉंच के निर्देश दिये है और सेतु निगम के वरिष्ठ अधिकारी स्लैब का हिस्सा गिरने के कारण की जॉचकर रिपोर्ट सौपेगें और जो दोषी होगा उसके विरूद्घ कार्यवाही की जायेगी। वहीं ठेकेदार राम सज्जन शुक्ला ने भी कल की घटना पर आश्चर्य प्रगट करते कहा कि निर्माण तो पूरी मजबूती से कराया था ऐसा कैसे हो गया। क्षेत्रीय विधायक संदीप जायसवाल ने भी सरकार से जॉच की मांग करते हुए कहा कि दोषियों को दंड मिलना चाहिए।
कटनी नदी पर स्थित पुराने पुल को जर्जर घोषित करने के बाद नये पुल के निर्माण के लिए शासन द्वारा 450 लाख रूपये की राशि स्वीकृत की थी। वर्ष 2013 में निर्माणकार्य शुरू हुआ लेकिन बीच में अवरोधो के चलते वह अब तक तीन पिलरों के निर्माण व पिलरों के ऊपर स्लैब की ढलाई तक ही सीमित है। 11-12 जुलाई को सेतू निगम के इंजीनियरों की देखरेख में ढलाई का कार्य हुआ लेकिन यह कार्य कितनी मजबूती से हुआ था इसका प्रमाण कल सायं स्लैब का एक हिस्सा चटकने से सामने आया। खबर फैलते ही शहर में हड़कंप मच गया और बड़ी संख्या में लोग इसे देखने आज तक आ रहे है। निर्माणाधीन पुल के स्लैब में दरार आने की घटना को लेकर यहां प्रशासन द्वारा सेतू निगम के वरिष्ठ अधिकारी से निरीक्षण कर जांच कराने की बात कहीं गयी है वहीं पुल के शेष हिस्से का निर्माण ब्रिज कार्पोरेशन के अधिकारियों की निगरानी में ही किया जाना बताया गया है ताकि भविष्य में ऐसी घटना न हो।
दोषियों पर सख्त कार्यवाही हो – विधायक
क्षेत्रीय विधायक संदीप जायसवाल ने भी निर्माणाधीन पुल के स्लैब में पहुंची क्षति पर आश्चर्य प्रगट करते हुए कहा कि 100 साल से अधिक पुराना पुल मजबूती से खड़ा है और बड़े इंजीनियरों की निगरानी में बन रहा नया ब्रिज क्षतिग्रस्त हो रहा है जो आज के समय का बड़ा सवाल है। मैं सरकार से मांग करता हूं कि दोषियों पर जांच कर कार्यवाही की जायें। श्री जायसवाल ने कहा कि पुल के निर्माण में हो रहे विलंब को लेकर मेरे द्वारा जिला योजना समिति की बैठक में सवाल उठाया था प्रभारी मंत्री ने निर्देश भी दिये थे। इसके अलावा विधान सभा में ध्यानकर्षण व प्रश्न लगाकर भी पुल निर्माण में हो रहे विलंब का मुद्दा कई बार उठाया था। पुल निर्माण की गति को देखकर गाटरघाट पर ब्रिज निर्माण की मांग शासन से कि थी और शासन द्वारा राशि स्वीकृत किये जाने के बाद अब गाटर घाट पर नया पुल निर्मित हो गया है और वहीं कटनी नदी पर नया पुल अब तक नहीं बना। श्री जायसवाल ने कहा कि ठेकेदार व सेतू निगम के अधिकारियों की मिलीभगत के कारण कटनी नदी पुल लापरवाही की भेंट चढ़ गया है और शहर के लिए एक मजाक बन गया है। आपने कहा पहले धनुषाकार फिर समानांतर पुल तीन पिलरों पर फिर भी निर्माण में टूट फूट क्या पांच पिलरों में बनेगा ब्रिज।
यह कैसे हो गया समझ में नहीं आ रहा- ठेकेदार
पुल का निर्माण करने वाले ठेकेदार राम सज्जन शुक्ला ने भी कल हुई घटना पर आश्चर्य प्रगट करते हुए कहा कि यह कैसे हो गया समझ में नहीं आ रहा। हमने तो पूरी मजबूती से निर्माण कराया है। श्री शुक्ला ने कहा 450 लाख रूपये की लागत से समानांतर ब्रिज का निर्माण करना है। स्लैब की ढलाई में मेरा अभी तक एक करोड़ रूपये खर्च हुआ है जो निजी पैसा है मुझे सिर्फ पिलरों का ही शासन से भुगतान हुआ है। भला कोई भी ठेकेदार अपना नुकसान क्यों करना चाहेगा। जांच में कारण सामने आयेगा।
पहले धनुषाकार फिर समानांतर पुल का निर्माण
कटनी नदी पर निर्माणाधीन नये पुल का भूमि पूजन तत्कालिन भाजपा सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2007 में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्वर्गीय श्री ईश्वरदास रोहाणी व पूर्व विधायक अलका जैन द्वारा किया गया। पुल का निर्माण कार्य 6 फरवरी 2013 को शुरू हुआ था। पूर्व में पुल की आई आई टी दिल्ली द्वारा धनुषाकार डिजाईन तैयार की थी और दो पिलर पर निर्मित होने वाले पुल कि लंबाई 101.6 मीटर व चौड़ाई 7.5 मीटर थी व एक ओर 6 फीट का फुटपाथ बन रहा था। धनुषाकार पुल ऐशिया व मध्यप्रदेश का पहला पुल बनना था। लेकिन ठेकेदार द्वारा शुरूआत से निर्माण की गति धीमी रखी गई जिससे फाउंडेसन वर्क ही हो पाया था। इसके बाद ठेकेदार द्वारा धनुषाकार निर्माण करने में असमर्थता प्रगट करने पर दिल्ली से इसकी डिजाइन परिवर्तित हुई इस चक्कर में एक वर्ष गुजर गया। इसके बाद भी ठेकेदार द्वारा कार्य न करने पर सेतू निगम द्वारा उसे नोटिस भेजा गया, ब्लैक लिस्ट करने व एफआईआर दर्ज कराने के लिए कई बार शासन के पास प्रस्ताव भेजा गया लेकिन ठेकेदार पर न तो कोई कार्यवाही हुई और न ही पुल का निर्माण तेज हुआ। भाजपा सरकार के कार्यकाल में नेताओं के संरक्षण के चलते ठेकेदार पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। सत्ता परिवत्र्तन होने के बाद फिर उसी ठेकेदार पर दबाव बनाया गया और ठेकेदार अपनी कास्ट व रिस्क पर पुन: निर्माण करने को तैयार हुआ। ठेकेदार द्वारा अब पुल का निर्माण तीन पिलरों पर किया जा रहा है और उसे 15 जून 2019 को इसे पूर्ण करना था लेकिन अब तक सिर्फ आधे हिस्से में ही कार्य हो पाया है।
सेतू निगम के कार्यकारी अभियंता की निगरानी में होगा निर्माण- कलेक्टर
कलेक्टर शशिभूषण सिंह ने कहा है कि सेतू निगम के कार्यकारी अभियंता स्थल का निरीक्षण करेंगें और किन हालातों में ऐसा हुआ इस बारे में जिला प्रशासन को रिपोर्ट सौपेंगें। रिपोर्ट में जिसकी गल्ती पाई जायेगी उसके विरूद्घ कार्यवाही होगी। वहीं आगामी दिनों में ब्रिज का निर्माण सेतू निगम से अधिकारियों की निगरानी में कराया जायेगा ताकि ऐसी घटना फिर न हो।