कटनी, दैनिक मध्यप्रदेश न्यूज़ | कटनी कहने को तो रेलवे की दृष्टि से इसे जंक्शन का दर्जा है क्योंकि यहां से हम देश के हर छोर की यात्रा कर सकते हैं लेकिन रेलवे के महत्वपूर्ण स्टेशनो में शामिल कटनी आज भी उपेक्षा का दंश झेल रहा है। रेलवे के जरिये सफर सहित माल ढुलाई, व्यापारिक गतिविधियों को नया आयाम मिला है। रेलवे को देश के परिवहन के बुनियादी ढांचे का दिल कहा जाता है। परिवहन की दुनिया को सहज, सरल और किफायती बनाकर देश को उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक हर नागरिक को आपस में जोडऩे के साथ अरबों रुपये की आय का माध्यम बनी है।
कटनी शहर भी देश के महत्वपूर्ण जंक्शनों में से एक है। यहां से पांच दिशाओं के लिए ट्रेनों का परिचालन हो रहा है। हर दिन 25 से 30 हजार लोग इस शहर से सफर करते हैं। 10 लाख रुपये से अधिक रोजाना आमदनी हो रही है, इसके बाद भी शहर के तीनों प्रमुख स्टेशन कटनी जंक्शन, मुड़वारा रेलवे स्टेशन व साउथ सुविधाओं से वंचित है। पिछले तीन-चार वर्षों से रेलवे अधिकारियों के दौरे हो रहे हैं, स्टेशनों की समस्याओं को समझा जा रहा है, विकास की योजना बनती है, लेकिन धरातल पर नहीं उतर रहीं। अब शहरवासियों को खजराहो सांसद एवं नवागत डीआरएम और जीएम से विकास की आशा है।
कटनी जंक्शन में सुविधाओं का टोटा
मुख्य रेलवे स्टेशन में प्रतिदिन 92 ट्रेनों का ठहराव हो रहा है। जंक्शन से रोजाना 15 हजार से अधिक यात्री सफर करते हैं। यहां से सात लाख रुपये रोजाना की आमदनी हो रही है इसके बाद भी यात्री सुविधाओं से स्टेशन वंचित है। चार साल पहले कटनी स्टेशन में एस्केलेटर की स्वीकृति मिल चुकी है, इसके लिए टेंडर प्रक्रिया भी हो गई है, इसके बाद भी मशीन आजतक नहीं लगीं। रेलवे स्टेशन में पांच लिफ्ट भी डेढ़ साल पहले स्वीकृत हुईं थीं, लेकिन अबतक उन्हें लगाने के लिए काम शुरू नहीं किया गया। सफदे कोच इंडीकेटर डिस्प्ले बोर्ड, सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए सर्वे हुआ है, लेकिन अबतक कैमरों का अता-पता नहीं। स्टेशन में डिजिटल गैलरी, मल्टीपर्पस शैलून, कॉमर्शियल एलइडी अबतक नहीं लग पाईं। स्टेशन के सामने का मार्ग चौड़ा नहीं हो पाया। दूसरा प्रवेश द्वार अबतक नहीं खुल पाया।
मुड़वारा स्टेशन धीमा विकास गंभीर समस्या
मुड़वारा रेलवे स्टेशन में प्रतिदिन औसता 36 ट्रेनों का स्टॉपेज है। इस ट्रेनों रोजाना 15 हजार से अधिक यात्री यात्रा करते हैं। यहां से रेलवे को प्रतिदिन चार से पांच लाख रुपये का राजस्व मिल रहा है। इसके बाद भी देश व प्रदेश की राजधानी से जोडऩे वाला प्रमुख स्टेशन उपेक्षित है। यहां पर रैम्प, एस्केलेटर नहीं हैं। वेटिंग हॉल नहीं हैं। स्लीपर वेटिंग हॉल, एसी वेटिंग हॉल, महिला-पुरुषों के लिए अलग-अलग व्यवस्था, फुट ओवर ब्रिज का दोनों तरफ खुलना ताकि यातायात विभाजित रहे, सीसीटी कैमरे, दो, तीन, एक प्लेटफॉर्म पर कोच इंडीकेटर बोर्ड की सख्त जरुरत है। इसके अलावा स्टेशन प्रबंधक कार्यालय, बेहतर आरक्षण केंद्र एसएमसी शिकायती कक्ष, सुरक्षित परिसर, व्यवस्थित पार्किंग, कचरा निपटान के लिए व्यवस्था नहीं है।
साउथ से सुरक्षित सफर की चुनौती
साउथ रेलवे स्टेशन में प्रतिदिन 14 ट्रेनों रेगुलर व दो साप्ताहिक ट्रेनों का ठहराव हैं। डेढ़ हजार के लगभग यात्री यात्रा करते हैं। रेलवे को लगभग दो लाख रुपये की प्रतिदिन आमदनी हो रही है। इसके बाद भी यह रेलवे स्टेशन समस्याओं से जूझ रहा है। सबसे बड़ी स्टेशन की समस्या सुरक्षा है। एसिड अटैक जैसी घटना हो जाने के बाद भी सीसीटीवी कैमरा लगाने की प्रक्रिया धीमी, सामने की तरफ बाउंड्रीवॉल का अभाव है। यहां पर सफाई कर्मचारी नहीं हैं, पांच कर्मचारियों की जरुरत है। सफाई मशीन भी नहीं मुहैया कराई गई। मवेशियो के प्रवेश पर प्रतिबंध न होने के कारण स्लीपर और सेकंड क्लास के लिए वेटिंग रूम, जनरल वेटिंग रूम नहीं है। टीटी की भी व्यवस्था नहीं है।
ये समस्याएं भी हैं गंभीर
कोयला ढुलाई के लिए यात्री ट्रेनों के रद्द व रिशेड्यूल करने से बढ़ जाती है यात्रियों की परेशानी।तीनों स्टेशनों के आउटर में ट्रेनों को अनावश्यक रूप से खड़ा करना, जिससे हो रहीं चोरी, लूट की घटनाएं बड़ी समस्या बन गए हैं ।कटनी-सतना में ओएचइ लाइन की धीमी रफ्तार, ग्रेडर सेप्रेटर निर्माण में भी चल रही मंथर चाल।
इसके अलावा रेलवे स्टेशनों के आउटर में हाइ मॉस्ट लाइट न होने से जीआरपी व आरपीएफ को सुरक्षा में हो रही समस्या।साउथ और मुड़वारा में कुली की व्यवस्थाएं नहीं हैं, माल ढुलाई के लिए भी नहीं हैं इतजाम, व्यवस्थित नहीं है मार्ग।यात्री ट्रेनों को खड़ी कर मालगाडिय़ों को पासिंग देने से यात्रियों को होती है गंभीर परेशानी प्रभावित होता है कारोबार।एनकेजे शेडों व यार्ड में कर्मचारियों की सुरक्षा, काम का अधिक भार, रेलवे की सुरक्षा में कमी।
अव्यवस्थाओं का अंबार
28 नवंबर को डीआरएम संजय विश्वास कटनी पहुंचे थे उन्होंने दूसरा गेट खोलने, सड़क चौड़ीकरण, सौंदर्यीकरण के निर्देश पर भी नहीं शुरू हुआ काम।साथ ही यात्रियों के दबाव के अनुसार मुख्य रेलवे स्टेशन व मुड़वारा में एफओबी की कमी है इस पर रेलवे के अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे।वहीं जनरल वेटिंग रूमों में वेस्टर्न स्टाइल की प्रसाधन सीट नहीं हैं, जिससे दिव्यांग यात्रियों को परेशानी का समाना करना पड़ता है, मुड़वारा में प्रसाधन भी नहीं है।
मुड़वारा रेलवे स्टेशन, साउथ रेलवे स्टेशन में एप्रोच रोड व प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है, जिससे यात्री परेशान होते हैं।रेलवे कॉलोनियों में जर्जर क्वार्टर, पेयजल, प्रकाश व्यवस्था सही नहीं है, इस पर अधिकारियों का ध्यान नहीं है।और मुड़वारा रेलवे स्टेशन के आउटर, कैलवारा, हरदुआ आदि क्षेत्र में हो रही कोयला की तस्करी को रोकने नहीं उठाए जा रहे ठोस कदम।