KATNI : क्या तीन तलाक कानून से मिलेगी मुस्लिम महिलाओं को राहत ?

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किसी ने कहा- जब दिल ही नहीं मिल रहा तो कानून कहां तक बांध पायेगा

किसी ने कहा- तलाक के बाद महिलाओं को अपनी जिंदगी जीने का मिलेगा हक

केंद्र सरकार द्वारा पेश किये गये तीन तलाक बिल के लोक सभा व राज्य सभा में पास होने के बाद अब उसे कानूनी रूप देने राष्टï्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जायेगा। तीन तलाक बिल के पास होने पर नगर के मुस्लिम समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों की प्रतिक्रिया ली गयीं जिसमें किसी ने सरकार के कदम की सराहना की वहीं किसी ने आलोचना। 

फिरोज अहमद
 वरिष्ठï कांग्रेस नेता

राजनीति से प्रेरित है बिल अगर सरकार को मुस्लिम महिलाओं की वास्तविक रूप से चिंता होती तो वह तलाक के बाद महिलाओं के भरण पोषण का भी प्रावधान करती। क्योंकि तलाक देने वाले को जेल भेजने का प्रावधान किया गया है। ऐसी स्थिति में उसकी पूर्व पत्नी और बच्चों का भरण पोषण कैसे होगा इस बारे में विचार नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जब तीन तलाक को शून्य घोषित किया गया तो अपराध ही नहीं बनता है ऐसी स्थिति में सजा कैसी। तलाक के बाद सेटेलमेंट की व्यवस्था न होने से यह बिल अधूरा ही है। 

श्रीमती जहांआरा बेगम
पूर्व जनपद अध्यक्ष

 महिलाओं को हक दिलाने की दृष्टि से यह अच्छा कार्य है लेकिन इसमें मेहर की राशि वापसी की भी व्यवस्था होना चाहिए थी। इसके अलावा महिला व उनके बच्चों के भरण पोषण के बारे में भी सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया है कि वे आगे जिंदगी कैसे गुजारेगी।

शाहीन सिद्दीकी
राष्ट्रिय कार्यसमिति सदस्य
अल्पसंख्यक प्रकोष्ठï
भाजपा

हिन्दुस्तान में महिला तलाक कामामला जो हबीस शरीफ की रोशनी में मुकम्मल तौर पर कायम था और उसमें जो त्रुटियां थी उसे लेकर 25 वर्ष पूर्व श्रीमती शाह बानो ने याचिका दायर की थी और मसले को हल करने का मौका मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड को दिया था। लेकिन बोर्ड ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। वर्तमान में भाजपा सरकार ने इस बारे में मुकम्मल फैसला पास किया है जिसमें मुस्लिम महिलाओं को राहत व फायदे की बात हैं तीन बार तलाक बोलने से तलाक का होने में त्रृटियां थी सरकार ने विधेयक पारित करा जो सकारात्मक कदम उठाया है उसके लिये मोदी सरकार बधाई की पात्र है।

आफताफ अहमद
चोखे भाईजान,
समाजसेवी

मसला शरियत का है। कुछ मौलवियों के कम ज्ञान के कारण तीन तलाक होता है। तलाक देने वाले को जेल भेजने का प्रावधान गलत है और घर को बरबाद करने वाला है। इस बिल से मुस्लिम महिलाओं को हक नहीं मिला है क्योंकि तलाक के बाद उन्हें हरजाना मिलना चाहिए था।

शकील सैयद
सामाजिक कार्यकर्ता
एवं नगर अध्यक्ष
अल्पसंख्यक प्रकोष्ठï
कांग्रेस 

मेरी दृष्टि से तीन तलाक बिल का कोई मतलब नहीं है। अगर कोई अपनी बेगम को रखना चाहता है और उसका दिल ऐसा बोलता है तो तीन तलाक का कोई मतलब नहीं है। महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर दिल ही नहीं मिल रहा है तो कानून उसे कहां तक बांध पायेगा। 

नया कानून लागू होते ही तीन तलाक देने पर ये होंगे प्रावधान
  • 1. मौखिक, लिखित या किसी अन्य माध्यम से कोई पति अगर एक बार में अपनी पत्नी को तीन तलाक देता है तो वह अपराध की श्रेणी में आएगा.
  • 2. तीन तलाक देने पर पत्नी स्वयं या उसके करीबी रिश्तेदार ही इस बारे में केस दर्ज करा सकेंगे.
  • 3 महिला अधिकार संरक्षण कानून 2019 बिल के मुताबिक एक समय में तीन तलाक देना अपराध है. इसीलिए पुलिस बिना वारंट के तीन तलाक देने वाले आरोपी पति को गिरफ्तार कर सकती है.
  • 4. एक समय में तीन तलाक देने पर पति को तीन साल तक कैद और जुर्माना दोनों हो सकता है. मजिस्ट्रेट कोर्ट से ही उसे जमानत मिलेगी.
  • 5. मजिस्ट्रेट बिना पीड़ित महिला का पक्ष सुने बगैर तीन तलाक देने वाले पति को जमानत नहीं दे पाएंगे.  
  • 6. तीन तलाक देने पर पत्नी और बच्चे के भरण पोषण का खर्च मजिस्ट्रेट तय करेंगे, जो पति को देना होगा.
  • 7. तीन तलाक पर बने कानून में छोटे बच्चों की निगरानी व रखावाली मां के पास रहेगी.
  • 8. नए कानून में समझौते के विकल्प को भी रखा गया है. हालांकि पत्नी के पहल पर ही समझौता हो सकता है, लेकिन मजिस्ट्रेट के द्वारा उचित शर्तों के साथ।

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