KATNI NEWS | कटनी दैनिक मध्यप्रदेश | समर्थन मूल्य पर खरीदी जाने वाली धान का जिम्मेदारों की लापरवाही से क्या हश्र हो रहा है इसका प्रमाण मझगवां ओपन केन्द्र में रखी धान की बोरियां दे रही हैं। 189 चबूतरों में रखी धान की हजारों बोरियों के भींग जाने के कारण उनमें धान जम आई है और पौधे निकल आये हैं इसके अलावा सैकड़ों बोरे ओपन क्षेत्र के पास सड़ी गली हालत में पड़े हैं.
अफसोस की बात यह है कि इसी भीगी धान को विभाग द्वारा मिलर्स को मिलिंग के लिये लेने पर बाध्य किया जा रहा है परेशान मिलर्स 20 दिनों से काम बंद कर हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। मिलर्स का आरोप है कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण करोड़ों की धान का यह हाल हुआ है वहीं प्रशासन शीघ्र उठाव करने के निर्देश देने की जानकारी देकर पल्ला झाड़ रहा है।
गौरतलब हो कि हर वर्ष सरकार के द्वारा समर्थन मूल्य पर गेहूं व धान की खरीदी किसानों से की जाती है। खरीदे गये अनाज को वेयर हाउसों के अलावा ओपन केम्प में भंडारित किया जाता है जहां की अनाज की सुरक्षा के लिये शेड के अलावा पन्नी की भी व्यवस्था की जाती है इसके अलावा विभाग को भंडारित अनाज के रख रखाव के लिये भी सरकार द्वारा राशि दी जाती है लेकिन जिम्मेदारों द्वारा इस सब के बाद भी लापरवाही बरती जा रही है जिससे बारिश के पानी से भीगने पर करोड़ों का अनाज खराब हो रहा है।
भींगी बोरियों में निकले पौधे
कटनी रीठी रोड पर स्थित आरटीओ कार्यालय के पास मझगवां ओपन कैम्प का आज हमारे प्रतिनिधि द्वारा जब निरीक्षण किया गया तो पाया गया कि वहां 189 चबूतरों में रखी धान की हजारों बोरियां बारिश के कारण भींग गई हैं और उनमें से धान के पौधे तक निकल आये हैं। वहीं स्थल के पास ही सैकड़ों बोरे सड़ी गली अवस्था में भी पाये गये जिनमें कुछ मात्रा में धान भी थी। लापरवाही के कारण करोड़ों की धान की हुई यह हालत का पता उस समय चला जब मिलर्स द्वारा भींगी धान लेने से मना कर दिया गया था।
भींगी धान के कारण मिलिंग बंद
खाद्य विभाग द्वारा ओपन केन्द्र से मिलिंग के लिये मिलर्स को धान दी जाती है। राइस मिल एसोशिएसन के अध्यक्ष ईश्वर रोहरा ने बताया कि हमें मिङ्क्षलग के लिये सड़ी व अंकुरित धान दी जा रही है चूंकि भींगी धान से चावल बनना संभव नहीं है और ऐसी धान की मिलिंग करने पर दागी व टूटा चावल आता है जो खाने योग्य नहीं रहता।
हम जब चावल जमा करने जाते हैं तो उसे नहीं लिया जाता। वहीं दूसरी ओर विभाग द्वारा डेढ़ माह से भींगी धान मिलिंग के लिये दी जा रही है और धान का उठाव न करने पर हमारे उपर दबाव बनाया जा रहा है। श्री रोहरा का आरोप है कि जिम्मेदार संबंधितों पर कार्यवाही करने की बजाय मिलर्स पर दबाव बना रहे हैं और हमें जबरन मिलिंग करने के लिये बाध्य किया जा रहा है।
300 रुपये लोडिंग लेने का आरोप
राइस मिल ऐसोशिएसन अध्यक्ष का कहना था कि हम लोग धान का उठाव करने के लिये ओपन कैम्प जाते हैं तो वहां के प्रभारी धनिराम प्रजापति द्वारा हर गाड़ी से 300 रुपये लोडिंग का लिया जाता है। स्थिति यह है कि हम धान तो लेते हैं पर चावल बाहर से खरीदकर जमा करते हैं। श्री रोहरा ने बताया कि 40 हजार क्विंटल धान का उठाव मिलर्स द्वारा किया गया है जो कि चावल बनाने योग्य नहीं है यही कारण है कि 20 दिनों से मिलिंग का कार्य बंद है।
रात में हटा देते हैं पन्नी
सूत्र बताते हैं कि सग्रहित धान का यह हश्र ओपन केन्द्र प्रभारी की लापरवाही कहें या लालच लेकिन यह सब जानबूझ कर किया जाता है ताकि धान की बंदर बांट की जा सके एवं उसका वजन बढ़े साथ ही मेंटिनेंस के नाम पर राशि स्वीकृत कराई जा सके। इस पूरे मामले में कहीं न कहीं शीर्ष अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है। बताया जाता है कि बोरियों में लगाई गई प्लास्टिक की पन्नियां रात्रि को हटा दी जाती हैं ताकि बारिश होने पर धान भीग जाये और उसका वजन बढ़े। स्थल पर पानी टपकती पन्नियां भी देखी गईं
डीएम से शिकायतें पर जांच नहीं
मिल संचालक ईश्वर रोहरा ने बताया कि भींगी धान उठाने के लिये विभाग द्वारा दबाव बनाये जाने की शिकायत हमारे द्वारा पचासों बार आपूर्ति निगम के डीएम से की गई है लेकिन डी एम द्वारा आश्वासन देने के बाद भी आज तक न तो कोई जांच हुई और न ही किसी पर कार्यवाही जिससे लापरवाही का खेल निरंतर जारी है।
”धान गीली होने की जानकारी मिली है। विभाग को उठाव व जल्द ही मिलिंग करने के निर्देश दिये गये हैं। ज्यादा भंडारण व मिलिंग होने के बाद संभवत: यह समस्या खत्म होगी।” – शशि भूषण सिंह, कलेक्टर कटनी