घर पर प्रसव के बाद रात भर तड़पते रहे जच्चा-बच्चा, माँ बेटी की हालत नाज़ुक
KATNI NEWS | कटनी दैनिक मध्यप्रदेश |
देख रेख के अभाव में गरीब गर्भवती महिलाओं की कैसी दुर्दशा हो रही है यह सरकारी योजनाओं की असलियत उजागर कर रही है। गरीब गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव कराने के लिये लाख प्रयास करने के बाद भी गरीब महिलाओं के जीवन से आज भी खिलवाड़ हो रहा है। इसमें प्रशासनिक लापरवाही जितनी है उससे कहीं अधिक महिलाओं के परिजनों की भी घोर लापरवाही देखने को मिल रही है। ऐसा ही एक मामला गुरूवार को देखने मिला जब एक महिला को प्रसव के 11 घंटे बाद उपचार नसीब हो सका महिला ने कुपोषित बेटी को जन्म दिया है और वह स्वयं गंभीर अवस्था में है और टीबी की बीमारी से ग्रसित है।
आशा कार्यकर्ता लाई अस्पताल
मामला कुठला थाना क्षेत्र के ग्राम मझगवां का है जहां पर सपना चौधरी पति श्यामू चौधरी उम्र 22 वर्ष को वहां की आशा कार्यकर्ता नेहा तिवारी अस्पताल लेकर पहुंची। आशा कार्यकर्ता का कहना था कि महिला की हालत बहुत नाजुक है वहीं जन्म लेेने वाला शिशु (बेटी) भी पैदा होते ही कुपोषित है उसका वजन 1 किलो 2 ग्राम है वहीं मां को टीवी की बीमारी है।
पति बना गर्भवती का दुश्मन
घटना के बारे में आशा कार्यकर्ता ने बताया कि महिला का गर्भ धारण करने के उपरांत समस्त टीका करण कराया गया किन्तु पति श्यामू एवं उनके परिजनों की लापरवाही के कारण सपना को गंभीर बीमारी टीबी हो गई। महिला का उपचार कराना तो दूर उसके पति व घर वाले उसके पास जाने से भी कतराने लगे धीरे धीरे सपना ने बुधवार-गुरूवार की रात प्रसव पीड़ा से तड़पती रही लेकिन घर वाले कठोर बने रहे लेकिन उसके अस्पताल लेकर नहीं गये।
रात्रि करीब डेढ़ बजे उसने बच्चे को जन्म दिया उसके बाद भी घर वाले उसे अस्पताल लेकर नहीं गये। सुबह जब आशा कार्यकर्ता नेहा तिवारी को इसकी खबर मिली उसने तत्काल घर जाकर सपना के घर वालों पर दबाव बनाया लेकिन घर वाले सपना का उपचार कराने तैयार नहीं हुए अंतत: जैसे तैसे आशा कार्यकर्ता जच्चा-बच्चा को अस्पताल लेकर पहुंची लेकिन उसका पति उसके साथ नहीं गया। फिलहाल जच्चा-बच्चा दोनों की हालत नाजुक बनी हुई है।
योजना बनी मजाक
सपना के साथ जो हुआ वह केवल एक मामला नहीं ऐसे जिले में हर रोज दर्जनों मामले प्रकाश में आते हैं जिसमें परिजनों द्वारा जच्चा-बच्चा को मिलने वाली पोषण आहार के लिये राशि को खर्च कर लेते हैं और बाद में प्रसव के वक्त जच्चा-बच्चा या तो गंभीर रूप से बीमार रहते हैं या कई बार मां व जन्म लेने वाले शिशु की मौत हो जाती है। बताया जाता है गरीब महिलाओं में अशिक्षा एक बड़ी समस्या है जिस वजह से गरीब महिलाओं को सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना का लाभ नहीं मिलता है।
जिले में योजनाएं तोड़ रही दम
सरकार ने जच्चा-बच्चा की मृत्यु दर कम करने के लिये जननी सुरक्षा योजना एवं प्रधानमंत्री मात्र वंदना योजना जैसी तमाम योजनाएं शुरू की है ताकि गरीब गर्भवती महिलाओं को गर्भ धारण करने से लेकर प्रसव के बाद तक स्वस्थ्य रहने के लिये पोषण आहार के नाम पर उनके बैंक खातों में पैसे जमा कराये जाते हैं.
इसके अलावा आशा उषा कार्यकर्ताओं के माध्यम से उन महिलाओं का संपूर्ण टीकाकरण एवं देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी जाती है लेकिन देखा गया है कि संस्थागत प्रसव के लिये जब भी गरीब महिलाएं अस्पताल पहुंचती हैं तो वे पहले से ही गंभीर रूप से बीमार रहती हैं किसी महिला को खून की कमी तो किसी महिला को प्रसव के बाद जन्म लेेने वाला बच्चा कुपोषित होता है जो शासकीय योजनाओं की धरातल पर क्या स्थति है इसकी बानगी है सपना के साथ घटित हुई यह घटना।