KATNI : सिंधी सेंट्रल पंचायत की मांग – माधवनगर के पट्टाधारियों को मिले मालिकाना हक

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सिंधी सेंट्रल पंचायत का आरोप-  लीज समाप्त होने के बाद नहीं हो रहा नवीनीकरण
मंदिर, गुरूद्वारों व धर्मशालाओं को फ्री होल्ड करने की मांग

Katni News | कटनी दैनिक मध्यप्रदेश
माधवनगर में 72 वर्षों से बसे सिंधी विस्थापित परिवारों के पुनर्वास समस्या अब तक दूर नहीं हुई है। तत्कालीन भाजपा सरकार ने 15 वर्षीय कार्यकाल में कई बार समस्या के निदान की घोषणा तो की लेकिन किया कुछ नहीं।

नई सरकार के गठन होने के बाद मांग के फलस्वरूप राजस्व विभाग द्वारा रिकार्डों की जांच का कार्य तो किया गया लेकिन मामला अधर में अभी लटका हुआ हैं। सिंधी सेंट्रल पंचायत माधवनगर द्वारा शासन का ध्यान पुन: विस्थापितों के पट्टे की समस्या की ओर आकर्षित करते हुए उसका शीघ्र निदान करने की मांग की गई हैं।

 सिंधी सेंट्रल पंचायत के अध्यक्ष वीरेन्द्र तीर्थानी ने उक्ताशय की मांग करते हुए बताया कि सन 1947 में विभाजन के बाद सिंधी व पंजाबी समाज के शरणार्थी कटनी आये थे जिन्हें केन्द्र व राज्य सरकार की 399 एकड़ भूमि में बसाया गया था। जहां अब आवासी बसाहट , लघु उद्योग व दुकानें हो गई हैं।

श्री तीर्थानी के अनुसार विस्थापितों के लिये आरक्षित भूमि को 12 सीटों में विभाजित किया गया था और 1972 में केन्द्र सरकार की नीति के अनुसार पात्र परिवारों को आवास हेतुु 50 पैसे प्रति वर्गफुट व व्यवसाय के लिये डेढ़ रूपये प्रति वर्गफुट संबंधी विस्थापितों की मांग पर 2.91 रूपये प्रति वर्ग फुट रेट निर्धारित कर पट्टा दिये जाने का कार्य प्रारंभ किया गया। 

श्री तीर्थानी के अनुसार धीमी गति से कार्य चलने पर 1994 में तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सभी कलेक्टरों को आदेश जारी कर मध्यप्रदेश में बसे सिंधी समाज के लोगों की पुर्नवास समस्या तीन माह के अंदर हल करने के निर्देश दिये। उक्त निर्देश जारी होने के साथ माधवनगर में तेजी से आवासीय व व्यवसायिक पट्टे प्रदान किये जा रहे थे लेकिन तत्कालीन भाजपा विधायक सुकीर्ति जैन द्वारा विधानसभा में गलत प्रश्न लगाकर पट्टों का वितरण रूकवा दिया जिससे केवल 17 सौ परिवारों को पट्टे प्राप्त हो पाये थे बाकि परिवारों के प्रकरण पुर्नवास विभाग कटनी में आज तक लंबित हैं।

चूंकि माधवनगर में आरक्षित भूमि पर उद्योग , दुकानें व आवासीय मकान बने हैं इसलिये सरकार द्वारा अलग पालिसी बनाकर रेट निर्धारित किये गये थे। बताया जाता है कि पट्टों की आवंटन की प्रक्रिया के दौरान निर्धारित की गई राशि का रेट भू-स्वामी की भूमि के कलेक्टर गाइड लाइन से अधिक था। जबकि तत्कालीन समय में पुर्नवास भूमि से लगी निजी भूमि का मूल्य 100 रूपये से 200 रूपये एकड़ था। 

श्री तीर्थानी द्वारा शासन से मांग की गई है कि माधवनगर में बसे सभी विस्थापितों को आवासीय व व्यवसायिक पट्टे का मालिकाना हक दिया जाये और बकाया पट्टाधारियों को कलेक्टर गाइड लाइन के अनुसार आवासीय भूमि का एक प्रतिशत  व व्यवसायिक भूमि का 2 प्रतिशत लेकर मालिकाना हक दिया जाये। साथ ही माधवनगर स्थित हरे माधव परमार्थ सत्संग समिति चैरीटेबिल ट्रस्ट गुरूद्वारा, झूलेलाल सेवा मंडल चेरीटेबिल समिति के साथ ही माधवनगर व कटनी के अन्य मंदिर , गुरूद्वारे व सार्वजनिक धर्मशालाओं को  फ्री होल्ड करने की मांग की है।

15 वर्षों तक शिवराज सरकार ने छला 

माधवनगर में विस्थापितों के मालिकाना हक को लेकर 72 वर्षों से सिंधी समाज प्रयास कर रहा है खासकर भाजपा के 15 वर्षों के शासन के दौरान विशेष प्रयास हुये लेकिन भारतीय जनता पार्टी एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सिंधी समाज का इस्तेमाल किया लेकिन समस्या का समाधान नहीं किया।

पूज्य सिंधी सेन्ट्रल पंचायत के संरक्षक झम्मटमल ठारवानी एवं गंगाराम कटारिया ने प्रेस को बताया कि कुछ वर्ष पूर्व तिलक कॉलेज मैदान पर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सभा थी उस दौरान भाजपा नेताओं द्वारा यह आश्वासन दिया गया था कि हजारों की संख्या में महिला पुरूष उस कार्यक्रम में पहुंचें तो समस्या का समाधान करा दिया जायेगा हमारे समाज की मां बहनें कभी देहलीज पार करके बाहर नहीं जातीं किन्तु भविष्य की चिंता को लेकर लगभग 5 सौ से 6 सौ माताएं बहनें उस कार्यक्रम में गईं उसके बाद भी समस्या जस की तस है।

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