महिला सशक्तिकरण की प्रतीक देवी अहिल्याबाई को समर्पित रहा कार्यक्रम
कटनी दैमप्र। महिला सशक्तिकरण और सुशासन की प्रतीक लोकमाता देवी अहिल्याबाई के सम्मान में शनिवार को असत्य पर सत्य की विजय के प्रतीक पर्व दशहरा पर पुलिस लाइन झिंझरी में खजुराहो सांसद विष्णु दत्त शर्मा,कलेक्टर दिलीप कुमार यादव और पुलिस अधीक्षक अभिजीत कुमार रंजन ने विधि-विधान और शास्त्रोक्त मंत्रोच्चार के बीच ,हवन अनुष्ठान कर शस्त्र -पूजन किया।
सांसद श्री शर्मा ने इस अवसर पर प्रदेशवासियों को विजयादशमी पर्व की शुभकामनाएं दीं।इस मौके पर जिला पंचायत सीईओ शिशिर गेमावत ,जिला भाजपा अध्यक्ष दीपक टंडन सोनी, नगर निगम अध्यक्ष मनीष पाठक, अपर कलेक्टर साधना परस्ते, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉ संतोष डेहरिया, एसडीएम प्रदीप कुमार मिश्रा और सीएसपी ख्याति मिश्रा , डीएसपी आजाक प्रभात कुमार शुक्ला, एसडीओपी अखिलेश गौर,रामरतन पायल, रामचंद्र तिवारी, चमनलाल आनंद,पीताम्बर टोपनानी, सुरेश सोनी,तहसीलदार आकाशदीप नामदेव सहित जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन के अधिकारी मौजूद रहे।
दशहरा पर्व पर भारत की सदियों प्राचीन शस्त्र-पूजन की परंपरा रही है। जिसके तहत दशहरा विजयादशमी पर्व पर पुलिस शस्त्रागार सहित जिले के थानों में भी पूरी भव्यता के साथ शस्त्र-पूजन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
राज्य सरकार के निर्देशानुसार इस वर्ष का दशहरा पर्व महिला सशक्तिकरण और सुशासन की प्रतीक लोकमाता देवी अहिल्याबाई को समर्पित है। देवी अहिल्याबाई ने देश भर में जन-कल्याण के अनेक महती कार्य संपन्न करवाए थे और इन कार्यों की स्मृति और देवी अहिल्याबाई के योगदान से आज की पीढ़ी को अवगत करवाने और उनके सम्मान में दशहरा पर्व पर जिले भर में व्यापक स्तर पर शस्त्र-पूजन के कार्यक्रम आयोजित हुए।
लोकमाता अहिल्याबाई का व्यक्तित्व हम सबके लिये आदर्श
कटनी जिले सहित प्रदेश भर में लोकमाता देवी अहिल्याबाई की 300वीं जयंती वर्ष मनाई जा रही है। लोकमाता देवी अहिल्याबाई का व्यक्तित्व, जीवन और चरित्र हम सबके लिये आदर्श है। वे एक तपोनिष्ठ, धर्मनिष्ठ,कर्मनिष्ठ शासक एवं प्रशासक रही है। देवी अहिल्याबाई ने धर्म के साथ शासन व्यवस्था चलाने का बेहतर उदाहरण प्रस्तुत किया है। उनका धर्म तथा राज्य व्यवस्था में विशेष महत्व है। देवी अहिल्या बाई का मुख्य ध्येय था कि उनकी प्रजा कभी भी अभावग्रस्त और भूखी नहीं रहे। उनके सुशासन की यशोगाथा पूरे देश में प्रसिद्ध है। उन्होंने समाज-सेवा के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया था। अहिल्याबाई हमेशा अपनी प्रजा और गरीबों की भलाई के बारे में सोचती थी, साथ ही वे सदैव गरीबों और निर्धनों की हरसंभव सहायता के लिए तत्पर रहती थी। उन्होंने समाज में विधवा महिलाओं की स्थिति पर भी खासा काम किया और उनके लिए उस वक्त बनाए गए कानून में बदलाव भी किया था।