MP : भोपाल से आये मुख्य अभियंता ने बताया क्यों चटक गया कटनी नदी का निर्माणाधीन पुल

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कटनीदैनिक मध्यप्रदेश

कटनी नदी पर निर्माणाधीन पुल की स्लैब चटकने के मामले में आज भोपाल से आये पीडब्ल्युडी व सेतु निगम के मुख्य अभियंता ए.आर. सिंह के नेतृत्व में जांच दल का आगमन हुआ। दल द्वारा स्लैब के क्षतिग्रस्त हिस्से की जांच कर कोर कटिंग मशीन के जरिये कांक्रीट के नमूने एकत्र किये। आरभिक तौर पर यह कहा गया कि  कांक्रीट की गुणवत्ता के कारण डेमेज हुआ जिसके पीछे ठेकेदार की लापरवाही है। कांक्रीट के संग्रहित नमूने की भोपाल स्थित प्रयोगशाला में जांच होगी। मुख्य अभियंता का कहना है कि अब स्लैब तोड़कर फिर से उसी ठेकेदार से कार्य कराया जायेगा। 

निर्माणाधीन पुल के स्लैब क्षतिग्रस्त होने के मामले में जांच करने भोपाल से पीडब्ल्युडी सेतु निगम के मुख्य अभियंता ए.आर. सिंह, अधीक्षण यंत्री एम.पी. सिंह, सेंट्रल लैब इंचार्ज श्री कुलकर्णी के अलावा संभागीय प्रभारी कार्यपालन यंत्री दिनेश कौरव, सहायक यंत्री योगेश वत्सल व उपयंत्री राजेश खरे आज दोपहर 12 बजे कटनी नदी पर निर्माणाधीन पुल पर पहुंचे। 

तीन घंटे चली जांच

बताया जाता है कि अधिकारियों के दल ने नीचे उतर कर फाउंडेशन व पिलरों का निरीक्षण किया। इसके बाद उन्होंने उस हिस्से को भी देखा जहां से स्लैब टूटा है। इस दौरान कोर कटिंग मशीन से स्लैब में भरा कांक्रीट खोद कर निकाला गया और उसे जप्त कर ले जायेगा। कांक्रीट के नमूने की भोपाल स्थित प्रयोग शाला में जांच करने की जानकारी दी गयी। जांच कार्य लगभग 3 घंटे चला

30 से.मी. मोटाई, ढाई-ढाई मीटर की केबल

बताया गया है कि पुल निर्माण के लिये जो स्लैब ढाली गयी उसकी कुल मोटाई 30 से.मी. है जबकि उसके दोनों ओर ढाई-ढाई मीटर के केबल डाले गये। बताया जाता है कि दोनों ओर 6-6 केबिल डाले गये हैं और उन्हीं केबिलों के सहारे ढलाई का कार्य किया गया था। एक केबल में 6-6 लोहे की छड़ें रहती हैं। 

सिर्फ एक इंजीनियर ही स्थल पर 

विभागीय सूत्रों की मानें तो ठेकेदार द्वारा निर्माण में लापरवाही बरती गयी। निर्माण स्थल पर सिर्फ एक इंजीनियर रहता था जबकि ठेकेदार कभी नही आता था। सूत्र बताते हैं कि ठेकेदार शुक्ला ने जब ठेका लिया तो धनुषाकार आकृति वाले पुल का निर्माण करने में असमर्थता प्रगट की जिससे बेंगलरू व दिल्ली आई.आई.टी. में ड्राइंग डिजाइन बदली गयी। बताया जाता है कि ठेकेदार ने ड्राइंग डिजाइन देखे बगैर ठेका लिया था बाद में हाथ खड़े कर दिये। इस तरह ड्राइंग डिजाइन बदलने में 3-4 साल लग गये। ड्राइंग के अनुसार 90 मीटर की स्लैब डालना था जिसे पूर्व सरकार के कार्यकाल में बदलाव कर 45-45 मीटर करने के साथ एक अतिरिक्त पिलर भी स्वीकृ त कराया गया। सूत्रों का कहना है चूंकि फाउंडेशन व पिलर निर्माण के दौरान विभाग के अधिकारी मौजूद थे इसलिये निर्माण अच्छा हुआ। 

आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी 

वहीं निर्माणाधीन पुल का स्लैब  गिरने के मामले में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। सेतु निगम जहां घटना के लिये ठेकेदार की लापरवाही को दोषी ठहरा रहा है और कांक्रीट की गुणवत्ता पर भी संदेह व्यक्त किया गया है। वहीं दूसरी ओर ठेकेदार का यह कहना है कि निर्माण विभाग के अधिकारियों की निगरानी में हुआ और विभाग द्वारा उस पर लगातार दबाव बनाया जाता रहा। कारण कुछ भी हो लेकिन जनता तो ठगी रह गयी।

 बेंगलरू की टीम भी जांचेंगी पुल

विभागीय सूत्रों ने बताया कि स्लैब चटकने की घटना के कारणों की जांच करने के लिए बेंगलरू से भी जांच दल आयेगा और जांच कर रिपोर्ट देगा। बताया जाता है कि दल का आगमन आज होना था लेकिन फ्लाईट न मिलने के कारण वह नही आ सका। संभावना है कि आगामी एक-दो दिनों में दल का आगमन होगा। 

दबाव बनाकर कार्य कराया गया

वहीं ठेकेदार रामसज्जन शुक्ला का कहना है कि उसे कार्य करने के लिए विभाग द्वारा दबाव डाला गया था। मुझे वर्ष 2011 में वर्क ऑडर दिया गया। वर्ष 2013 में मुआवजा प्रकरण के निपटारे के बाद निर्माण के लिये साइड मिला था। वहीं फाउंडेशन व तीन पिलर के स्लैब की स्वीकृति के लिए बनायी ड्राइंग डिजाइन को मंजूर होने में ही दो वर्ष का समय लगा। विभाग द्वारा पहले 90 मीटर का स्लैब बनाने को कहा था चूंकि वह ना तो संभव था ना ही सुरक्षित इसलिए दुबारा डिजाइन दी गयी। वर्ष 2017 में समान्तर पुल के लिए एक और पिलर बनाने में एक करोड़ की राशि खर्च हुयी जिसमें उसे सिर्फ 25 लाख ही मिले। स्लैब की ढलाई पर एक करोड़़ की राशि मेरे द्वारा खर्च की गयी जिसमें से एक भी रुपये नही मिला। अगर मुझे निर्माण नही करना होता तो मैं अपना पैसा क्यों लगाता। मैं अभी भी निर्माण करने को तैयार हूं। 

इनका कहना है  –    

 कांक्रीट की कमजोरी के कारण ब्रिज का हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ है। अब स्लैब तोड़कर फिर से नये सिरे से निर्माण होगा और उसी ठेकेदार से काम कराया जायेगा अगर वह इंकार करता है तो  कार्यवाही होगी एवं दूसरे ठेकेदार से निर्माण कराया जायेगा।  -ए.आर. सिंह मुख्य अभियंता ,सेतु निर्माण निगम भोपाल

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