दैनिक उपयोग के बाद नालों के माध्यम से नदियों में पहुंचने वाले गंदे पानी को नहीं रोक पाए अफसर,
कटनी, दैनिक मध्यप्रदेश न्यूज़। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के दिशा निर्देशों का पालन करने और कराने में जिले का प्रशासनिक तंत्र बुरी तरह नाकाम हुआ है नतीजतन अब एनजीटी को ही एक्शन में आना पड़ा और बड़े जुर्माने की कार्यवाही से जिम्मेदारों को सन्देश दिया है कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने में जिले की नगर निगम और तीनों नगर पंचायतें पूरी तरह से नाकाम रही हैं इसलिए कार्यवाही करना जरूरी था।
दरअसल नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने नगर निगम सहित तीन नगर परिषदों को गंदे पानी को बिना ट्रीटमेंट के नदियों में छोड़ने पर रोक लगाया था और निर्देशित किया था कि वे 2020 तक एसटीपी बनवा लें लेकिन एनजीटी के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए ये तमाम संस्थान सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट ना लगा कर शहर और नगर के गंदे नाले के पानी को सीधा नदी में पहुंचा रहे थे। प्रवधान के मुताबिक सीवेज प्लांट में गंदा पानी पहुंचने के बाद उसका ट्रीटमेंट किया जाना चाहिए और उस जल का उपयोग पेड़ पौधों की सिंचाई जैसे कामों में किया जाना चाहिए लेकिन नगर निगम और नगर परिषद निर्देशों को गंभीरता से नहीं लिया और
इसका सीधा उल्लंघन कर रहे थे जिसको लेकर एक प्रकरण दर्ज किया गया और प्रदूषण विभाग ने बकायदा इसकी जांच कर रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को सौंप दिया।नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने रिपोर्ट के आधार पर नगर निगम और तीनों नगर परिषदों पर जुर्माना लगाया है। एनजीटी के मुताबिक कटनी नगर निगम को इस गलती के लिए 2 करोड़ 44 लाख रूपए का भुगतान करना पड़ेगा वहीं नगर परिषद कैमोर को 1 करोड़ 44 लाख और बरही को 44 लाख के साथ ही विजयराघवगढ नगर परिषद को भी 44 लाख रुपए जुर्माना भरने का आदेश जारी किया है।
इनका कहना है –
“एनजीटी द्वारा जुर्माना लगाया गया है। नगर निगम के पास फिलहाल सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है इसके लिए शासन से नगर निगम मांग कर रहा है और मोहलत मांगने के प्रयास किए जा रहे हैं।”
विनोद शुक्ला
आयुक्त नगर निगम