सतगुरु बाबा ईश्वरशाह के अमृत वचन वर्षा सुन भाव विभोर हुए हजारों श्रद्धालु 

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दो दिवसीय वर्सी पर्व का भव्यता के साथ समापन, आम भंडारे में बड़ी संख्या में लोगों ने पाया प्रसाद 

कटनी दैमप्र। 10 अक्टूबर प्रातः 10 बजे से हरेमाधव भजन राग, प्रभुमय वाणियों का गायन, सतगुरु सांई ईश्वरशाह साहिब जी द्वारा अमृत वचन वर्षा करते हुए समझाया की हरेमाधव पारब्रम्ह प्रभु हर युग, काल में पूरण तत्वदर्शी सतगुरु के रूप में अवतरित होकर अपने दिव्य संदेश, वचन-वाणियाँ आत्माओं के उद्धार वास्ते प्रगट करते हैं।  ऐसे पूरण संत सतगुरु मृत्यु जगत में दुर्लभ, अति दुर्लभ हैं।  आप हम सभी सौभाग्यशाली हैं कि हरेमाधव प्रभु  की पावन ओटछाया में हमारे औखै कर्म काटने के कोतुक खेलों हमने पाया हैं।  पहले के युगों में ब्रम्हवेता तत्वदर्शी पुरुख संस्कृत श्लोकों में पारब्रम्ह प्रभु के हुकुम  को प्रगट करते, आज कलिकाल में जीवनमुक्त तत्वदर्शी सतगुरु वचन वाणियों द्वारा जीवात्माओं को चिताते हैं, जिनमें यथार्थ, दिव्यमण्डलों के गहन परमत्व प्रकाश का भेद भरपूर है।   

तत्वदर्शी सतगुरु कलिकाल में नित्य अवतार भजन सिमरन के भंडारी, पूरण तत्वदर्शी सतगुरु   भजन श्रीमुख से हरेमाधव सद्ग्रंथ वाणियां यथार्थ संतमत उपदेश, अमरता की ओर जाने वाला अमरा  पथ, जीवजगत को दे रहे हैं।  पूरण हरिराया सतगुरु ही यथार्थ भगति, शाश्वत प्रेम  और शाश्वत मुक्तता के भंडारी दाता है, आदिकाल  से निमित्त अवतार, जपी- तपी, योगी-मुनियों ने भी अ पने समय के नित्य अवतार पूरण सतगुरु की शरण में  सेवा चाकरी की, सतगुरु भगति की, उनकी किरपा आशीष को पाया, शाश्वत मुक्ति को अर्जित किया, और करते  हैं।  ऐसे पूरण सतगुरु की पवित्र शरण, किरपा मेहर से आम इन्सान भी देवत्व गुणों से भर जाते हैं।जब पूरण हरिराया सतगुरु जीवजगत में प्रगट हुए तो वे अनन्त उपकारी लीलाएं रच जीवात्माओं की सार  सम्भाल कर उन्हें यथार्थ सतगुरुमत के मार्ग प्रशस्त करते हैं, यह उनका परम करूणामय वात्सल्यमय  विरद है।  पूर्व पातशाहियों सतगुरु बाबा माधवशाह साहिब जी, सतगुरु बाबा नारायणशाह जी ने सदा जीवकल्याण के लिए अनेक शाश्वत सत्य के भेद दे संगतों को निहाल किया।हरेमाधव भांगा साखी की विडियो प्रस्तुतीकरण किया जिसके द्वारा सतगुरु महिमा के जिक्र एवं महत्व बताएं , शब्द कीर्तन तत्पश्चात हरेमाधव ब्रह्म भोज (आम भंडारा) हजारों लोगों ने पाया। इसके पूर्व 9 अक्टूबर को हरेमाधव वर्सी पर्व पर देश विदेश से पधारे श्रद्वालुओं सतगुरु दर्शन और सत्संग का लाभ पाया

 श्रद्धा विश्वास भाव सेवा भक्ति के पावन पर्व हरेमाधव वर्सी पर्व में सेवा भक्ति का अमृत आनन्द प्राप्त किया।प्रातः काल  सतगुरु जी सेवकों संगतों के संग माधवनगर रेलवे स्टेशन पर पधारे और वहां पर आपजी ने वर्सीपर्व का विधिवत शुभारंभ किया माधवनगर स्टेशन पर संकीर्तन प्रस्तुतियां ग्रामीण क्षेत्रों से आए श्रद्धालुओं ने प्रस्तुत कर अपने भाव पावन श्री चरणों में समर्पित किये ।

प्रातः 9 बजे भव्य शोभायात्रा निकाली गई जिसमें सुसज्जित रथ पर सतगुरु जी विराजमान हुए संगतों को पावन दर्शन से निहाल कर कृपा मेहर बरसातें रहें।श्रद्धालुओं ने सतगुरु की भक्ति में झूमने से हमें आन्तरिक शान्ति, अपार आनन्द और जीवन का एक गहन उद्देश्य प्राप्त होता है। यह प्रेमपूर्ण भक्ति हमें सतगुरु से जोड़कर हमारे मन की अशान्ति को समाप्त करती है और आत्मा को गहरी तृप्ति प्रदान करती है। सतगुरु  कृपा से हम अहंकार, लालच और सांसारिक सुखों से ऊपर उठकर उस सच्चे आनन्द का अनुभव कर सकते हैं, जो केवल सतगुरु प्रेम में ही मिलता है।

 प्रातः 9 बजे हरेमाधव दरबार साहिब से सुसज्जित रथ पर सतगुरु सांई ईश्वरशाह साहिब जी की भव्य शोभायात्रा प्रारम्भ होगी जिसमें सिंधु नवजवान मंडल का डांडिया शैलानृत्य ,, ईश्वरनादम पथक के विशाल बैंडसमुह के सैकड़ों युवा, हरेमाधव रूहानी बाल संस्कार के बाल गोपाल एवं हरेमाधव यूथ के युवा अपनी अपनी प्रस्तुतियां शोभायात्रा में प्रदान की हरेमाधव शोभायात्रा हरेमाधव दरबार साहिब ( बाबा माधवशाह चिकित्सालय के सामने) सत्संग परिसर में पहुंचीं आपजी के श्रीदर्शन एवं भजन कीर्तन से संगतों को निहाल किया । सांय 7 बजे भजन कीर्तन में हरेमाधव भजन रागों का गायन, कीर्तन के साथ हरेमाधव रूहानी बाल संस्कार के बालगोपालों द्वारा मनमोहक प्रस्तुति एवं हरेमाधव यूथ द्वारा परमार्थी एकांकी प्रस्तुत किया जिसके द्वारा बताया गया कि ,हरेमाधव रूहानी बाल संस्कार , हरेमाधव यूथ टीम द्वारा भाव भक्ति से भरपूर एकांकी “भगतन पाया भगत भंडारा, तिन भगतन का तू एको प्यारा” प्रस्तुत की गयी, जिसमें भगतों पर हुई सतगुरु जी  की प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष मेहर के कुछ जिक्रों को मंचित किया गया।  पात्रों के अभिनय ने पूर्ण रूप से संगतों को एकांकी से जोड़े रखा।  इस एकांकी का सारगर्भित भाव यत रहा कि जीवन की स्वांसे वे सफल हैं, जो पूरण सतगुरु भगति,  सतगुरु  श्रीदर्शन, सतगुरु नाम सिमरन ध्यान में बीत क्योंकि मनुष्य जीवन का मूल ध्येय मुक्ति नहीं साची  भक्ति है उसी में असल सुख, असल शान्ति है।  तत्पश्चात् हरेमाधव भजन रागों से सारा आभा मण्डल  प्रेमामय सा हो गया।तत्पश्चात सतगुरु जी ने मुखारविंद से वचन समझाते हुए सतगुरु बाबा नारायण शाह भजन कीर्तन, वाणियों का गायन किया गया।

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