भोपाल, 22 फरवरी वन सम्पदा को मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी सम्पदा बताते हुए राज्य के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शनिवार को कहा कि उजड़े वनों को हरा-भरा बनाना आज सबसे बड़ी चुनौती है। यहां वानिकी सम्मेलन को संबोधित करते हुए कमलनाथ ने कहा, वन सम्पदा, मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी सम्पदा है। मध्यप्रदेश को अपनी वन सम्पदा पर गर्व है।
उन्होंने कहा, इसे संरक्षित और सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी वनों से जुड़े लोगों और वन विभाग के प्रत्एक सदस्य की है। वन से जुड़े लोगों और राज्य के हित के बीच तनाव और टकराहट से बचते हुए वन संरक्षण को आगे जारी रखना होगा। उन्होंने कहा, उजड़े वनों को हरा-भरा बनाना आज सबसे बड़ी चुनौती है।
कमलनाथ ने कहा, भारतीय संस्कृति का वनों से गहरा जुड़ाव रहा है। वनों से सभी प्राणियों का भविष्य जुड़ा है। इसलिए वनों को संरक्षित और सुरक्षित रखते हुए इनका बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, वन अधिकारियों और मैदानी अधिकारियों के सक्रिय सहयोग से ही वन संरक्षण संभव है। वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी वन संरक्षण अधिनियम के उद्देश्यों को आत्मसात करें।
कमलनाथ ने कहा, जब 1980 में वन संरक्षण अधिनियम बना था तब की परिस्थितियों और वर्तमान परिस्थितियों में जमीन-आसमान का अंतर है। तब लोगों की अपेक्षाएं और आशाएं कम थीं। राष्ट्रीय उद्यान बनाना आसान था। अब प्राथमिकताएं बदल रही हैं। बांस और छोटे अनाज का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, अब ए आर्थिक महत्व की फसल बन रही है। इसके लिए वन विभाग को सहयोगी की भूमिका निभानी होगी। उजड़े वन क्षेत्रों में सुधार लाने के सभी उपाय अपनाने होंगे।
कमलनाथ ने कहा, मध्यप्रदेश की जैव विविधता अत्यंत समृद्ध है। इस पर कई अनुसंधान भी हो रहे हैं। अब दुनिया तेजी से रसायन आधारित फार्मास्युटिकल दवाओं से रसायन-मुक्त फार्मास्युटिकल दवा निर्माण की तरफ ब रही है। उन्होंने कहा कि वन उपज भविष्य के लिए महत्वपूर्ण सम्पदा है। वन विभाग को इन सब आधारों पर अपनी सोच-समझ् बनाते हुए आगे बढ़ना होगा। कमलनाथ ने कहा कि वन विभाग को अब एक दिशा में काम नहीं करते हुए समान उद्देश्य के लिए बहुआयामी रणनीति अपनानी चाहिए।