जयपुर, 17 फरवरी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने राज्य के परिवहन विभाग में वाहन मालिकों को डरा-धमका कर उनसे वसूली करने के बड़े मामले के खुलासे का दावा करते हुए एक परिवहन निरीक्षक और एक दलाल को पकड़ है।
ब्यूरो ने रविवार देर रात इस मामले में परिवहन विभाग के सात अधिकारियों और नौ दलालों को हिरासत में ले कर तलाशी अभियान चलाया जिसमें करीब एक करोड़ बीस लाख रुपए नगद, प्रॉपर्टी के दस्तावेज तथा मध्यस्थ दलालों के पास से रिश्वत लेनदेन की सूचियों सहित अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य बरामद किये गये।
यह मामला सोमवार को विधानसभा के बजट सत्र में उठा और परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने संवाददाताओं से कहा कि यह कार्रवाई विभाग में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए हुई है। एसीबी के महानिदेशक आलोक त्रिपाठी ने बताया कि ब्यूरो को परिवहन विभाग के अधिकारियों द्वारा दलालों के जरिये वाहन मालिकों को डरा-धमकाकर मासिक बन्धी के रूप में रिश्वत राशि प्राप्त करने की सूचना मिली थी।
उन्होंने बताया कि इसकी गुपचुप तरीके से जांच की गई और शिकायत सही पाई गई। इसके बाद परिवहन निरीक्षक उदयवीर सिंह को दलाल मनीष मिश्रा द्वारा चालीस हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। इसके अलावा मनीष मिश्रा के पास कथित रूप से अन्य अधिकारियों को मासिक बन्धी देने के लिए रखे एक लाख बीस हजार रुपए भी जब्त किये गये।
ब्यूरो ने इस संबंध में परिवहन विभाग के अधिकारी शाहजहांपुर के डीटीओ गजेन्द्र सिंह, चौमूं के विनय बंसल, डीटीओ (मुख्यालय) महेश शर्मा तथा परिवहन निरीक्षक शिवचरण मीणा, उदयवीर सिंह, आलोक बुढानिया, नवीन जैन व रतनलाल को हिरासत में लेकर इनके निवास की तलाशी ली।
इसके अलावा निजी व्यक्ति मध्यस्थ दलाल जसवन्त सिंह यादव, बस संचालक गोल्ड लाइन ट्रांसपोर्ट कम्पनी, तनुश्री लॉजिस्टिक के विष्णु कुमार, ममता व मनीष मिश्रा, रणवीर, पवन उर्फ पहलवान तथा विष्णु कौशिक को हिरासत में लेकर उनके निवास तथा व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की तलाशी ली गयी।
खाचरियावास ने सदन के बाहर संवाददाताओं से कहा,‘‘ सरकार का मकसद है कि भ्रष्टाचार खत्म होना चाहिए और परिवहन विभाग में एसीबी की कार्रवाई भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए हुई है। उन्होंने कहा कि निर्दोष अधिकारियों को घबराने की जरूरत नहीं है लेकिन दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।’’ (भाषा)