चंद्रयान-2 का काउंटडाउन शुरू, सोमवार तड़के होगा रवाना

फोटो - सोशल मीडिया
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भारत के सबसे महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशन चंद्रयान -2 मिशन के प्रक्षेपण के लिए बीस घंटे की उलटी गिनती, जिसका उद्देश्य चंद्रमा पर एक रोबोट रोवर रखना है, आज सुबह 6.51 बजे शुरू हुआ। चंद्र अभियान सोमवार को 2:51 बजे भारत के एकमात्र अंतरिक्ष बंदरगाह से श्रीहरिकोटा में लॉन्च किया जाएगा। इसरो 3.8 टन चंद्रयान -2 को कक्षा में ले जाने के लिए अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट लांचर, जीएसएलवी एमके III का उपयोग करेगा। पूरे मिशन में एक साल का जीवन है।

इससे पहले चंद्रयान 1 में भी हमने चंद्रमा पर मून इंपैक्ट प्रोब (एमआईपी) उतारा था, लेकिन इसे उतारने के लिए नियंत्रित ढंग से चंद्रमा पर क्रैश करवाया गया था। इस बार हम विक्रम (लैंडर) और उसमें मौजूद प्रज्ञान (छह पहिये का रोवर) चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करवाएंगे।

मिशन बनाने वाले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार लॉन्च की रिहर्सल पूरी हो चुकी हैं। विक्रम और प्रज्ञान को भी पूरी तरह भारतीय तकनीक और संसाधनों से तैयार किया गया है। चंद्रयान 2 का बाकी हिस्सा ऑर्बिटर बनकर यानी चंद्रमा की परिक्रमा करते हुए विभिन्न प्रकार के शोध और अध्ययन करता रहेगा।

इसरो ने पूर्व में कहा था कि चंद्र अभियान के तीनों मॉड्यूल- ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान)- प्रक्षेपण के लिये तैयार किये जा रहे हैं और लैंडर के सितंबर की शुरुआत में चंद्रमा की सतह को छूने की उम्मीद है. इसरो प्रमुख के सीवन का कहना है कि लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर छह सितंबर को उतरेगा. चंद्रमा के इस क्षेत्र में अब तक कोई नहीं पहुंचा है. 

उन्होंने बारिश से प्रक्षेपण को किसी तरह के खतरे की आशंका को खारिज किया. यहां बारिश के बीच उन्होंने कहा, ‘इसका कोई प्रभाव नहीं होगा क्योंकि प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी मैक्-3) बारिश में भी सुरक्षित रहता है.’ चंद्रयान-2 को जीएसएलवी मैक-3 द्वारा प्रक्षेपित किया जाएगा जिसे भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा ‘बाहुबली’ कहा जाता है क्योंकि यह चार टन क्षमता तक के उपग्रह ले जाने की क्षमता रखता है.

इससे जुड़ी कुछ बातें

श्रीहरिकोटा से लांच के बाद चंद्रयान -2 मिशन अंततः अपनी लंबी 3. 84 लाख किलोमीटर की यात्रा पर लगभग दो महीने बिताने के बाद नरम लैंडिंग के लिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के करीब पहुंच जाएगा। चंद्रयान -2 के ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर के सभी डिजाइन भारत में किए गए हैं।

640 टन का रॉकेट जीएसएलवी एमके III, जिसे “बाहुबली” के रूप में भी जाना जाता है, 15 मंजिला इमारत जितना ऊंचा है और यह चंद्रमा पर अपनी यात्रा पर 3.8 टन के उपग्रह को उठाएगा।

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद श्रीहरिकोटा में मध्यरात्रि लॉन्च का गवाह बनेंगे। वह अंतरिक्ष बंदरगाह से लाइव लॉन्च देखने वाले तीसरे सिटिंग प्रेसिडेंट होंगे।

1,000 करोड़ रूपए का चंद्रयान -2 मिशन 1.4 टन का लैंडर विक्रम को ले जाएगा – जो आगे चन्द्रमा पर 27 किलोग्राम के रोवर प्रज्ञान को दक्षिण ध्रुव पर दो क्रेटरों के बीच एक मैदान में लेकर जाएगा । इसरो प्रमुख के सिवन ने कहा कि विक्रम का 15 मिनट का अंतिम भाग “सबसे भयानक क्षण होगा क्योंकि हमने कभी इस तरह के जटिल मिशन को अंजाम नहीं दिया है।”

यदि भारत सफल होता है, तो यह अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्र सतह पर एक अंतरिक्ष यान को नरम लैंडिंग कराने वाला चौथा देश बन जाएगा। इज़राइल ने इस साल की शुरुआत में कोशिश की लेकिन असफल रहा।यदि मिशन सफल होता है, तो यह अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी, जिसका बजट अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा से लगभग 20 गुना कम है।

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