प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को 73वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से लगातार छठी बार देश को संबोधित किया। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले के प्रचीर से मोदी का यह लगातार छठा और दोबारा सत्ता में आने के बाद पहला संबोधन था।
लाल किले की प्राचीर से लगातार छठा भाषण देने वाले मोदी इस उपलब्धि के मामले में भाजपा के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के समकक्ष हो गए। वाजपेई ने 1998 से 2003 के बीच लगातार छह बार लालकिले की प्राचीर से 15 अगस्त को भाषण दिया था।
अपने संबोधन में मोदी ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ का पद सृजित करने की घोषणा की। साथ ही उन्होंने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाने के अपनी सरकार के महत्वपूर्ण फैसले, देश की अर्थव्यवस्था में सुधार, तीन तलाक विरोधी कानून, आतंकवाद और कई अन्य मुद्दों पर अपनी बात रखी।
2019 के लोकसभा चुनाव में भारी जनादेश के साथ भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाले राजग की सत्ता में दोबारा वापसी के बाद प्रधानमंत्री का लाल किले से राष्ट्र के नाम यह पहला संबोधन था। वार्षिक समारोह में मोदी अक्सर अपनी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं के बारे में बातें करते हैं। साथ ही वह अपनी कमान में देश के प्रदर्शन को भी प्रमुखता से पेश करते रहे हैं। पिछले सप्ताह राष्ट्र के नाम दिए गए अपने पहले संबोधन में मोदी ने घाटी के लोगों के लिए विकास और शांति का वादा किया था।
प्रदेश को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटे जाने के बाद उन्होंने तमाम आशंकाओं को दूर करने का वादा किया था। लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए आज उन्होंने कहा, हम समस्याओं को टालते भी नहीं और पालते भी नहीं हैं। अब न टालने का समय है और न ही पालने का समय है। सरकार बनने के 70 दिनों भीतर संसद के दोनों सदनों ने अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाने का निर्णय का अनुमोदन किया।
मोदी ने कहा, देशवासियों ने जो काम दिया, हम उसे पूरा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन को लेकर हर सरकार ने कुछ न कुछ प्रयास किया, लेकिन इच्छा के अनुरूप परिणाम नहीं मिले। मोदी ने कहा, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के सपनों को पंख लगें, यह हम सबकी जिम्मेदारी है।