सागर जिले में स्थित, तीन जिलों की सीमा में फैले नौरादेही अभयारण्य में बाघ-बाघिन के प्राकृतिक वास के बाद यहां अफ्रीका व नामीबिया से चीते लाने की तैयारी चल रही है। इस प्रोजेक्ट पर करीब 260 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च होगें।
वन्य जीवों की विश्व स्तरीय संस्था इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ और सुप्रीम कोर्ट ने इन चीतों को भारत लाने की परमिशन दे दी है। हालांकि अभी यह तय नहीं हुआ कि चीते कब तक लाए जाएंगे। इस संबंध में वन विभाग को इस प्रोजेक्ट की अधिकृत तौर पर जानकारी मिलने का भी इंतजार है। गौरतलब है कि भारत में लुप्त हो चुकी इस प्रजाति को सहेजने के लिए नए सिरे से चीतों को बसाया जा रहा है। जानकारी के अनुसार पिछले चार माह से नौरादेही अभयारण्य की 15 सदस्यीय समिति इसके लिए काम कर रही है। इसमें स्टेट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट जबलपुर वेटनरी मेडिकल कॉलेज और वाइल्ड लाइफ वैज्ञानिक शामिल हैं।
ये नौरादेही अभयारण्य में जलवायु परिवर्तन के असर तथा जैव विविधता को लेकर अध्ययन कर रहे हैं। अध्ययन में पाया गया है कि चीतों के लिए नौरादेही वन्य अभयारण्य बहुत अच्छा है। नौरादेही में 500 वर्ग किमी क्षेत्र में चीतों के लिए तैयारी की जा रही है। इसमें से 400 वर्ग किमी क्षेत्र में घास का मैदान तैयार कर लिया गया है। यहां ज्यादा संख्या में वन्य प्राणी वाले इलाके चिन्हित किए गए हैं ताकि चीतों को शिकार के लिए पर्याप्त वन्य प्राणी मिले पानी के संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे है ड्रोन से इनकी निगरानी की जाएगी।
आपको बता दें की भारत में आखिरी स्पॉटेड चीता की मृत्यु 1947 में हुई थी और जिसके बाद 1952 में भारत में इसे विलुप्त प्रजाति घोषित कर दिया था।